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Border Dispute: महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच गहराया सीमा विवाद, जानें- क्यों बेलगावी नहीं जाएंगे शिंदे के मंत्री

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चला आ रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने मंत्री चंद्रकांत पाटिल और शंभुराज देसाई को सीमा विवाद के समन्वय के लिए नियुक्त किया है। दोनों मंत्री बेलगावी जाकर एमईएस के कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर सीमा विवाद पर बातचीत करने वाले थे।

By AgencyEdited By: Amit SinghPublished: Tue, 06 Dec 2022 05:16 PM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2022 05:16 PM (IST)
Border Dispute: महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच गहराया सीमा विवाद, जानें- क्यों बेलगावी नहीं जाएंगे शिंदे के मंत्री
महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच गहराया सीमा विवाद (फाइल फोटो)

मुंबई, पीटीआई: महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चला आ रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने मंत्री चंद्रकांत पाटिल और शंभुराज देसाई को सीमा विवाद के समन्वय के लिए नियुक्त किया है। ये दोनों मंत्री कर्नाटक के बेलगावी जाकर महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) के कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर सीमा विवाद पर बातचीत करने वाले थे। फिलहाल, अब चंद्रकांत पाटिल और शंभूराज देसाई के बेलगावी जाने की संभावना नहीं है। दोनों मंत्रियों को पहले मंगलवार को कर्नाटक के बेलगावी में महाराष्ट्र एकीकरण समिति के कार्यकर्ताओं से मिलने और दशकों पुराने सीमा मुद्दे पर उनके साथ बातचीत करने का कार्यक्रम था।

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'प्रभावित हो सकती है कानून-व्यवस्था'

महाराष्ट्र एकीकरण समिति को बेलगावी और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों को लकेर पश्चिमी राज्य के साथ विलय के लिए संघर्ष करने वाले संगठन के रूप में जाना जाता है। इससे पहले इस मुद्दे को लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा था कि वो अपने महाराष्ट्र के समकक्ष एकनाथ शिंदे से उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों को बेलगावी नहीं भेजने के लिए कहेंगे, क्योंकि उनकी यात्रा से सीमावर्ती जिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी सोमवार को कहा था कि, कर्नाटक के साथ राज्य के सीमा विवाद के समन्वय के लिए नियुक्त मंत्रियों को विवादित क्षेत्रों का दौरा करना चाहिए या नहीं, इस पर मुख्यमंत्री शिंदे अंतिम निर्णय लेंगे।

'चुनाव से लेना देना नहीं'

इस बीच यहां ये भी बता दें कि, बेंगलुरु में सीएम बोम्मई ने इस बात से इनकार किया कि इस मुद्दे का राज्य में 2023 के विधानसभा चुनावों से कोई लेना देना है। उन्होंने पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र पर इस मुद्दे को उठाने का आरोप लगाते हुए कहा कि, "आगामी विधानसभा चुनाव और सीमा मुद्दे पर कर्नाटक के रुख से कोई संबंध नहीं है। कई सालों से ये महाराष्ट्र की तरफ से इस मुद्दे को उठा रहा है।" उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र ने विवाद उठाया है और कर्नाटक से प्रतिक्रिया आ रही है।''

'लोगों के बीच बेहतर हैं संबंध'

बेंगलुरु में पत्रकारों से बात करते हुए, सीएम ने कहा कि दोनों राज्यों के लोगों के बीच बेहतर संबंध हैं। उन्होंने कहा कि, "मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है और हमारा स्टैंड कानूनी और संवैधानिक दोनों है, हमें विश्वास है कि हम कानूनी लड़ाई जीतेंगे। चुनाव के लिए इसे मुद्दा बनाने का कोई सवाल ही नहीं है।" बोम्मई ने ये भी कहा कि, ''हम राज्य की सीमाओं अपने लोगों और महाराष्ट्र, तेलंगाना समेत केरल में रहने वाले कन्नड़ लोगों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

समझें क्या है विवाद

गौरतलब है कि, बेलागवी जिला प्रशासन ने सोमवार को महाराष्ट्र के दोनों मंत्रियों और नेताओं के शहर में प्रवेश पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। उपायुक्त और जिला मजिस्ट्रेट नितेश पाटिल ने सीआरपीसी की धारा 144 के तहत उनके प्रवेश पर रोक लगा दी थी। यहां ये जानना भी जरूरी है कि, सीमा विवाद का मुद्दा 1957 में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद का है। महाराष्ट्र ने बेलगावी पर दावा किया, जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था क्योंकि इसमें मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। इसमें 814 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं।

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