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मुंबई में डाक्टरों ने बच्ची के पेट से निकाला बालों का गुच्छा, अपने ही बाल खाने की अजीब बीमारी से ग्रसित

मुंबई के दादर में डॉक्टरों ने 10 वर्षीय बच्ची के पेट से 100 ग्राम बाल निकाले हैं। बच्ची ट्रिकोटिलोमेनिया और ट्राइकोपागिया से पीड़ित थी। यह ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को अपने बाल निकालने की प्रबल इच्छा होती है।

By AgencyEdited By: Amit SinghThu, 30 Mar 2023 12:40 AM (IST)
मुंबई में डाक्टरों ने बच्ची के पेट से निकाला बालों का गुच्छा, अपने ही बाल खाने की अजीब बीमारी से ग्रसित
डाक्टरों ने बच्ची के पेट से निकाला बालों का गुच्छा

मुंबई, मिड डे: मुंबई के दादर में डॉक्टरों ने 10 वर्षीय बच्ची के पेट से 100 ग्राम बाल निकाले हैं। बच्ची ट्रिकोटिलोमेनिया और ट्राइकोपागिया से पीड़ित थी। यह ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को अपने बाल निकालने की प्रबल इच्छा होती है और व्यक्ति अपने बाल खुद ही खा लेता है (ट्राइकोपागिया)। बच्ची की मां ने अपने मुश्किल समय के बारे में बताया कि उनकी बेटी के पेट में रह-रह कर दर्द होता रहता था। यह दर्द समय के साथ बढ़ गया।माता-पिता ने कई डॉक्टरों से परामर्श किया लेकिन वे उसका इलाज नहीं कर पाए। अंततः वाडिया अस्पताल के डॉक्टरों ने उसका ऑपरेशन किया और उसके पेट से 100 ग्राम बालों का गुच्छा निकाला।

नौ वर्ष में शुरु हो गया मासिक धर्म

पीड़ित बच्ची पिछले एक साल से अपने बाल खा रही थी, लेकिन परिवार को इस बात की भनक तक नहीं थी। वह मासिकधर्म की भी दवा ले रही थी क्योंकि उसे 9 साल की उम्र में ही मासिक धर्म हो गया था। बच्ची को एक साल से अधिक समय से भारी रक्तस्राव के बाद पेट में दर्द हो रहा था लेकिन उसे उल्टी, दस्त या वजन कम होने जैसे कोई अन्य लक्षण या लक्षण नहीं थे। इस पर माता-पिता ने विभिन्न डॉक्टरों से परामर्श किया, लेकिन वे दर्द के पीछे के कारण की पहचान नहीं कर सके।

डाक्टरों ने दी मनोचिकित्सकों से परामर्श की सलाह

अंततः उसकी मां उसे वाडिया अस्पताल ले गई। यहां बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पराग करकेरा बच्ची के पेट मेंगांठ महसूस की। फिर सीटी स्कैन में पेट में बाल पाए गए। बाल चूंकि घुल नहीं पाते हैं, इसलिए पाचन तंत्र में बने रहते हैं। इस तरह ये बाल धीरे-धीरे इकट्ठे होकर गुच्छा बन गए थे। फिर चिकित्सकों ने बच्ची ऑपरेशन किया और दो घंटे की सर्जरी के बाद 100 ग्राम बालों का गुच्छा निकाला गया। रोगी की छुट्टी हो गई है और अब वह स्वस्थ है। डॉ. पराग ने जानकारी दी कि माता-पिता विकार के बारे में जानकर हैरान थे। उन्हें सुझाव दिया कि वे बच्ची को इलाज के लिए मनोचिकित्सक के पास ले जाएं क्योंकि अगर उसने बाल खाना जारी रखा तो यह बच्चे के लिए आगे समस्या होगी।