जेडे हत्याकांड में पूर्व पत्रकार वोरा को बरी करने का फैसला सही: हाई कोर्ट
Bombay High Court. सीबीआइ ने आरोप पत्र में दावा किया था कि वोरा ने पेशागत दुश्मनी के कारण मिड डे अखबार के पत्रकार जेडे की शिकायत विदेश में रह रहे गैंगस्टर राजन से की थी।
मुंबई, प्रेट्र। बांबे हाई कोर्ट ने पत्रकार जे. डे हत्याकांड में मंगलवार को वर्ष 2018 में सीबीआइ की विशेष अदालत के फैसले को बरकरार रखा। विशेष अदालत ने हत्याकांड की आरोपित पूर्व पत्रकार जिग्ना वोरा को बरी कर दिया था।
जस्टिस बीपी धर्माधिकारी और एसके शिंदे की पीठ ने पाया कि वर्ष 2011 के इस हत्याकांड में सीबीआइ वोरा के खिलाफ साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रही है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में सीबीआइ की विशेष अदालत ने गैंगस्टर छोटा राजन व अन्य आठ लोगों को सजा सुनाई थी, जबकि वोरा व पॉल्सन जोसफ को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। सीबीआइ ने वोरा व पॉल्सन को बरी किए जाने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
पीठ ने मंगलवार को कहा कि सीबीआइ ने कुछ फोन कॉल और चश्मदीद गवाहों के आधार पर वोरा व राजन आदि के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। हालांकि, कोई भी फोन कॉल यह साबित नहीं कर सका कि डे की हत्या वोरा के कहने पर की गई थी।
गौरतलब है कि सीबीआइ ने आरोप पत्र में दावा किया था कि वोरा ने पेशागत दुश्मनी के कारण मिड डे अखबार के पत्रकार जेडे की शिकायत विदेश में रह रहे गैंगस्टर राजन से की थी। 11 जून 2011 को मोटरसाइकिल पर सवार दो बदमाशों ने जेडे (56) की उपनगरीय पोवई इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी थी। अभियोजन के अनुसार, गैंगस्टर राजन अपने गिरते स्वास्थ्य और अंडरवर्ल्ड में कमजोर होती पकड़ के संबंध में डे की रिपोर्टिग को लेकर नाराज था, इसलिए उसने डे की हत्या करवा दी। इंडोनेशिया में गिरफ्तारी और अक्टूबर 2015 में भारत में प्रत्यर्पित किए जाने के बाद राजन इन दिनों दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है।