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Maharashtra: 'गिरवी' रखे आठ आदिवासी बच्चे गायब होने से मचा हड़कंप

Maharashtra नासिक के उभाडे गांव के मूल निवासी आठ आदिवासी बच्चे गायब हो गए हैं। गरीब माता-पिता ने पैसों की खातिर इन बच्चों को अहमदनगर में बंधुआ मजदूरी के रूप में काम करने के लिए गिरवी रखा था।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Thu, 15 Sep 2022 07:12 PM (IST)
Maharashtra: 'गिरवी' रखे आठ आदिवासी बच्चे गायब होने से मचा हड़कंप
'गिरवी' रखे आठ आदिवासी बच्चे गायब होने से मचा हड़कंप फाइल फोटो

मुंबई, मिडडे। Maharashtra News: महाराष्ट्र में नासिक (Nashik) के इगतपुरी तालुका के उभाडे गांव के मूल निवासी आठ आदिवासी बच्चे गायब हो गए हैं। गरीब माता-पिता ने पैसों की खातिर इन बच्चों को अहमदनगर (Ahmednagar) में बंधुआ मजदूरी के रूप में काम करने के लिए गिरवी रखा था। इन बच्चों को भेड़ चराने वाले ले जाते हैं। मां-बाप की सहमति से दलाल इन बच्चों को भेड़ और बकरी मालिकों तक पहुंचाते हैं। इसके बदले में बच्चों के परिजनों को पैसे और दलालों को कमीशन मिलता है। कुछ बच्चे तो बाद में लौट आते हैं और कुछ का पता नहीं नहीं चलता है। 

11 आदिवासी बच्चे बचाए गए

पता चला है कि अहमदनगर (Ahmednagar) जिले में राजस्व, आदिवासी विकास और स्थानीय पुलिस विभाग के शीर्ष अधिकारी बच्चों की तलाशी अभियान में जुटे हुए हैं। अब तक 11 अन्य आदिवासी बच्चों को बचा लिया गया है और आठ बच्चों की तलाशी अभियान जारी है, जिसके लिए स्थानीय चरवाहा समुदाय के साथ बैठकें की जा चुकी हैं।

बंधुआ मजदूरी रैकेट सक्रिय

यहां एक बड़ा 'बंधुआ मजदूरी का रैकेट' है, जिसमें कई बिचौलिए शामिल हैं। गरीब आदिवासी माता-पिता अपने नाबालिग बच्चों को गिरवी रख देते हैं। इसके बदले में उन्हें कुछ पैसे, बकरी, भेड़ या नकद दे दी जाती है। इसके बाद बच्चों को बिचौलियों को सौंप दिया जाता है। बच्चों को भेड़-पालन इकाइयों में काम करने के लिए ले जाने के बाद जब भी बिचौलिए उनके मूल स्थानों पर जाते हैं, तो उनके माता-पिता अपने बच्चों से बात करने के लिए कहते हैं, लेकिन माता-पिता को अपने बच्चों से बात करने से वंचित रखा जाता है। 

आदिवासियों का आरोप

उभाडे गांव में लोग गरीबी से जूझ रहे हैं। आदिवासियों का आरोप है कि उनके पास अपनी झोपड़ियों में खाना बनाने के लिए कुछ नहीं है और न ही सरकार ने उन्हें राशन मुहैया कराया है। उनके कुछ बच्चे कई साल से लापता हैं। उभाडे गांव इगतपुरी तालुका में घोटी-सिन्नार रोड पर स्थित है, यहां कातकरी समाज के 138 आदिवासी 26 झोपड़ियों में रह रहे हैं। 

इसलिए भेजते हैं बच्चों को

वाघ ने अपने दो बेटों राजू और करण को अहमदनगर जिले के संगमनेर तालुका के डोंगर गांव में भेड़-पालन इकाई में काम करने के लिए भेजा था। सात साल पहले एक 40 वर्षीय सुनीता देवीदास मुकने ने अपने दो बेटों धोंडू, पांडु और एक बेटी लक्ष्मी को भेजा। उसके मुताबिक, कांतिलाल करांडे लगभग सात साल पहले अहमदनगर में एक भेड़-पालन इकाई में काम करने के लिए मेरे बच्चों को ले गए, तब से मैंने उन्हें नहीं देखा है। जब भी मैं उनसे (करांडे) पूछती हूं, तो वह मुझसे कहते हैं कि बच्चे अच्छा कर रहे हैं, लेकिन मुझे नहीं पता कि वे कैसे और कहां हैं?।

बड़ा बेटा भाग गया, छोटा बेटा नहीं मिला

55 वर्षीय वसंत बाबूराव पवार ने बताया कि उनके दो बेटों गोकुल (8) और तुकाराम (11) को करांडे संगमनेर के डोंगर गांव ले गया। किसी तरह मेरा बड़ा बेटा वहां से भाग गया, लेकिन मुझे अभी तक छोटा बेटा नहीं मिला है।यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने कोई प्राथमिकी दर्ज की है, पवार ने कहा कि मैं थाने जाने से डरता हूं। एक 26 वर्षीय पिंटो वाघ ने कहा कि मेरा भाई आकाश सात साल का था, जब करांडे उसे ले गया। वह अब कहां है, हमें कोई जानकारी नहीं है। तीन बच्चे सुदाम सीताराम भोइर (15), सुदाम वसंत वाघ और उनकी बहन जानकी वाघ गौरी अगिवले अपने गांव में मिले, जिन्होंने इस महीने की शुरुआत में गंभीर रूप से चोटों के कारण दम तोड़ दिया। इसके बाद पूरे रैकेट का पर्दाफाश हुआ।

बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने के लिए गिरवी रखा

सुदाम भोईर ने कहा कि मुझे रामदास लवहाटे द्वारा अहमदनगर जिले के पार्कर तालुका में सकुर मांडवा ले जाया गया। हमें हर रोज सुबह पांत बजे उठने के लिए कहा जाता था, लेकिन 12 बजे के आसपास नाश्ता मिलता था। मुझे भेड़ों की खाल साफ करने व पानी लाने और परिसर को साफ रखने का काम दिया गया था। भोईर के बड़े भाई ने उसे बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने के लिए गिरवी रखा था। 

इनकी हुई गिरफ्तारी

पुलिस ने अलग-अलग मामलों में सात अगस्त को रामदास लवहाटे, रवा खताल, रामा पोकले, कांतिलाल करांडे और प्रकाश पुनेकर के खिलाफ मामला दर्ज किया है। एसडीपीओ और जांच अधिकारी राहुल मदने ने कहा कि तीन प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। विकास कुदनार, उनकी पत्नी सुमन, संगमनेर के प्रकाश पुनेकर व पार्कर तालुका से चार आरोपित कांतिलाल करांडे, रामदास लवाटे, हरि भाऊ खताल व बबन पोकाले सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

सीएम को लिखा पत्र

महाराष्ट्र में आदिवासियों के लिए योजनाओं की स्थिति को देखने के लिए सरकार द्वारा नियुक्त समिति के अध्यक्ष विवेक पंडित ने कहा कि आठ आदिवासी बच्चे लापता हैं। 11 को अहमदनगर में हमारे पुरुषों और स्थानीय प्रशासन के संयुक्त प्रयासों से बचाया गया है। मैंने मुख्यमंत्री को उन्हें रिमांड होम में रखने के बजाय आश्रम शाला में भर्ती करने के लिए पत्र लिखा है।