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Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में सियासी रस्साकशी लंबी चलने के आसार

Maharashtra Political Crisis उद्धव ठाकरे के एक-एक विधायक उनका साथ छोड़ते जा रहे हैं तो दूसरी ओर उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए साफ कर दिया है कि उन्होंने मुख्यमंत्री का आधिकारिक निवास ‘वर्षा’ भले छोड़ दिया हो लेकिन उनकी प्रतिबद्धता अब भी वही है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 24 Jun 2022 09:25 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2022 09:25 PM (IST)
महाराष्ट्र में सियासी रस्साकशी लंबी चलने के आसार। फाइल फोटो

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में एक ओर शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के एक-एक विधायक उनका साथ छोड़ते जा रहे हैं, तो दूसरी ओर उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए साफ कर दिया है कि उन्होंने मुख्यमंत्री का आधिकारिक निवास ‘वर्षा’ भले छोड़ दिया हो, लेकिन उनकी प्रतिबद्धता अब भी वही है। इस बीच, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार भी शुक्रवार देर शाम अपनी पार्टी के प्रमुख नेताओं के साथ उद्धव ठाकरे के बांद्रा स्थित निजी निवास ‘मातोश्री’ पर जाकर मिले और उद्धव के साथ आगे की रणनीति पर विचार–विमर्श किया। यह इस बात का संकेत है कि बागियों के नेता एकनाथ शिंदे के पक्ष में भले ही शिवसेना विधायक खिंचे चले जा रहे हों, लेकिन महाराष्ट्र में राजनीतिक रस्साकसी लंबी खिंचने वाली है।

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विधायकों की परेड भी संभव नहीं

शिवसेना विधायकों पर उद्धव ठाकरे की भावनात्मक अपील का भी कोई असर नहीं हो रहा है। कल तक उद्धव के खेमे में दिख रहे एक और विधायक दिलीप लांडे भी शुक्रवार की सुबह गुवाहाटी में एकनाथ शिंदे से जा मिले। शिंदे ने दावा किया है कि उनके पास शिवसेना के 40 से ज्यादा विधायक हैं। उनकी तरफ से दो बार विधान सभा अध्यक्ष को अपने समर्थक विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र भी भेजा जा चुका है, लेकिन इस समय विधान सभा अध्यक्ष का दायित्व संभाल रहे नरहरि झिरवल उनकी किसी चिट्ठी को महत्व देते नजर नहीं आ रहे हैं। माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे दो-तिहाई बहुमत से कुछ अधिक शिवसेना विधायकों की संख्या पूरी हो जाने के बाद सीधे इन विधायकों की परेड राज्यपाल के सामने करवा सकते हैं। चूंकि अभी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी कोविड पाजिटिव होने के कारण मुंबई के ही हरकिशनदास अस्पताल में भर्ती हैं। इसलिए उनके सामने विधायकों की परेड करवाना अभी संभव नहीं है।

अदालत जा सकता है शिंदे गुट

इसलिए जब तक राज्यपाल अपने राजभवन में विधायकों से रूबरू मिलने की स्थिति में न आ जाएं, तब तक शिंदे समर्थक विधायकों के मुंबई आने की कोई संभावना नहीं देखी जा रही है। लेकिन राज्यपाल के स्वस्थ होने के बाद भी इस राजनीतिक संकट का हल तुरंत निकल जाएगा, ऐसा भी नहीं दिखता। संभव है कि राज्यपाल शिंदे समर्थक विधायकों से मिलने के बाद विधानसभा उपाध्यक्ष को विधानसभा का आपातकालीन सत्र बुलाने का निर्देश दे भी दें, तो भी गेंद उपाध्यक्ष के पाले में चली जाएगी। उपाध्यक्ष पहले शिवसेना की ओर से भेजे गए उस पत्र पर विचार करेंगे, जो शिंदे गुट के 16 विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के लिए उनके पास भेजा गया है। विधानसभा सचिवालय शिवसेना के इस पत्र पर विचार करने के लिए महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणि से परामर्श लेने जा रही है। जाहिर है, यह निर्णय शिंदे गुट को स्वीकार नहीं होगा और वह इसके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। अदालत भी ऐसे मसलों पर तुरंत फैसला दे देती हो, ऐसा देखा नहीं गया है।

उद्धव ठाकरे की संगठन को मजबूत करने की अपील

इस बीच, शिवसेना शिंदे गुट में गए अपने विधायकों पर तरह-तरह के दबाव बनाने का प्रयास करेगी। शुक्रवार को मुंबई के नेहरू नगर विधान सभा क्षेत्र के विधायक मंगेश कुडालकर के कार्यालय में स्थानीय शिवसैनिकों द्वारा तोड़फोड़ की गई है। मुख्यमंत्री का सरकारी आवास छोड़कर शिवसैनिकों को भावनात्मक रूप से अपने करीब लाने की कोशिश कर रहे उद्धव ठाकरे पिछले तीन दिनों से लगातार शिवसेना के अलग-अलग गुटों से मिलकर उन्हें संगठन को मजबूत करने की अपील करते दिख रहे हैं।

संजय राउत बोले, उद्धव सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी

शनिवार को उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी बुलाई है। उनकी रणनीति है कि शिंदे गुट में शामिल हुए सभी शिवसेना विधायकों पर इतना दबाव बनाया जाए कि एक बार मुंबई वापस आने के बाद उनके पास शिवसेना में लौटने के सिवाय और कोई मार्ग ही न बचे। इस प्रकार शिवसेना अपने शिवसैनिकों की संगठनात्मक ताकत के सहारे हारी हुई बाजी फिर से जीतना चाहती है। शिवसैनिकों को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा भी है कि हम दो बार ऐसी बगावत झेलकर भी सत्ता में आने में सफल रहे हैं। शिवसेना नेता संजय राउत ने भी स्पष्ट कर दिया है कि हम हार नहीं मानेंगे। यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। शिवसेना के इस रुख को देखते हुए लग रहा है कि यह सियासी रस्साकशी लंबी खिंचेगी।


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