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मुंबई में सेरो सर्विलांस से कतरा रहे बिल्डिंगों के लोग, झोपड़ पट्टी वाले कर रहे सहयोग

बीएमसी ने नीति आयोग एवं टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) के साथ मिलकर मुंबई एवं इसके उपनगर के तीन वार्डो में सेरो सर्विलांस की शुरुआत की है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 06:15 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 06:15 AM (IST)
मुंबई में सेरो सर्विलांस से कतरा रहे बिल्डिंगों के लोग, झोपड़ पट्टी वाले कर रहे सहयोग
मुंबई में सेरो सर्विलांस से कतरा रहे बिल्डिंगों के लोग, झोपड़ पट्टी वाले कर रहे सहयोग

राज्य ब्यूरो, मुंबई। मुंबई में कोरोना संक्रमण के प्रसार का पता लगाने के लिए किए जा रहे सेरो सर्विलांस में झोपड़पट्टियों के लोग तो अच्छा सहयोग कर रहे हैं, लेकिन ऊंची-ऊंची इमारतों में रहने वालों से सर्विलांस टीम को सहयोग नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि एक सप्ताह में 10,000 सैंपल इकट्ठा करने का लक्ष्य लेकर चलने वाली टीम सिर्फ 2,000 सैंपल ही इकट्ठा कर पाई है। ऐसे में बीएमसी को लोगों से सैंपल देने में सहयोग करने की अपील जारी करनी पड़ी है।

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 मुंबई एवं इसके उपनगर के तीन वार्डों में सेरो सर्विलांस की शुरुआत

मुंबई में कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने नीति आयोग एवं टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) के साथ मिलकर मुंबई एवं इसके उपनगर के तीन वार्डो में सेरो सर्विलांस की शुरुआत की है। ये वार्ड हैं-एफ उत्तर, आर उत्तर एवं एम पश्चिम। पिछले सप्ताह शुरू हुए इस सर्वे में हफ्तेभर के दौरान 10,000 सैंपल इकट्ठा किए जाने थे, लेकिन अबतक सिर्फ 2,000 सैंपल ही इकट्ठा हो पाए हैं। जिन तीन वार्डों से सैंपल इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा गया है, उनमें झुग्गी बस्तियां भी हैं और बहुमंजिला इमारतें भी। सेरो सर्विलांस का लक्ष्य भी सभी वर्गो से सैंपल इकट्ठा करने का होता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि संक्रमण किस स्तर तक फैल रहा है। 

झोपड़पट्टी क्षेत्रों में टीम को मिल रहा भरपूर सहयोग

बीएमसी अधिकारियों का कहना है कि इस मुहिम में झुग्गी बस्तियों के लोग तो सहयोग कर रहे हैं, लेकिन बहुमंजिला इमारतों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। कहीं-कहीं तो विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि सेरो सर्विलांस में किसी खास इलाके में एक साथ कई लोगों के ब्लड सीरम के नमूने लिए जाते हैं। इनमें सभी आयुवर्ग एवं समाज के लोग शामिल होते हैं। इससे आबादी के स्तर पर संक्रमण के विस्तार का पता चलता है। 

कोरोना संक्रमण के प्रसार का पता लगाने को चल रहा अभियान

अधिकारियों का कहना है कि यह एक प्रकार का वैज्ञानिक अध्ययन है। इसमें समाज के सभी वर्गों का शामिल होना जरूरी है। सभी राज्यों द्वारा ये नमूने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के निर्देश पर लिए जा रहे हैं। इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्शन कमेटी के चेयरमैन डॉ. सुहास पिंगले का कहना है कि आरटी-पीसीआर जहां कोविड-19 का पता लगाने का एक बेहतर माध्यम है, वहीं सेरो सर्विलांस से समाज की प्रतिरोधक क्षमता का पता चलता है। इससे उन लोगों का भी पता चलता है, जो पहले संक्रमित होकर अब ठीक हो चुके हैं। इससे संक्रमण के विस्तार रोकने की रणनीति बनाने में मदद मिलती है।


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