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Bhima Koregaon Violence: महाराष्ट्र सरकार ने भीमा कोरेगांव हिंसा के 348 केस लिए वापस

Bhima Koregaon Violence. भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में दर्ज कुल 649 मामलों में से 348 मामलों को महाराष्ट्र सरकार ने वापस ले लिया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 04:48 PM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 05:13 PM (IST)
Bhima Koregaon Violence: महाराष्ट्र सरकार ने भीमा कोरेगांव हिंसा के 348 केस लिए वापस
Bhima Koregaon Violence: महाराष्ट्र सरकार ने भीमा कोरेगांव हिंसा के 348 केस लिए वापस

मुंबई, एएनआइ Bhima Koregaon Violence. महाराष्ट्र सरकार ने वीरवार को भीमा कोरेगांव हिंसा में दर्ज कुल 649 केसों में से 348 को वापस ले लिया है।

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इस बीच, राज्य सरकार ने मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज 548 केसों में से 460 को भी वापस ले लिया है।

गौरतलब है कि भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले की जांच कर रहा दो सदस्यीय आयोग पूछताछ के लिए राकांपा अध्यक्ष शरद पवार को बुला सकता है। आयोग ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि जरूरत पड़ने पर पवार के साथ ही महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बुलाया जा सकता है। शरद पवार कई बार कह चुके हैं कि एक जनवरी, 2018 को भड़की भीमा-कोरेगांव की जातीय हिंसा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित तत्वों का हाथ था। इस संबंध में वह आठ अक्तूबर, 2018 को एक शपथपत्र भी जांच आयोग के सामने दाखिल कर चुके हैं।

इसी महीने की 18 तारीख को भी पवार ने एक संवाददाता सम्मेलन में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं मिलिंद एकबोटे एवं शंभाजी भिड़े का नाम लेते हुए कहा कि इन दोनों ने ऐसा वातावरण बनाया, जिसके कारण एक जनवरी, 2018 को भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़की। उन्होंने पुणे के पुलिस आयुक्त की भूमिका को संदेहास्पद बताते हुए इसकी जांच पर बल दिया था। बता दें कि शरद पवार के तर्कों के विपरीत पुणे पुलिस ने इस हिंसा के लिए 31 दिसंबर, 2017 की शाम पुणे स्थित शनिवार वाड़ा के बाहर आयोजित यलगार परिषद की सभा में दिए गए भड़काऊ भाषणों को जिम्मेदार ठहराया था।

पुलिस ने यह भी कहा कि इस सभा का आयोजन महाराष्ट्र में जातीय हिंसा भड़काने के लिए माओवादियों के सहयोग से किया गया था। पवार द्वारा लगाए गए इन आरोपों के बाद एक सामाजिक संगठन विवेक विचार मंच के कार्यकर्ता सागर शिंदे ने जांच आयोग के सामने एक आवेदन देकर पवार से पूछताछ करने की अपील की है। उनका कहना है कि पवार के पास ऐसी और भी कई जानकारियां हैं, जिनका जिक्र उन्होंने शायद अपने शपथपत्र में नहीं किया है। इसलिए उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जाना चाहिए।

जांच आयोग के वकील आशीष सातपुते के अनुसार आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जेएन पटेल ने संकेत दिए हैं कि जांच प्रक्रिया के अंतिम चरण में शरद पवार को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। जांच आयोग में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव सुमित मलिक हैं। हाल ही में उद्धव सरकार ने आयोग का कार्यकाल बढ़ाते हुए इसे आठ अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। आयोग का गठन पूर्व की फडणवीस सरकार ने किया था।

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