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National Defense Academy: तीनों सेनाओं के प्रमुख एक साथ पहुंचे एनडीए

National Defense Academy एनडीए के इतिहास में यह दूसरा अवसर ही था जब एनडीए में ही प्रशिक्षण प्राप्त तीनों सेना प्रमुख एक साथ एनडीए में आए हों। इससे पहले 1991 में ऐसा हुआ था जब एनडीए के पहले बैच में एक साथ प्रशिक्षित तीनों सेना प्रमुख एनडीए में आए थे।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 21 Aug 2021 08:54 PM (IST)Updated: Sat, 21 Aug 2021 08:54 PM (IST)
National Defense Academy: तीनों सेनाओं के प्रमुख एक साथ पहुंचे एनडीए
तीनों सेनाओं के प्रमुख एक साथ पहुंचे एनडीए। फाइल फोटो

मुंबई, राज्य ब्यूरो। भारत की तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने दो दिन एक साथ राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में बिताए। तीनों प्रमुख इसी अकादमी में एक ही बैच के कैडेट भी रहे हैं। तीनों प्रमुखों एक साथ एनडीए का दौरा कर वहां की प्रशिक्षण सुविधाओं का जायजा लिया व वहां प्रशिक्षण ले रहे कैडेटों के सामने तीनों सेनाओं की एकजुटता के महत्व को भी रेखांकित किया। थलसेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया ने 20 व 21 अगस्त को पुणे के खडकवासला स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पहुंचे। ये तीनों प्रमुख एनडीए के 56वें बैच के कैडेट भी रहे हैं।

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रक्षा विभाग के प्रवक्ता के अनुसार, एनडीए के इतिहास में यह दूसरा अवसर ही था, जब एनडीए में ही प्रशिक्षण प्राप्त तीनों सेना प्रमुख एक साथ एनडीए में आए हों। इससे पहले 1991 में ऐसा हुआ था, जब एनडीए के पहले बैच में एक साथ प्रशिक्षित तीनों सेना प्रमुख एनडीए में आए थे। यह अकादमी अब तक 13 थलसेना प्रमुख, 11 नौसेना प्रमुख व नौ वायुसेना प्रमुख दे चुकी है। इसके अलावा देश के प्रथम चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत भी यहीं के कैडेट रह चुके हैं। तीनों सेना प्रमुखों की ओर से एनडीए के वर्तमान बैच के कैडेटों को संबोधित करते हुए एडमिरल करमबीर सिंह ने युद्ध के नए तौर-तरीकों पर प्रकाश डाला। साथ ही तीनों, प्रमुखों ने एनडीए में कैडेटों की प्रशिक्षण प्रणाली का भी जायजा लिया। दो दिन पहले ही सर्वोच्च न्यायालय ने एनडीए की परीक्षा में लड़कियों को भी भाग लेने की अनुमति प्रदान कर दी है। अब तक महिला अधिकारी सिर्फ आफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए) के जरिए ही सेना में प्रवेश करती थीं।

तीनों सेनाओं के कैडेट्स को एक साथ प्रशिक्षित करने के लिए अकादमी शुरू करने का फैसला 1945 में एक कमेटी ने किया था, जिसकी अध्यक्षता भारतीय सेना के तत्कालीन कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल सर क्लाउडे आचिनलेक कर रहे थे। 1949 में यह अकादमी अस्थायी रूप से देहरादून में शुरू हुई। पुणे के निकट खडकवासला में एनडीए के निर्माण की शुरुआत छह अक्तूबर, 1949 को हुई और 16 जून, 1955 को इसका उद्घाटन हुआ। तब से अब तक यहां प्रशिक्षण प्राप्त तीन पूर्व छात्रों कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया, सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल व कैप्टन मनोज कुमार पांडे को मरणोपरांत परमवीर चक्र, नौ पूर्व छात्रों को अशोक चक्र, 31 पूर्व छात्रों को महावीर चक्र व 152 छात्रों को वीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है। 


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