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राज्यपाल को राहत, हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द की

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने किसी राज्यपाल के संबंध में देश के न्यायिक इतिहास का पहला फैसला सुनाते हुए व्यापमं मामले में दर्ज एफआईआर से नाम हटाने के निर्देश जारी कर दिए।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 06 May 2015 01:01 AM (IST)Updated: Wed, 06 May 2015 01:06 AM (IST)

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने किसी राज्यपाल के संबंध में देश के न्यायिक इतिहास का पहला फैसला सुनाते हुए व्यापमं मामले में दर्ज एफआईआर से नाम हटाने के निर्देश जारी कर दिए।

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मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर व जस्टिस रोहित आर्या की डिवीजन बेंच ने पूर्व में दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद सुरक्षित किया गया फैसला मंगलवार को सुनाया। इस 62 पृष्ठीय फैसले में साफ किया गया कि व्यापमं द्वारा आयोजित फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा घोटाले में आरोपी क्रमांक-10 बनाए गए राज्यपाल रामनरेश यादव का नाम एफआईआर से अविलंब अलग कर दिया जाए। हालांकि उस एफआईआर क्रमांक में दर्ज अन्य आरोपियों के खिलाफ एसटीएफ अपनी जांच जारी रखने स्वतंत्र है।

राज्यपाल अपनी इच्छा से दर्ज करा सकते हैं बयान

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि यदि राज्यपाल रामनरेश यादव चाहें तो अपनी इच्छा से व्यापमं फर्जीवा़$डे में बयान दर्ज करा सकते हैं। इस सिलसिले में एसटीएफ उन पर किसी तरह का कोई दबाव बनाकर बाध्य कतई नहीं कर सकेगी। यही नहीं उन्हें पुलिस स्टेशन या कहीं और तलब करके बयान दर्ज नहीं कराया जा सकता, इसके लिए एसटीएफ के जांच अधिकारी को एडीशनल डीजीपी स्तर के अधिकारी के साथ राजभवन जाना होगा। वहां राज्य के प्रमुख राज्यपाल के पद व गरिमा का समुचित सम्मान करते हुए बयान दर्ज किए जा सकेंगे।

रामजेठमलानी सहित अन्य के तर्क मंजूर

हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्यपाल की ओर से बहस करने पूर्व में नई दिल्ली से जबलपुर आए वरिष्ठ अधिवक्ता रामजेठमलानी, जबलपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्शमुनि त्रिवेदी व महेन्द्र पटेरिया के सभी तर्क मंजूर करते हुए विस्तृत आदेश सुनाया। हाईकोर्ट ने माना कि अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के संबंध में अमेरिकन सुप्रीम कोर्ट और यूनियन कार्बाइड के मामले में भारत के सुप्रीम कोर्ट के 5 न्यायाधीशों की पूर्व संवैधानिक बेंच ने जो ऐतिहासिक निर्णय सुनाए थे, उनके तहत संविधान के अनुच्छेद-361 [2] में राष्ट्रपति व राज्यपाल को जो विशेषाधिकार दिया गया है, वह पूर्व-विशेषाधिकार है। लिहाजा, उसका कोई अपवाद नहीं हो सकता। इसीलिए राज्यपाल के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर रद्द किए जाने योग्य है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि संविधान के अनुच्छेद-361 [2] में साफतौर पर 'जो कुछ भी हो [ वॉट-सो-एवर] शब्द लिखा गया है।

एसआईटी-एसटीएफ ने दो सीलबंद लिफाफों में पेश की रिपोर्ट

आज होगी सुनवाई

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने व्यापमं फर्जीवाड़े की जांच एजेंसी एसटीएफ और उसकी निगरानी करने वाली एजेंसी एसआईटी द्वारा मंगलवार को सीलबंद लिफाफों में पेश की गई दो रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर ले लिया। इसी के साथ मामले की सुनवाई बुधवार 6 मई को किए जाने की व्यवस्था दे दी गई। इस दौरान राज्य की ओर से पक्ष रखने अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव खड़े हुए। कोर्ट ने दोनों रिपोर्ट का अध्ययन करने में अधिक समय लगने के मद्देनजर सुनवाई आगे बढ़ा दी। मंगलवार को यह मामला कोर्ट उठने के चंद मिनिट पहले सुनवाई के लिए लगा। इस वजह से समयाभाव महसूस करते हुए बुधवार को विस्तार से सुनवाई का निर्णय ले लिया गया।


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