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चार साल से ईरान में फंसे 5 भारतीय नाविक लौटे स्वदेश, ड्रग्स तस्करी के जाल में फंसकर 45 महीने रहे अपनों से दूर

ईरान में फंसे पांच भारतीय नाविक करीब चार साल बाद आखिरकार शुक्रवार दोपहर घर लौट आए हैं। वह दोपहर ईरान एयर से मुंबई पहुंचे। उनके रिश्तेदारों ने गले लगा कर उनका स्वागत किया चूमा और हवा में उठा लिया।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarFri, 24 Mar 2023 10:35 PM (IST)
चार साल से ईरान में फंसे 5 भारतीय नाविक लौटे स्वदेश, ड्रग्स तस्करी के जाल में फंसकर 45 महीने रहे अपनों से दूर
ईरान में फंसे पांच भारतीय नाविक करीब चार साल बाद शुक्रवार दोपहर घर लौटे।

मुंबई, आइएएनएस। जून 2019 से ईरान में फंसे पांच भारतीय नाविक करीब चार साल बाद आखिरकार शुक्रवार दोपहर घर लौट आए। ये पांचों हैं, मुंबई निवासी अनिकेत एस.येनपुरे और मंदार एम.वर्लीकर, पटना के प्रणव ए. तिवारी, दिल्ली के नवीन एम. सिंह और चेन्नई के थमिजह आर. सेलवन। वह दोपहर ईरान एयर से मुंबई पहुंचे। उनके रिश्तेदारों ने गले लगा कर उनका स्वागत किया, चूमा और हवा में उठा लिया।

हम करीब 45 महीनों तक अपने परिवार से दूर रहे: येनपुरे

इस दौरान सब की आंखें नम थीं। येनपुरे ने कहा, हमारी खुशी असीमित है। हम करीब 45 महीनों तक अपने परिवार से दूर रहे और बिछड़े रहे, लेकिन बुरा सपना अब खत्म हो गया है। अगले एक महीने हम आराम करेंगे और अपने परिवार के सभी सदस्यों से बातचीत करेंगे।

उन्होंने तेहरान में भारतीय दूतावास के प्रति आभार व्यक्त किया जिसने मुंबई तक उनके आपातकालीन यात्रा कागजात और टिकट की व्यवस्था की और साथ ही कुछ ईरानी वकीलों को सही सलामत घर वापसी सुनिश्चित करने के लिए धन्यवाद दिया।

अनजाने में नशीले पदार्थों की तस्करी रैकेट में फंस गए थे सभी

वर्लीकर ने कहा- हालांकि, उनके पासपोर्ट और सीडीसी नहीं सौंपे गए, और अब पांचों युवकों ने नए पासपोर्ट के लिए आवेदन करने की योजना बनाई है। फिलहाल तिवारी, सिंह और सेलवन अपने दोस्त येनपुरे और वर्लीकर के यहां ही रहेंगे, जब तक कि वो अपने-अपने गृह नगरों में लौटने के लिए अपने परिवारों से धन की व्यवस्था नहीं कर लेते। ये लोग फरवरी 2020 में ओमान के पास गहरे समुद्र में नौकायन कर रहे थे, लेकिन अनजाने में नशीले पदार्थों की तस्करी रैकेट में फंस गए, जिसे कथित तौर पर उनके जहाज के कप्तान ने अंजाम दिया था।

येनपुरे के पिता शाम येनपुरे ने कहा, 'इसके लिए, उन्हें गिरफ्तार किया गया, जेल में डाला गया और ईरान के अलग-अलग शहरों में घुनाया गया। वे कानूनी लड़ाई लड़ते रहे, छिपते भी रहे और छोटे-मोटे काम भी करते रहे।'

पीएम से लेकर ईरान के राजनयिकों सें मांगी मदद: येनपुरे के पिता

उन्होंने आगे कहा कि इस दौरान दूरदराज के इलाकों में सहानुभूतिपूर्ण ग्रामीणों द्वारा दिए गए भोजन और कपड़ों पर निर्भर रहे। शिरडी में श्री साईंबाबा मंदिर के लिए पैदल मार्च निकालते हुए, दूधवाले येनपुरे ने भावुक शब्दों में कहा- हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, भारत में ईरान के राजनयिकों और ईरान में भारतीय राजनयिकों, ईरान के शीर्ष नेताओं और अन्य लोगों से मदद के लिए संपर्क किया था।

प्रारंभ में, पांच युवकों के लिए सब कुछ ठीक-ठाक था, लेकिन 20 फरवरी, 2020 को वो अनजाने में मस्कट से लगभग 140 किमी दूर गहरे समुद्र में अपने जहाज के कप्तान के भयावह जाल में फंस गए। अवैध मिड-सी कार्गो ट्रांसफर में कुछ गलत होने का आभास होने पर, वर्लीकर और उनके सह-चालक दल ने चुपचाप इसे अपने मोबाइल फोन पर रिकार्ड कर लिया - अगले बंदरगाह पर सीमा शुल्क और ईरान पुलिस अधिकारियों के लिए सुबूत के रूप में इसका इस्तेमाल किया।

ईरानी नौसेना ने जहाज को समुद्र में रोक कर उन सभी को गिरफ्तार किया

अप्रत्याशित रूप से, अगली सुबह यानी 21 फरवरी, 2020 को ईरानी नौसेना ने जहाज को समुद्र में रोक कर उन सभी को गिरफ्तार कर लिया, और उन्हें नौसैनिक जहाज में स्थानांतरित कर दिया। फरवरी 2020 के बाद जैसे-जैसे घटनाएं सामने आईं, उन्हें इस बात का एहसास नहीं हुआ कि न केवल उनके सपने चकनाचूर हो जाएंगे, बल्कि उन्हें लगभग चार साल तक जेल में रखा जाएगा और उनके परिवार से दूर रखा जाएगा।

पांच युवकों को नौसैनिक जहाज से उतारा गया, फिर काउंटर-नारकोटिक्स विभाग द्वारा गिरफ्तार किया गया, पुलिस हिरासत में भेज दिया गया, 55 सप्ताह से अधिक जेल में बिताए गए, लेकिन बाद में 8 मार्च, 2021 को निर्दोष पाए गए और एक निचली अदालत ने उनकी रिहाई का आदेश दिया। आश्चर्यजनक रूप से, उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया और एक हाई कोर्ट के समक्ष पेश किया गया, जिसने उनकी रिहाई का फिर आदेश दिया, लेकिन यात्रा संबंधी उनके सभी दस्तावेजों को जब्त कर लिया गया।

इससे पांचों युवक 10 मार्च, 2021 से वहां फंस गए।इस बीच, ईरान सुप्रीम कोर्ट सहित विभिन्न अदालतों में मामला चलता रहा, उन्हें स्थानीय वकीलों और भारतीय दूतावास और ईरान में विभिन्न वाणिज्य दूतावासों द्वारा सभी तरह की मदद दी गई। अंत में, घर से लगभग चार साल दूर रहने के बाद, तेहरान में भारतीय दूतावास ने उनके टिकटों का प्रबंध किया तब कहीं वे स्वदेश लौट सके।