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Aarey Forest Protest: बॉम्‍बे हाईकोर्ट का रोक से इनकार, उद्धव ठाकरे बोले- पेड़ों का खून करने वालों को देख लेंगे

Aarey Forest Protest मुंबई के गोरेगांव में आरे कालोनी में लगे पेड़ों को काटने के आदेश पर रोक लगाने से बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 08:31 AM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 06:26 PM (IST)
Aarey Forest Protest: बॉम्‍बे हाईकोर्ट का रोक से इनकार, उद्धव ठाकरे बोले- पेड़ों का खून करने वालों को देख लेंगे
Aarey Forest Protest: बॉम्‍बे हाईकोर्ट का रोक से इनकार, उद्धव ठाकरे बोले- पेड़ों का खून करने वालों को देख लेंगे

मुंबई, एएनआइ। Aarey Forest Protest मुंबई के गोरेगांव में आरे कॉलोनी में लगे पेड़ों को काटने के आदेश पर रोक लगाने से बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है। कुछ एक्टिविस्‍टों ने शनिवार को बॉम्‍बे हाईकोर्ट में एक नई अपील दायर कर पेड़ों के काटने के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। वहीं, विरोध कर रहे 29 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर बोरीवली कोर्ट ने न्‍यायिक हिरासत में भेज दिया है। गोरेगांव की आरे 'फॉरेस्ट' में पेड़ की कटाई के मामले में शुक्रवार को जब पेड़ काटना शुरू किया गया, तब लोगों ने इसका विरोध किया, जिसके बाद पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी को शनिवार को आरे फॉरेस्ट में विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस ने हिरासत में लिया। एक एक्टिविस्ट को मरोल मरोसी रोड से आरे फॉरेस्ट में प्रवेश करने पर एक पेड़ को गले लगाते देखा गया, जहां धारा 144 लगाई गई है। इधर, पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दिल्‍ली मेट्रो का उदाहरण देते हुए कहा कि विकास और प्रकृति का संरक्षण साथ-साथ किया जा सकता है। दिल्‍ली में भी पहले पेड़ों के कटने का विरोध हुआ था, लेकिन अब दिल्‍ली में वहां पहले से ज्‍यादा पेड़ लगे हैं। मुंबई पुलिस सूत्रों के मुताबिक, आरे कॉलोनी में पेड़ों के कटने को लेकर विरोध कर रहे 38 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, वहीं कुल 55 लोगों को इस मामले में हिरासत में लिया गया है। 

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उद्धव ठाकरे बोले- पेड़ों के खूनियों को सत्‍ता में आने पर देख लेंगे

मुंबई के अगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आरे कॉलोनी में पेड़ों को काटने का मुद्दा और गरमा सकता है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस मुद्दे पर कड़ी टिप्‍पणी करते हुए कहा कि सत्ता में आने के बाद जिन लोगों ने पेड़ों का खून किया है उन्हें देख लेंगे। हम इसका उपयुक्‍त हल निकालेंगे। 

जावड़ेकर ने दिल्‍ली मेट्रो का दिया उदाहरण

आरे फॉरेस्ट को लेकर जमकर राजनीति हो रही है। इस बीच पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार, यह जंगल नहीं है। उन्‍होंने देश की राजधानी का उदाहरण देते हुए कहा कि जब दिल्ली मेट्रो का काम शुरू हुआ था, तब 20-25 पेड़ काटे गए। इसका विरोध हुआ, लेकिन बाद में एक पेड़ के बदले पांच पेड़ लगाए गए और आज वहां का नजारा अलग है। अभी तक दिल्ली मेट्रो के 271 स्टेशन बने हैं और इस दौरान पेड़ कटे भी और काफी लगे भी। अगर आज की स्थिति का जायजा लिया जाए, तो दिल्‍ली में पेड़ों की संख्या बढ़ी है। इसे कहते हैं विकास और प्रकृति का संरक्षण, जिसमें विकास के साथ-साथ प्राकृति का भी विकास होता है।

चिपको आंदोलन की यादें हुईं ताजा

मुंबई के आरे में 'चिपको आंदोलन' की यादों को फिर ताजा कर दिया। यहां एक सामाजिक कार्यकर्ता पेड़ से लिपट कर खड़ी हो गई। बता दें कि चिपको आंदोलन पर्यावरण की रक्षा के लिए किया गया था। इस आंदोलन की शुरुआत 1973 में उत्तराखंड के चमोली जिले से भारत के लोकप्रिय पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा, चंडीप्रसाद भट्ट और गौरा देवी के नेतृत्‍व में हुई थी। इस आंदोलन की खास बात यह थी कि इसमें पुरुषों से ज्‍यादा महिलाओं ने सक्रिय भूमिका निभाई और जब हाथों में कुल्‍हाड़ी लेकर लोग पेड़ों को काटने आए, तो महिलाएं पेड़ों से चिपक कर खड़ी हो गईं। इसीलिए आंदोलन का नाम 'चिपको आंदोलन' पड़ गया।

प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि आरे फॉरेस्ट मामले में जो निर्णय आया है, हम उसका विरोध करते हैं। इस मामले में और भी विकल्प थे, लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। इस बारे में लोगों से कोई चर्चा भी नही की गई, क्या अब शिवसेना और भाजपा में इस बात पर टकराव नहीं होगा? ये मुंबई की जनता का मुद्दा है, भाजपा या शिवसेना का नहीं। 

आरे फॉरेस्ट में मेट्रो-रेल परियोजना स्थल के आस-पास के क्षेत्र में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी गयी है। गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद पेड़ों की कटाई के विरोध में शुक्रवार रात आरे फॉरेस्ट में विरोध प्रदर्शन किया गया था।

 शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने भी इन पेड़ों के काटे जाने पर विराेध करते हुए ट्वीट किया है आदित्य ने कहा कि 'केंद्र सरकार के जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अस्तित्व में आने या प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में बात करने का कोई अर्थ नहींं है, जब मुंबई मेट्रो के तृतीय परियोजना के तहत आरे कॉलोनी के निकट के क्षेत्र को नष्ट किया जा रहा है। मेट्रो द्वारा इसे अहम की लड़ाई बनाना केंद्र सरकार के उद्देश्य को पूरी तरह से नष्ट कर रही है।

#WATCH: People gathered in protest at #AareyForest against the felling of trees there, earlier tonight. They were later removed from spot by police. Bombay HC has dismissed all petitions against BMC decision which allowed felling of more than 2700 trees there, for metro car shed. pic.twitter.com/saT4MaHWsq

— ANI (@ANI) October 4, 2019

गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने गोरेगांव की आरे कॉलोनी को वन घोषित करने से पूरी तरह से असहमति जतायी है। कोर्ट के निर्णय के बाद आरे कॉलोनी मेट्रो शेड के निर्माण के लिए लगभग 2700 पेड़ों की कटाई का कार्य शुरू कर दिया गया। पेड़ों की कटाई से नाराज लोग इसका विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए और जमकर प्रदर्शन किया, पुलिस ने लोगों को शांत करने का प्रयास किया। बॉम्बे हाइकोर्ट ने शुक्रवार को पर्यावरण कार्यकताओं को झटका देते हुए, पेड़ काटने संबंधी बीएमसी की ट्री अथॉरिटी का निर्णय खारिज करने से भी कोर्ट ने मना कर दिया। 

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