महाराष्ट्र के 17 लाख सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि वह इस बार सिर्फ आश्वासन से नहीं मानेंगे। सरकार को उनकी मांगें पूरी करनी होंगी।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र में राज्य सरकार के 17 लाख सरकारी कर्मचारी मंगलवार से तीन दिन की हड़ताल पर चले गए हैं। इनकी प्रमुख मांग सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करना है। कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने का असर स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग पर साफ नजर आ रहा है।
राज्य सरकार ने सोमवार रात ही चेतावनी दी थी कि हड़ताल पर जानेवाले कर्मचारियों के खिलाफ महाराष्ट्र आवश्यक सेवा कानून (मेस्मा) के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद तालुका स्तर से मंत्रालय तक के कर्मचारियों ने मंगलवार से तीन दिन की हड़ताल शुरू कर दी है। हालांकि राज्य सरकार द्वारा करीब डेढ़ लाख राजपत्रित अधिकारियों के बकाया महंगाई भत्ता भुगतान की घोषणा कर दिए जाने से इस वर्ग ने खुद को हड़ताल से अलग कर लिया है। महाराष्ट्र राज्य कर्मचारी संगठन (एमएसईओ) के अनुसार सरकार एक जनवरी, 2016 से बकाया सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू नहीं कर रही है। इस संबंध में कर्मचारी संगठन ने 16 जुलाई को सरकार को हड़ताल पर जाने की सूचना दी थी। इसके बावजूद कोई सुनवाई न होने पर कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय किया है।
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि वह इस बार सिर्फ आश्वासन से नहीं मानेंगे। सरकार को उनकी मांगें पूरी करनी होंगी। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के अलावा राज्य में पांच दिन की साप्ताहिक कार्यप्रणाली लागू करना एवं रिक्त पड़े करीब दो लाख पदों को भरना भी शामिल है। जबकि सरकार जनवरी 2019 तक केंद्र द्वारा निर्धारित वेतन लागू करने का आश्वासन दे रही है। सरकार का कहना है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार तुरंत वेतन दे पाना संभव नहीं है। क्योंकि पहले से ही कर्ज में डूबे राज्य पर इससे 21000 करोड़ रुपयों का खर्च और बढ़ जाएगा। आज से शुरू हुई हड़ताल में जिला परिषदों, शिक्षकों और सरकारी निगमों सहित विभिन्न विभागों के करीब 17 लाख कर्मचारी शामिल हैं।