एटीएस का खुलासा: मुंबई-पुणे में आतंकी हमले कराना चाहती थी सनातन संस्था
महाराष्ट्र एटीएस ने दावा किया है कि गिरफ्तार किए गए आरोपी हिंदूवादी संगठनों के सदस्य थे और आतंकी गिरोह से जुड़े थे।
मुंबई, एजेंसी। चार माह पहले नालासोपारा और महाराष्ट्र के कई शहरों से करीब एक दर्जन लोगों को बम धमाकों की साजिश और अन्य आतंकी गतिविधियों में गिरफ्तार किया गया था। महाराष्ट्र एटीएस ने अपने आरोपपत्र में दावा किया है कि इन आरोपियों की योजना हिंदू राष्ट्र बनाने की थी। आरोप पत्र में यह भी खुलासा हुआ है कि गिरफ्तार किए गए आरोपी हिंदूवादी संगठनों के सदस्य थे।
आरोपियों के खिलाफ दायर चार्जशीट से पता चला कि गिरफ्तार आरोपी आतंकी गिरोह से जुड़े थे। ये लोग सनातन संस्था, हिंदू जनजागृति और इसी तरह के संगठनों के भी सदस्य थे। सनातन संस्था ने एक किताब 'क्षात्रधर्म राष्ट्र' प्रकाशित की है। इस किताब में हिंदू राष्ट्र की जो व्याख्या की गई है, इस गिरोह के लोग वैसा ही हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते थे। गिरफ्तार आरोपी समान सोच के ऐसे युवाओं का आतंकी संगठन बनाना चाहते थे, जिससे देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा और सार्वभौमिकता खतरे में पड़ सकती थी।
सनातन संस्था के संबंध में एटीएस की यह प्रतिकूल टिप्पणी इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि सनातन संस्था पर प्रतिबंध की जब-तब मांग होती रही है। खुद महाराष्ट्र एटीएस अतीत में केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस बारे में कई बार सिफारिशें भेज चुका है। एटीएस सूत्रों के अनुसार 2011 में केंद्रीय गृह मंत्रालय को पहली बार सनातन संस्था पर प्रतिबंध का प्रस्ताव भेजा गया था। तब केंद्र में यूपीए की सरकार थी। 2013 में गृह मंत्रालय ने उस प्रस्ताव पर कुछ सवाल महाराष्ट्र एटीएस से पूछे थे। इस बीच, चुनाव के बाद केंद्र में सरकार बदल गई। 2015 में एटीएस ने गृह मंत्रालय को पूछे गए सवालों के जवाब भेजे थे। तब एटीएस ने कहा था कि सनातन संस्था पर प्रतिबंध व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। बुधवार को एटीएस द्वारा दायर आरोपपत्र के बाद सनातन संस्था फिर सवालों के कठघरे में खड़ी हो गई है।
इन आरोपियों के खिलाफ हैं आरोपपत्र - भरत कुरणे, अमोल काले, गणेश मिसकिन, शरद कलसकर, वैभव राउत, सुधन्वा गोंधलेकर, श्रीकांत पांगरकर, अविनाश पवार, लीलाधर लोधी, वासुदेव सूर्यवंशी, सुजीत कुमार रंगास्वामी।एटीएस का कहना है कि आतंकी गिरोह के इन लोगों ने पिस्तौल और बम से उन लोगों को भी निशाना बनाने का फैसला किया था, जो हिंदू धर्म, संस्कृति और प्रथाओं के खिलाफ हैं।
गौरतलब है कि इन गिरफ्तार आरोपियों ने पिछले साल पुणे में एक पश्चिमी संगीत समारोह सनबर्न को निशाना बनाने की साजिश भी रची थी, क्योंकि वे उसे हिंदू संस्कृति के खिलाफ समझते थे। आतंकी गिरोह के लोगों ने इस जगह की रेकी भी कर ली थी, पर ऐन वक्त पर इरादा बदल दिया, क्योंकि उन्हें शक था कि सीसीटीवी में उनकी साजिश दर्ज हो गई है।
क्या है सनातन संस्था?
सनातन संस्था एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल इस संस्था पर पिछले कुछ वर्षो में राजनीतिक हत्याओं की साजिश में लिप्त होने के आरोप लगे हैं। महाराष्ट्र एटीएस ने अपनी रिपोर्ट में इसे आतंकवादी संगठन माना था और इसके खिलाफ प्रतिबंध की जरूरत पर बल दिया था। कुल मिलाकर ये एक कट्टर हिंदू संगठन है।
कब हुई थी स्थापना
मिली जानकारी के अनुसार डॉक्टर जयंत अठावले ने एक अगस्त 1991 को सनातन भारतीय संस्कृति की स्थापना की थी। इसके बाद 23 मार्च 1999 को उन्होंने सनातन संस्था की स्थापना की। ये संस्थान अब ना केवल देश के विभिन्न भागों में फैल चुका है बल्कि विदेश में भी इसकी शाखाएं हैं। इस संस्था का मुख्यालय गोवा में है। लेकिन मुख्य गतिविधियों का केंद्र फिलहाल पुणे है। सनातन संस्था दावा करती रही है कि वो देश और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए बनाई गई है। 1998 में डॉक्टर अठावले ने पहली बार 2023 तक भारत में राम राज्य या हिंदू राष्ट्र की स्थापना का विचार रखा था।
सनातन संस्था के संस्थापक जयंत बालाजी अठावले
डॉक्टर जयंत बालाजी अठावले, सनातन संस्था के संस्थापक हैं। वो एक मनोवैज्ञानिक हैं। भारत आने से पहले डॉक्टर बालाजी ब्रिटेन में सात साल तक मेडिकल प्रैक्टिस कर चुके हैं, इंदौर के भक्त महाराज उनके गुरु थे। अठावले सनातन संस्था के लिए 65 लाख से ज्यादा किताबें हिंदी, मराठी, कन्नड, गुजराती, अंग्रेजी के साथ अन्य भारतीय भाषाओं में प्रकाशित करा चुके हैं।