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Maharashtra: सभी जिलों की योजना समितियां होंगी कागज रहित

Paperless Planning Committee. इंटीग्रेटेड प्लानिंग ऑफिस ऑटोमेशन सिस्टम तकनीक के जरिए इस वर्ष एक अप्रैल से यह काम शुरू हो जाएगा।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Tue, 21 Jan 2020 06:31 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 06:31 PM (IST)
Maharashtra: सभी जिलों की योजना समितियां होंगी कागज रहित

मुंबई, राज्य ब्यूरो। Paperless Planning Committee. महाराष्ट्र के सभी जिलों की योजना समितियां जल्दी ही कागज रहित कामकाज प्रणाली अपना लेंगी। इससे फाइलों की आवाजाही में लगनेवाला समय बचेगा। कामकाज में पारदर्शिता भी आएगी। भ्रष्टाचार घटेगा। साथ ही सरकार का खर्च भी कम होगा।

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सरकारी कार्यालयों में एक मेज से दूसरी मेज तक किसी फाइल के पहुंचने में अक्सर महीनों, कभी-कभी तो वर्षों लग जाते हैं। फाइलों के इस सफर में पारदर्शिता की कमी के कारण कोई काम वर्षों लटकता रहता है, और भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलता है। इस समस्या का हल निकालने की शुरुआत पिछली सरकार में ही हो गई थी। जिसके तहत राज्य के सभी 36 जिलों की योजना समितियों का कामकाज कागज रहित करन की योजना बनाई गई है।

इंटीग्रेटेड प्लानिंग ऑफिस ऑटोमेशन सिस्टम (आइपास) तकनीक के जरिए इस वर्ष एक अप्रैल से यह काम शुरू हो जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत ईएसडीएस सॉफ्टवेयर सोल्युशन्स के सहयोग से पत्रों, प्रस्तावों, कार्यों की निगरानी, निविदा प्रक्रिया, सांसद-विधायक निधि के समुचित उपयोग आदि का काम ज्यादा पारदर्शिता के साथ कम समय में किया जा सकेगा। इससे सरकारी खर्च भी आधा हो जाने की उम्मीद है।

महाराष्ट्र में इस योजना को अमल में लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही कंपनी ईएसडीएस सॉफ्टवेयर सोल्युशन्स के एमडी एवं सीईओ पीयुष सोमाणी बताते हैं कि महाराष्ट्र के जिलों की योजना समितियों के अलावा राज्य के ज्यादातर सहकारी बैंकों एवं केंद्र सरकार की मुद्रा योजना सहित कई और योजनाओं के बेहतर संचालन के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

इसके कारण योजना के लाभार्थियों से जुड़े सभी आंकड़े क्लाउड तकनीक से सुरक्षित रखे जा सकते हैं साथ ही योजना के तहत खर्च होनेवाले धन का दुरुपयोग भी रोका जा सकता है। अभी महाराष्ट्र की योजना समितियों के जरिए अमल में लाई जाने वाली 530 योजनाओं का डिजिटलीकरण किया जा रहा है, लेकिन भविष्य में इस कार्यप्रणाली का लाभ केंद्र एवं अन्य राज्य सरकारों के जरिए देश के 100 करोड़ से ज्यादा लोग उठा सकेंगे। 

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