राज्य ब्यूरो, मुंबई: मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह अगले सप्ताह सीआइडी के सामने पेश होंगे। उनके खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के दो मामलों में सीआईडी उनसे पूछताछ करेगी। इससे पहले जबरन वसूली के दो मामलों में परमबीर से क्राइम ब्रांच पूछताछ कर चुकी है। सूत्रों के अनुसार, अगले सप्ताह सोमवार व मंगलवार को परमबीर, नवी मुंबई के बेलापुर स्थित सीआइडी कार्यालय में पूछताछ के लिए हाजिर हो सकते हैं। उनके विरुद्ध मुंबई के मरीन लाइंस एवं ठाणे के कोपरी पुलिस थानों में भ्रष्टाचार के दो मामले दर्ज हैं। सीआइडी इन दोनों मामलों में सिंह से उनकी भूमिका के बारे में पूछताछ करना चाहती है। अब तक मुंबई से बाहर होने के कारण वे पूछताछ के लिए उपलब्ध नहीं थे। सीआइडी इन्हीं मामलों में पुलिस इंस्पेक्टर नंद कुमार गोपाले और आशा कोरके को गिरफ्तार कर चुकी है।
परमबीर के खिलाफ की जाएगी उचित कार्रवाई : दिलीप पाटिल
महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने शुक्रवार को कहा कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ पुलिस सेवा नियमों के तहत उचित कार्रवाई की जाएगी। पाटिल ने कहा कि मुख्यमंत्री से बात करने के बाद इस सिलसिले में आगे निर्णय लिया जाएगा। इस बीच, ठाणे के पुलिस कमिश्नर ने परमबीर के खिलाफ दर्ज जबरन वसूली के आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया है। सोनू जालान द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत को लेकर मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर ने शुक्रवार को ठाणे पुलिस स्टेशन में बयान दर्ज कराया। प्रेट्र के अनुसार, परमबीर अपने वकील के साथ दिन में लगभग 10.30 बजे पुलिस स्टेशन पहुंचे और उनसे करीब सात घंटे तक पूछताछ हुई।
दूसरी तरफ, परमबीर सिंह ने एस्प्लेनेड मजिस्ट्रेट कोर्ट में आवेदन देकर उस आदेश को रद करने का अनुरोध किया है, जिसमें उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया था। अदालत इस मामले में 29 नवंबर को सुनवाई करेगी। गोरेगांव जबरन वसूली मामले की जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए सिंह कांदिवली स्थित अपराध शाखा के दफ्तर में भी पेश हुए। बताते चलें कि महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बाद परमबीर के खिलाफ भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के छह मामले दर्ज कराए गए थे। प्रेट्र के अनुसार, देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रहे एक सदस्यीय आयोग ने परमबीर सिंह को 29 नवंबर को पेश होने के लिए कहा है। जस्टिस केयू चांदीवाल आयोग का गठन इस साल मार्च में किया गया था।
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