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One Year Of Maharashtra Government: महाराष्ट्र में संविधान ध्वस्त होने जैसी स्थितिः देवेंद्र फड़णवीस

One Year Of Maharashtra Government देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि सरकार के एक वर्ष पूरे होने के ठीक एक दिन पहले आए सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के दो फैसलों से यह सिद्ध हो गया है कि राज्य में संविधान ध्वस्त होने जैसी स्थिति पैदा गई है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Sat, 28 Nov 2020 03:42 PM (IST)
One Year Of Maharashtra Government: महाराष्ट्र में संविधान ध्वस्त होने जैसी स्थितिः देवेंद्र फड़णवीस
देवेंद्र फड़णवीस ने कहा, महाराष्ट्र में संविधान ध्वस्त होने जैसी स्थिति। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, मुंबई। One Year Of Maharashtra Government: महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि सरकार के एक वर्ष पूरे होने के ठीक एक दिन पहले आए सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के दो फैसलों से यह सिद्ध हो गया है कि राज्य में संविधान ध्वस्त होने जैसी स्थिति पैदा गई है। सत्ता का दुरुपयोग हो रहा है। इस स्थिति में हालांकि हम राष्ट्रपति शासन की मांग नहीं कर रहे हैं, लेकिन विपक्ष की भूमिका निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। फिलहाल, महाराष्ट्र में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे देवेंद्र फड़णवीस ने कोर्ट के जिन दो फैसलों का जिक्र किया, उनमें से एक अभिनेत्री कंगना रनोट का बंगला तोड़े जाने के संबंध में आया मुंबई उच्च न्यायालय का निर्णय है।

दूसरा, पत्रकार अर्नब गोस्वामी के संबंध में आया सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय है। कंगना का बंगला तोड़े जाने के मामले में उच्च न्यायालय ने न सिर्फ मुंबई महानगर पालिका की कार्रवाई को गलत ठहराया है, बल्कि कंगना को मुआवजा दिलाने के संकेत भी दिए हैं। जबकि अर्नब के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय व राज्य सरकार पर तीखी टिप्पणियां की हैं। फड़णवीस ने इन्हीं दोनों फैसलों को आधार बनाते हुए कहा कि इन दो फैसलों से राज्य सरकार से जबरदस्त चपत लगाई है। इन दो प्रकरणों से ही राज्य सरकार की कामयाबी का पता चल जाता है। इन दो प्रकरणों से ही सरकार की कामयाबी का पता चल जाता है। इन फैसलों से राज्य में सरकारी तंत्र के दुरुपयोग का भी पता चलता है। सरकार के विरुद्ध बोलने वालों को जेल में डालने का रवैया अपनाया जा रहा है। फड़णवीस ने ये सवाल भी उठाया कि कोर्ट द्वारा की गई इन टिप्पणियों के लिए किसको जिम्मेदार ठहराया जाएगा? गृहमंत्री को? मुख्यमंत्री को? या फिर उनके आदेशों का पालन करने वाले अधिकारियों को? फड़णवीस ने कहा कि सरकार के एक वर्ष पूरा होने पर उपलब्धि कुछ भी नहीं है।

एक दिन पहले ही शिवसेना के मुखपत्र सामना में प्रकाशित हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लंबे साक्षात्कार का उल्लेख करते हुए फड़णवीस कहते हैं कि हमने महाराष्ट्र में धमकाने वाला ऐसा मुख्यमंत्री पहली बार देखा है। इस साक्षात्कार में जहां सरकार का विजन और योजना स्पष्ट होनी चाहिए थी। बल्कि इस साक्षात्कार में सिर्फ टीका-टिप्पणी और धमकी ही दिखाई दे रही है। सामना के साक्षात्कार में उद्धव-‘फिलहाल सिर्फ हाथ धो रहा हूं, हावी होऊंगा तो हाथ धोकर पीछे पड़ जाऊंगा। आपके पास प्रतिशोध चक्र है, तो हमारे पास सुदर्शन चक्र है। हम वह आपके पीछे लगा सकते हैं। आप परिवार पर आओगे, बच्चों पर आने वाले होगे तो आपका भी परिवार और बच्चे हैं। आप दूध के धुले नहीं है। आपकी खिचड़ी कैसे बनती है, ये हम बनाएंगे।’ फड़णवीस कहते हैं कि संविधान की शपथ लेते समय हम लोग राग-द्वेष छोड़कर काम करने की शपथ लेते हैं, लेकिन ऐसी भाषा का उपयोग करने वाला मुख्यमंत्री पहले नहीं देखा गया। फड़णवीस उद्धव को सलाह देते हुए कहते हैं कि आप पांच साल राज चलाओ, लेकिन धमकियां मत दो। मुख्यमंत्री को बोलने में संयम बरतना चाहिए। ऐसी भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए, जो मुख्यमंत्री को शोभा दे।

सरकार की असफलताओं का जिक्र करते हुए फड़णवीस कहते हैं कि इसकी एकमात्र उपलब्धि पिछली सरकार की विकास योजनाओं को स्थगित करना रहा है। आरे मेट्रो कार शेड, जलयुक्त शिवार जैसी करीब एक दर्जन योजनाओं का नाम गिनाते हुए फड़णवीस कहते हैं कि कोरोना काल में करीब 100 पत्र लिखकर हमने मुख्यमंत्री को सकारात्मक सुझाव दिए। जिनका पालन किया गया होता, तो कोरोना से मरने वालों में सर्वाधिक संख्या महाराष्ट्र की न होती। वह कहते हैं कि कोरोना काल में हुए भ्रष्टाचार और लूट का खुलासा वह बाद में करेंगे।