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महाराष्ट्र में मंदिर खुलने पर सियासत, भाजपा को मंदिर खुलने का श्रेय नहीं लेना चाहिए- संजय राउत

महाराष्ट्र के सभी धार्मिक स्थल भक्तों के लिए सोमवार से खोल दिए जाएंगे। इसे लेकर सियासत तेज हो गई है। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि भाजपा को इसका श्रेय नहीं लेना चाहिए। केंद्र सरकार ने कोरोना के कारण इन्हें बाद करने का फैसला लिया था।

By TaniskEdited By: Published: Sun, 15 Nov 2020 12:49 PM (IST)Updated: Sun, 15 Nov 2020 12:49 PM (IST)
महाराष्ट्र में मंदिर खुलने पर सियासत, भाजपा को मंदिर खुलने का श्रेय नहीं लेना चाहिए- संजय राउत
शिवसेना के नेता संजय राउत। (फोटो- एएनआइ)

मुंबई, एएनआइ। महाराष्ट्र के सभी धार्मिक स्थल सोमवार से खोल दिए जाएंगे। इसे लेकर राज्य में सियासत शुरू हो गई है। शिवसेना के नेता संजय राउत ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को महाराष्ट्र में मंदिर खुलने का श्रेय नहीं लेना चाहिए। कोरोना वायरस महामारी (COVID-19 Pendemic) के बीच केंद्र द्वारा धार्मिक स्थलों को बंद करने का निर्णय लिया गया था। राउत ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉकडाउन लागू किया गया था और मंदिरों को बंद करने का निर्णय भी उनके द्वारा लिया गया था। इसलिए भाजपा के पास इस मामले में श्रेय लेने का कोई हक नहीं है। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री के ऐसे लोगों को जीत और हार का अर्थ बताना होगा। 

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राउत ने यह बात एक रिपोर्टर द्वारा पूछे गए सवाल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही। रिपोर्टर ने सवाल किया कि भाजपा यह दावा कर रही है कि यहां धार्मिक स्थलों को फिर से खुलना हिंदुत्व की जीत है? गौरतलब है कि मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) ने शनिवार को सूचित किया कि कोरोना महामारी के कारण कई महीनों तक बंद रहने के बाद महाराष्ट्र में सभी धार्मिक स्थल सोमवार 16 नवंबर से लोगों के लिए फिर से खुल जाएंगे। 

मीडिया से बात करते हुए, महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री जयंत पाटिल ने कहा, 'निर्णय सही समय पर लिया गया है। इस समय कोरोना रोगियों की संख्या कम है। सभी धार्मिक स्थानों के लिए नियम समान होंगे। मास्क, सैनिटाइजर का उपयोग अनिवार्य होगा। शारीरिक दूरी ने नियम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। कोविड-19 पर नियंत्रण के लिए लाकडाउन के साथ ही मार्च से प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों को बंद कर दिया गया था।

सरकार पहले ही थिएटर, सिनेमा हॉल व मल्टीप्लेक्स को पचास फीसद क्षमता के साथ खोलने की अनुमति दे चुकी है। इसके बाद राज्य में पिछले कुछ समय में मंदिर खोलने को लेकर काफी राजनीति देखने को मिली। इसे लेकर पुजारियों ने भी आंदोलन किया। उनका कहना है कि और सबकुछ खुल सकती है तो मंदिर खोलने मे क्या दिक्कत हो रही है। लंबे वक्त से मंदिरों के बंद रहने के कारण आजीविका का संकट पैदा हो गया है। 


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