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Nepal PM KP Sharma Oli: ओली के अयोध्या संबंधी बयान से नेपाली समुदाय आहत

KP Sharma Oli पशुपतिनाथ मंदिर में मुख्य पुजारी रहे 82 वर्षीय पंडित सुब्राय वी.जोशी कहते हैं कि अब भगवान राम ही नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ओली को सद्बुद्धि प्रदान करें।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 07:29 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 07:29 PM (IST)
Nepal PM KP Sharma Oli: ओली के अयोध्या संबंधी बयान से नेपाली समुदाय आहत
Nepal PM KP Sharma Oli: ओली के अयोध्या संबंधी बयान से नेपाली समुदाय आहत

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। KP Sharma Oli: नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के अयोध्या संबंधी बयान ने भारत के विभिन्न हिस्सों में रह रहे नेपाली समुदाय के लोग बहुत आहत हैं। वहां के सुप्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में दक्षिण भारत से जानेवाला पुजारी वर्ग भी उनके बयान से स्तब्ध है। पशुपतिनाथ मंदिर में मुख्य पुजारी रहे 82 वर्षीय पंडित सुब्राय वी.जोशी कहते हैं कि अब भगवान राम ही प्रधानमंत्री ओली को सद्बुद्धि प्रदान करें। उन्होंने कहा कि अयोध्या वहीं है, जहां होनी चाहिए। वहीं, श्रीराम की जन्मभूमि भी है जहां अब भव्य मंदिर का निर्माण होने जा रहा है। जनकपुरी तो श्रीराम की ससुराल और सीताजी का मायका है।

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बता दें कि भारत और नेपाल के बीच जो सांस्कृतिक संबंध भगवान राम और सीता के कारण माने जाते हैं, वैसा ही एक और संबंध पशुपतिनाथ मंदिर के पुजारियों का भी है। इस शिव मंदिर में पहले बौद्ध पद्धति से पूजा-अर्चना होती थी। जब शंकराचार्य नेपाल गए तो उन्होंने श्री पशुपतिनाथ की पूजा का विधान दक्षिण भारत के ऐसे व्यक्ति के हाथों निश्चित किया जो कम से कम दो वेदों का ज्ञाता हो। इस परंपरा में कर्नाटक के गोकर्ण धाम निवासी पंडित सुब्राय वी.जोशी 1968 से 1999 तक श्री पशुपतिनाथ की सेवा में रहकर अब पुन: अपने गांव गोकर्ण में रह रहे हैं।

महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा सहित समूचे पश्चिम भारत में एक अनुमान के मुताबिक नेपाली समुदाय के पांच लाख ज्यादा लोग निवास करते हैं। मुंबई से नेपाली भाषा के दो दैनिक अखबार भी निकलते हैं। नेपाल में पैदा हुए और वहीं पढ़े-लिखे महेश जोशी दोनों देशों के बीच दिख रहे वर्तमान समीकरणों पर कहते हैं कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद जब नरेंद्र मोदी पहली बार नेपाल गए, तो वहां के लोगों में उनके प्रति बहुत उत्साह था। लेकिन 2016 में हुए मधेशी आंदोलन के बाद भारत-नेपाल सीमा पर तीन महीने चले गतिरोध से मोदी समर्थक माहौल को काफी क्षति हुई। इसी का फायदा उठाकर कम्युनिस्ट गठबंधन सत्ता में आ गया। यह गठबंधन अब चीन के इशारे पर काम कर रहा है।

हालांकि नेपाल की आम जनता अपने पीएम के इस बयान से कतई सहमत नहीं है। पेशे से ट्रांसपोर्टर एवं एवरेस्ट चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के महाराष्ट्र चैप्टर के अध्यक्ष सुनील ब्राल कहते हैं कि व्यापारिक मामलों में नेपाल पूरी तरह भारत पर ही निर्भर है। नेपाली समुदाय भारत से अपने संबंधों की गंभीरता समझता है। वह चीन को कतई पसंद नहीं करता। भारत के प्रचार माध्यमों को भी किसी एक नेता द्वारा दिए गए बयान को इतना तूल नहीं देना चाहिए।

मुंबई में नेपाली समुदाय के एक संगठन मनोकामना एकता फाउंडेशन के अध्यक्ष मोतीलाल न्यौपाने स्वयं होटल उद्योग से जुड़े हैं। वे कहते हैं कि मुंबई में नेपाली समुदाय को सम्मान की निगाह से देखा जाता है। नेपाल के राजनीतिज्ञों द्वारा दिए जानेवाले ऊलजलूल बयानों से भारत में नेपाली समुदाय के लोगों में अपनी सुरक्षा के प्रति आशंका पैदा होने लगती है। ऐसे बयान को तूल नहीं दिया जाना चाहिए।


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