Coronavirus: मुस्लिमों के अंतिम संस्कार का जिम्मा पीएफआइ को देने से भाजपा नाराज
Devendra Fadnavis. नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फड़नवीस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। Devendra Fadnavis. मुंबई में कोविड-19 से मरने वाले मुस्लिमों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी मुंबई महानगरपालिका ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) को दे दी है। बीएमसी का यह फैसला भाजपा को रास नहीं आ रहा है। नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फड़नवीस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।
फड़नवीस के अनुसार, बीएमसी ने 18 मई को एक आदेश जारी कर कोविड अस्पतालों को कोरोना से मरने वाले मुस्लिमों के शव पीएफआइ को सौंपने के निर्देश दिए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि पीएफआइ एक ऐसा संगठन है जिसपर देश विरोधी एवं समाज विरोधी काम करने के आरोप हैं। केरल, कर्नाटक, झारखंड एवं उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी चल रही है। सीएए का विरोध करने के लिए उत्तर प्रदेश और दिल्ली में हुए आंदोलनों एवं दंगों में पीएफआइ पर फंड उपलब्ध कराने का भी आरोप है।
ईडी के अनुसार, पीएफआइ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश स्थित बैंक खातों में सीएए कानून बनने के बाद 120 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा हुए। माना जाता है कि इस धन का उपयोग शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को परवान चढ़ाने एवं उसके बाद दिल्ली के सांप्रदायिक दंगों में हुआ।
फड़नवीस सवाल उठाते हैं कि जिस संगठन पर इस प्रकार के देश विरोधी कृत्यों का आरोप हो, उसे इस प्रकार की जिम्मेदारी सौंपना कहां तक उचित है? उद्धव ठाकरे से इसका जवाब मांगते हुए उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री इस फैसले से सहमत नहीं हैं, तो क्या वह आदेश जारी करने वालों पर कार्रवाई करेंगे?
बता दें कि मुंबई के कोविड अस्पतालों में शवों के ढेर समस्या बन गए हैं। ज्यादातर मामलों में परिजन शव नहीं ले रहे हैं। इस कारण अस्पतालों के शवगृहों में अब जगह नहीं बची है। शायद इससे निजात पाने के लिए ही बीएमसी ने मुस्लिमों के शव पीएफआइ को सौंपने का फैसला किया है। लेकिन पीएफआइ का इतिहास अब बीएमसी एवं राज्य सरकार के गले की हड्डी बन गया है। पिछले 30 वर्षो से बीएमसी में सत्ता में बैठी राष्ट्रवाद का दम भरने वाली शिवसेना की ही अब राज्य में सरकार भी है।