Aarey Forest Protest: आरे फॉरेस्ट मामले में 29 प्रदर्शनकारी रिहा, जानें क्या है पूरा मामला
Aarey Forest Protest आरे फॉरेन मामले में हिरासत में लिए गए 29 प्रदर्शनकारियों को रविवार को रिहा कर दिया गया है।
मुंबई, एएनआइ। मुंबई में गोरेगांव के आरे फॉरेस्ट मामले में रविवार गिरफ्तार किए गये 29 प्रदर्शनकारियों को ठाणे जेल से रिहा कर दिया गया था। सार्वजनिक आदेश में रुकावट डालने और सरकारी अधिकारियों को उनके कर्तव्यों के पालन में बाधा डालने के आरोप में इन्हें आरे से गिरफ्तार किया गया था।आरे कॉलोनी में धारा 144 अभी भी लागू है, स्थानीय निवासियों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है।
गौरतलब है कि रविवार को मुंबई की आरे कॉलोनी में प्रवेश करने से पहले ही दलित नेता एवं वंचित बहुजन आघाड़ी प्रमुख प्रकाश आंबेडकर को हिरासत में ले लिया गया। हालांकि कुछ देर बाद उन्हें रिहा करने पर प्रकाश आंबेडकर ने सरकार पर ताकत का दुरुपयोग का आरोप लगाया। आंबेडकर ने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा आरे के वृक्षों को बचाने के लिए आंदोलन करती रहेगी।
पेड़ों की कटाई का विरोध
मुंबई के गोरेगांव में आरे कॉलोनी में मेट्रो रेल कार्पोरेशन (एमएमआरसीएल) द्वारा मेट्रो-3 शेड के लिए की जा रही पेड़ो की कटाई के विरोध में प्रकाश आंबेडकर भी आरे कॉलोनी जाकर अपना समर्थन दर्ज करवाना चाह रहे थे लेकिन प्रवेश से पहले ही उन्हें रोक दिया गया था, ज्ञात हो कि प्रदर्शनकारियों के चलते शनिवार से ही इस इलाके में धार 144 लागू की गयी है। मिली जानकारी के अनुसार अब तक 700 पेड़ काटे जा चुके हैं, जबकि मुंबई वासियों को ये हरित पट्टी शुद्ध हवा प्रदान करती है। वंचित बहुजन आघाड़ी पार्टी शुरु से ही पेड़ों की कटाई का विरोध करती है।
क्यों लगायी गयी धारा 144
शुक्रवार रात को शुरु हुए इस विरोध के बाद शनिवार सुबह आरे कॉलोनी में धारा 144 लागू कर दी गयी थी। कॉलोनी मे पांचों प्रवेशद्वार लोगों के प्रवेश पर अभी भी प्रतिबंध है। पूरे इलाके में लोगों के एकत्रित होने के कारण धारा 144 लगायी गयी थी।
याद आया चिपको आंदोलन
गोरेगांव की आरे कॉलोनी घटना ने चिपका आंदोलन की यादें फिर ताजा कर दी। पेड़ों की कटाई का विरोध करने के लिए एक सामाजिक कार्यकर्ता पेड़ से लिपटकर खड़ी हो गयी थी। ज्ञात हो कि चिपको आंदोलन पर्यावरण को बचाने के लिए किया गया था। ये आंदोलन 1973 में उत्तराखंड के चमोली जिले मे हुआ था, इसका नेतृत्व भारत के लोकप्रिय पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा, चंडीप्रसाद भट्टï और गौरा देवी ने किया था। इस आंदोलन में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने सक्रिय भूमिका निभाई थी जैसे ही कोई पेड़ काटने आता था महिलाएं पेड़ों से चिपक जाती थीं। जिसके बाद इसका नाम चिपको आंदोलन पड़ गया।
आदित्य ठाकरे ने भी किया विरोध
शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे में नी ट्वीट के जरिये आरे कॉलोनी में हो रही पेड़ों की कटाई का विरोध किया था। आदित्य ने कहा था कि आरे कॉलोनी के आस पास की पेड़ों की कटाई करना केंद्र सरकार के उद्देश्य को पूरी तरह से नष्ट कर रहा है।