आय से अधिक संपत्ति मामले में कृपाशंकर सिंह का परिवार भी बरी
आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक विशेष अदालत ने महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता एवं पूर्व गृहराज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह के परिवार को भी बरी कर दिया।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक विशेष अदालत ने महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता एवं पूर्व गृहराज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह के परिवार को भी बरी कर दिया। स्वयं सिंह इसी मामले में विशेष अदालत द्वारा फरवरी 2018 में ही बरी हो चुके हैं।
मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके कृपाशंकर सिंह के विरुद्ध 2012 में दर्ज इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडबल्यू), भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) एवं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने संयुक्त रूप से जांच की थी। इस मामले में न सिर्फ कृपाशंकर सिंह, बल्कि उनकी पत्नी मालती सिंह, पुत्र नरेंद्र मोहन, बेटी सुनीता एवं दामाद विजय सिंह को भी आरोपी बनाया गया था।
इसी मामले में सिंह की एक दर्जन से ज्यादा संपत्तियां भी मार्च 2012 में जब्त कर ली गई थीं। लेकिन फरवरी 2012 में विशेष न्यायाधीश डी.के.गुडथे ने कृपाशंकर सिंह को इस आधार पर बरी कर दिया था कि आर्थिक अपराध शाखा ने उनके विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल करते समय विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उनके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करेप्शन एक्ट के तहत कार्रवाई की मंजूरी देने से इंकार किए जाने की बात छुपा ली थी।
सिंह के वकील के.एच.गिरि के अनुसार आरटीआई के जरिए यह जानकारी निकालकर विशेष अदालत में प्रस्तुत किए जाने पर आर्थिक अपराध शाखा झूठ सामने आया और अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति के बिना आरोपपत्र दाखिल किए जाने को गलत मानते हुए सिंह को बरी कर दिया था। दैनिक जागरण से बात करते हुए गिरि कहते हैं कि चूंकि इस मामले में कृपाशंकर सिंह को आरोपी नंबर एक बनाया गया था। उनके परिवार के लोग सहआरोपी थे।
इसलिए सिंह के बरी होने के बाद उनके परिवार के चार सदस्यों को भी बरी करने की अपील की गई । परिजनों के मामले पर विचार करते हुए विशेष अदालत ने पाया कि उनके परिवार के सदस्य जनप्रतिनिधि न होने के कारण उनके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करेप्शन एक्ट के तहत आरोपपत्र दाखिल करना एवं कार्रवाई करना ही गलत था। इसलिए विशेष अदालत ने आज सिंह के चारों परिजनों को भी आय से अधिक संपत्ति के मामले में बरी कर दिया।
यह मामला दर्ज किए जाने के समय कृपाशंकर सिंह महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य थे। इसलिए उनके विरुद्ध प्रिवेंशन ऑफ करेप्शन एक्ट के तहत आरोपपत्र दाखिल करने से पहले विधानसभा अध्यक्ष से अनुमति लेनी आवश्यक थी। आर्थिक अपराध शाखा ने विधानसभा अध्यक्ष से दो बार यह अनुमति लेने का प्रयास किया। लेकिन पहली बार 14 जून, 2014 को, फिर 21 अक्तूबर, 2014 को विधानसभा अध्यक्ष ने यह अनुमति देने से मना कर दिया था।
लेकिन आर्थिक अपराध शाखा ने अनुमति न मिलने की बाद छुपाते हुए विशेष अदालत में सिंह एवं उनके परिवार के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। सिंह उत्तरप्रदेश के जौनपुर जनपद के मूल निवासी हैं। यह मामला दर्ज होने के बाद उन्हें राजनीतिक रूप से भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। दैनिक जागरण से बात करते हुए सिंह ने न्याय मिलने पर संतोष जाहिर किया ।