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Maharashtra: अनिल देशमुख के मामले की सुनवाई कर रहे जज का तबादला

Maharashtra कोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश एचएस सतभाई का तत्काल प्रभाव से यवतमाल जिले में स्थानांतरण कर दिया है। यवतमाल जिला पूर्वी महाराष्ट्र में है और मुंबई से इसकी दूरी 685 किमी है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 17 Nov 2021 08:14 PM (IST)Updated: Wed, 17 Nov 2021 08:14 PM (IST)
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख। फाइल फोटो

मुंबई, प्रेट्र। बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश एचएस सतभाई का तत्काल प्रभाव से यवतमाल जिले में स्थानांतरण कर दिया है। यवतमाल जिला पूर्वी महाराष्ट्र में है और मुंबई से इसकी दूरी 685 किमी है। उन्होंने सोमवार को ही देशमुख को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था। मनी लांड्रिंग मामले में देशमुख को ईडी ने एक नवंबर को गिरफ्तार किया था। जस्टिस सतभाई इस साल जुलाई से यहां की सत्र अदालत में सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों की भी सुनवाई कर रहे थे। वह कथित महाराष्ट्र सदन घोटाले के संबंध में महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल के खिलाफ एक मामले की भी सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने हाल ही में भुजबल व अन्य को आरोपमुक्त कर दिया था। जस्टिस सतभाई एक सहकारी बैंक में कथित घोटाले से संबंधित मामले में शिवसेना के पूर्व सांसद आनंद अडसुल की अग्रिम जमानत याचिका पर भी सुनवाई कर रहे थे। वह महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता एकनाथ खड़से से जुड़े कथित पुणे भूमि सौदे के मामले की भी सुनवाई कर रहे थे।

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गौरतलब है कि मनी लांड्रिंग केस में मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी में पूर्व कमिश्नर ने दावा किया था कि अनिल देशमुख ने गृह मंत्री रहते हर महीने सचिन वाझे से 100 करोड़ रुपये देने की मांग की थी। इस मामले में ईडी ने अनिल देशमुख को पूछताछ के लिए बुलाया था। पिछले दिनों पूछताछ के दौरान जांच एजेंसी ने बताया कि अनिल देशमुख की तरफ से किसी भी सवाल पर संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया है। ऐसे में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। परमबीर द्वारा पत्र लिखे जाने के बाद इ, मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने न्यायिक आयोग का गठन कर दिया था। इसके बावजूद परमबीर सिंह ने मामले की सीबीआइ जांच के लिए मुंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर कर दी थी। उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआइ ने देशमुख के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू की थी। 


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