सिनेजगत के ठेकेदारों को कठघरे में लाईं कंगना
दैनिक जागरण पिछले नौ वर्ष से 'फिल्म फेस्टिवल' के माध्यम से सिने प्रेमियों को आला दर्जे की फिल्मों से वाकिफ कराता रहा है।
मुंबई, जागरण संवाददाता। सिनेप्रेमियों के लिए दैनिक जागरण शुक्रवार को एक अनूठी सौगात लेकर आया। अपने पहले 'जागरण सिनेमा समिट' आयोजन के जरिए उसने फिल्मों की जादुई दुनिया के भूत, भविष्य और वर्तमान की असल तस्वीर लोगों के समक्ष पेश की। इस मंच पर पिछले कुछ अर्से से अपने बेबाक बयानों को लेकर चर्चा में रहीं कंगना रणौत ने कथित सिने ठेकेदारों को कठघरे में खड़ा किया। साथ ही अभिनेत्रियों के साथ होने वाले भेदभाव पर भी उन्होंने बेबाकी से विचार रखे।
दैनिक जागरण पिछले नौ वर्ष से 'फिल्म फेस्टिवलÓ के माध्यम से सिने प्रेमियों को आला दर्जे की फिल्मों से वाकिफ कराता रहा है। अब अपने इस आयोजन से उसने भविष्य के सिनेमा की गहन पड़ताल की। दिलचस्प और फख्र की बात यह रही कि इस आयोजन को खुले दिल से समर्थन करने सिने बिरादरी की मशहूर हस्तियां आईं।
समिट का आगाज विजनरी शेखर कपूर, कद्दावर अभिनेत्री कंगना रणौत और जागरण समूह के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट बसंत राठौड़ ने दीप प्रज्जवलित करके किया। शेखर कपूर ने सिनेमा में तकनीक की बढ़ती पैठ पर कहा कि अब फिल्ममेकिंग आसान हो गई है। तकनीक के कारण हमारे पास तमाम अवसर हैं।
स्मार्ट फोन से आप शूटिंग से लेकर उसकी रिलीज तक मुमकिन है। मेरी पहली फिल्म मासूम के समय ऐसी कोई सुविधा नहीं थी। कंगना रणौत ने 'भविष्य की अभिनेत्रियोंÓ विषय पर आयोजित परिचर्चा में अपने विचार बेबाकी से रखे। इसका संचालन दैनिक जागरण के सहयोगी अखबार मिड डे के इंटरटेनमेंट प्रमुख मयंक शेखर ने किया। उनसे हुइ परिचर्चा में कंगना ने साफ कहा,'भविष्य में अभिनेत्रियों के लिए राहें आसान होंगी।
अगर इंडस्ट्री के कथित सिने ठेकेदार उनकी राहों में रोड़ा न डालें। उन ठेकेदारों की दोहरी मानसिकता इसी से झलकती है कि वे अपने घर की बहु-बेटियों को तो फिल्मों में नहीं आने देते, पर अपने इर्द-गिर्द हसीनाओं की फौज रखते हैं।'
विवेक ओबरॉय ने सिनेमाघरों की अनिवार्यता घटने व डिजिटल मंच की बढ़ती उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट कहा कि नेटफिल्मस जैसे माध्यमों ने मेरी ही 'इनसाइड ऐज' को दुनियाभर में रिलीज किया। वैसा मैं अगर थिएटरों के माध्यम से जाता तो करोड़ों खर्च हो जाते। फिल्म हेरीटेज फाउंडेशन के संस्थापक शिवेंद्र सिंह डोंगरपूर ने कहा कि हमने अतीत की कई बहुमूल्य फिल्में संरक्षण के अभाव में खो दीं।