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Mumbai Rains: मुंबई में अभी और बिगड़ेगा मौसम, लोगों की बढ़ सकती हैं दिक्कतें

Mumbai Rains Live Updates मुंबई में मौसम विभाग ने अभी और तेज बारिश होने की आशंका जतायी है जिससे लोगों को अभी और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 11:03 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 05:25 PM (IST)
Mumbai Rains: मुंबई में अभी और बिगड़ेगा मौसम, लोगों की बढ़ सकती हैं दिक्कतें

मुंबई, एएनआइ। Mumbai Rains मायानगरी मुंबई में सोमवार सुबह से ही तेज बारिश हो रही है। जगह-जगह पानी भरने से लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मौसम विभाग ने 9 और 10 जुलाई को रायगढ़, ठाणे, पालघर समेत मुंबई के कई जिलों में भारी वर्षा होने की संभावना जतायी है। अंधेरी सब वे में बारिश के चलते जल भराव से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। भारी बारिश के कारण छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट से विमानों का आवागमन प्रभावित हुआ है। कम दृश्यता की वजह से तीन उड़ानों को अब तक डायवर्ट किया गया है। 

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मुंबई में लगातार हो रही बारिश से रेल और सड़क सेवाओं पर भी काफी प्रभाव पड़ा है। ऑफिस जाने वालों को भारी ट्रैफिक जाम से जूझना पड़ रहा है। उधर, मौसम विभाग का कहना है कि अभी मुंबई सहित महाराष्ट्र के कई इलाकों में बारिश जारी रहेगी।

Mumbai Rains Live Updates

 - महाराष्ट्र में 03.15 बजे ठाकुरवाड़ी-मंकी हिल के बीच डाउन लाइन पर एक बोल्डर गिरने के बाद मध्य रेलवे मार्ग पर मुंबई-पुणे लाइन पर ट्रेन की आवाजाही प्रभावित हुई। इससे डाउन लाइन और मिडिल लाइन भी प्रभावित हुई है। 

-मुंबई में भारी बारिश के कारण सड़कों पर पानी भर गया, दहिसर क्षेत्र का दृश्य।

-मौसम विभाग ने 9 और 10 जुलाई को रायगढ़, ठाणे, पालघर समेत मुंबई के कई जिलों में भारी वर्षा होने की संभावना जतायी है।

-अंधेरी में भारी बारिश के कारण जलजमाव की स्थिति।  

-छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट से विमानों का आवागमन प्रभावित।

मिली जानकारी के अनुसार चर्च गेट, बांद्रा और मीरा रोड में भारी बारिश हुई है। जिसकी वजह से अंधेरी सबवे और साकीनाका मेट्रो स्टेशन के पास जलभराव हो गया है। बारिश की वजह से कई इलाकों में जाम की स्थिति पैदा हो गई जिससे लोगों को ऑफिस जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गोवंडी के शिवाजीनगर इलाके में एक घर के गिरने से आठ लोग घायल हो गए। 

 

मौसम विभाग के अनुसार मुंबई में सोमवार को रुक-रुककर बारिश होती रहेगी। मुंबई, ठाणे, पालघर सहित पूरे उत्तर कोंकण इलाके में बारिश का असर दिख रहा है। शनिवार सुबह 8.30 बजे से रविवार सुबह 8.30 बजे तक उपनगर में 41.3 जबकि शहर 11.6 एमएम बारिश हुई। अभी तक मुंबई में पूरे सीजन के लिए जरूरी औसत बारिश का 46 प्रतिशत बरस चुका है। मौसम विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि सीजन के लिए जरूरी बारिश 2272 मिलीमीटर है जबकि अभी तक 1043 मिमी बारिश हो चुकी  है। 

हर साल क्यों भर जाता है पानी?

पुर्तगालियों और अंग्रेजों के बसाए गए शहर की ऐसी दुर्दशा हर साल क्यों होने लगती है ? भारत के कई राज्यों, अथवा कुछ छोटे-मोटे देशों से ज्यादा बजट रखने वाली मुंबई महानगरपालिका हर साल करोड़ों रुपए खर्च करके भी इसका कोई स्थायी उपाय क्यों नहीं ढूंढ पाती? जबकि पिछले 25 वर्षों से मुंबई महानगरपालिका पर एक ही पार्टी, अर्थात मुंबई के नाम पर जीने-मरने को तैयार शिवसेना की सत्ता रही है। 26 जुलाई, 2005 को मुंबई में आई ऐसी ही बाढ़ में करीब 1100 लोग मारे गए थे और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हो गया था।

दो साल पहले ऐसी ही एक बरसात के दौरान परेल इलाके में पैदल चलकर अपने घर की ओर जा रहे बॉम्बे हॉस्पिटल के एक डॉक्टर की मेनहोल में गिरकर मृत्यु हो गई थी। कुछ दिनों बाद उनका शव करीब सात किलोमीटर दूर वरली के समुद्र में पाया गया था। इन सबके बावजूद अभी तक पालिका ऐसी कोई व्यवस्था नहीं कर पाई है कि मुंबई की सड़कों पर पानी न भरे और सब कुछ यहां से सामान्य तरह से निकल जाए।

मानव निर्मित है कारण

मुंबई में जलभराव का दूसरा कारण मानव निर्मित है। आज की मुंबई कभी समुद्र के अंदर बसे सात द्वीपों का समूह हुआ करती थी। पहले पुर्तगालियों ने, तो बाद में अंग्रेजों ने, और उसके बाद आजाद भारत के  शासनकर्ताओं ने इन सातों द्वीपों के बीच की समुद्री खाड़ियों को पाटकर इसे तीन तरफ समुद्र से घिरे एक भूखंड का रूप दे दिया। मुंबई के पश्चिमी छोर पर जहां लहराता अथाह अरब सागर नजर आता है, वहीं पूर्वी छोर पर ठाणे-नई मुंबई-शिवड़ी आदि बस्तियों के घेरे बड़ी-बड़ी समुद्री खाड़ियां नजर आती हैं।

बांद्रा रिक्लेमेशन, बैकबे रिक्लेमेशन और नरीमन प्वाइंट जैसे कई स्थान तो बाकायदा समुद्र को पाटकर ही बसाए गए हैं। इस प्रकार समुद्र को पीछे ढकेलते हुए कभी नहीं सोचा गया कि इसके दुष्परिणाम क्या होंगे। यहां तक कि पक्की सड़कें बनाते समय उसके दोनों ओर बनाए गए फुटपाथ भी कच्चे नहीं छोड़े गए। यानी धरती में पानी सोखने के सभी रास्ते बंद कर दिए गए। कभी मुंबई में 22 पहाड़ियां हुआ करती थीं। इनमें से ज्यादातर को काट-तोड़कर वहां बस्तियां बसा दी गई हैं। इन बेतरतीब बस्तियों को बसाते समय जलनिकासी का कोई ध्यान नहीं रखा गया। आबादी लगातार बढ़ती गई है। यही कारण है कि आज जब तेज बरसात होती है, समुद्र शहर का पानी शहर को लौटाने लगता है तो मुंबई पानी-पानी होती नजर आने लगती है।


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