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Maharashtra: चीन पर शरद पवार के बाद मिलिंद देवड़ा ने भी राहुल गांधी को घेरा

Milind Deora. मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट करके इस अवसर पर एकजुटता का प्रदर्शन करने की सलाह दी है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 28 Jun 2020 06:40 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2020 06:40 PM (IST)
Maharashtra: चीन पर शरद पवार के बाद मिलिंद देवड़ा ने भी राहुल गांधी को घेरा
Maharashtra: चीन पर शरद पवार के बाद मिलिंद देवड़ा ने भी राहुल गांधी को घेरा

राज्य ब्यूरो, मुंबई। Milind Deora. भारत-चीन विवाद पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का रुख अब उन्हीं की पार्टी के लोगों को रास नहीं आ रहा है। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट करके इस अवसर पर एकजुटता का प्रदर्शन करने की सलाह दी है। एक दिन पहले ही राकांपा अध्यक्ष शरद पवार भी राहुल गांधी के बयानों पर उन्हें आइना दिखा चुके हैं।

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मिलिंद देवड़ा ने शनिवार को किए अपने ट्विट में कहा कि यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब चीन के अतिक्रमण के खिलाफ हमारी राष्ट्रीय आवाज एक होनी चाहिए, उस समय हम राजनीतिक कीचड़बाजी में व्यस्त हैं। जब हमें चीनी घुसपैठ के खिलाफ एकजुट होकर उसका समाधान ढूंढना चाहिए, तो हम अपने मतभेदों को उजागर करने में लगे हैं। हालांकि इस बयान में मिलिंद देवड़ा ने कही राहुल गांधी का नाम नहीं लिया है, लेकिन माना जा रहा है कि उनका इशारा उन्हीं की ओर है।

मिलिंद देवड़ा न सिर्फ कांग्रेस के युवा नेता हैं, बल्कि लंबे समय तक मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके मुरली देवड़ा के पुत्र भी हैं। वह मनमोहन सरकार में जहाजरानी विभाग के राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। उन्हें पिछले लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही संजय निरूपम को इस पद से हटाकर मुंबई कांग्रेस की कमान दी गई थी, लेकिन चुनाव में न सिर्फ कांग्रेस की बुरी तरह पराजय हुई, बल्कि मिलिंद खुद भी नहीं जीत सके। इस हार के कुछ दिनों बाद जब राहुल गांधी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया, तो मिलिंद ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

मिलिंद देवड़ा इससे पहले भी कई बार राहुल गांधी के बयानों से असहमति जता चुके हैं। दो दिन पहले ही उन्होंने आपातकाल को याद करते हुए अपने एक ट्वीटर संदेश के जरिए कांग्रेस का नाम लिए बिना उसे आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दी थी। उन्होंने लिखा था कि आपातकाल हमें उस लोकतंत्र की याद दिलाती है, जब पूरी ताकत से उसका विरोध किया गया था। यह बात राजनीतिक दलों पर भी लागू होती है। लोकतांत्रिक संगठनों को भी अपनी चुनौतियों से पार पाना होगा। लोकतंत्र लगातार चलनेवाली एक प्रक्रिया है, जोकि प्रतिबद्धता, त्याग और ईमानदार आत्मनिरीक्षण मांगती है।

अप्रैल में जब कच्चे तेल के दाम लगातार गिर रहे थे, तब राहुल गांधी ने ट्वीट किया था कि सरकार तेल के दामों में इस गिरावट का लाभ आम जनता को कब देगी। तब देवड़ा ने उनसे खुली असहमति जताते हुए लिखा था कि जब लॉक डाउनके कारण सड़कों पर कार, बस, ट्रक चल ही नहीं रहे हैं। ट्रेनें और हवाई जहाज भी बंद हैं, तो तेल के दामों में गिरावट का लाभ आम जनता कैसे उठा सकती है ?


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