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बारूद के ढेर पर है इंदौर के अधिकांश शॉपिंग मॉल और बहुमंजिला इमारतें, आग से निपटने के नहीं हैं इंतजाम

Fire Fighting Arrangements इंदौर शहर में बने अधिकांश शॉपिंग मॉल और बहुमंजिला इमारतों में आग से निपटने के इंतजाम नहीं हैं। इसे लेकर दायर की गई एक याचिका पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। शहर के कई शापिंग मॉल और व्यवसायिक इमारतों में बार पब चल रहे हैं।

By Babita KashyapEdited By: Published: Fri, 08 Oct 2021 12:14 PM (IST)Updated: Fri, 08 Oct 2021 01:08 PM (IST)
बारूद के ढेर पर है इंदौर के अधिकांश शॉपिंग मॉल और बहुमंजिला इमारतें, आग से निपटने के नहीं हैं इंतजाम
इंदौर के अधिकांश शॉपिंग मॉल और बहुमंजिला इमारतों में आग से निपटने का इंतजाम नहीं है

इंदौर, जेएनएन। मध्‍य प्रदेश के इंदौर शहर के अधिकांश शॉपिंग मॉल और बहुमंजिला इमारतों में आग लगने की स्थिति में उपलब्‍ध इंतजामों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में दायर याचिका पर आज सुनवाई होगी। इस मामले में दायर की गई याचिका में बताया गया है कि इन जगहों पर आग से निबटने के इंतजाम अपर्याप्‍त हैं इस लिए कहा जा सकता है कि यहां के अधिकांश शॉपिंग मॉल, बहुमंजिला व्यवसायिक इमारतें बारूद के ढेर पर हैं।

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 आग से निपटने का कोई प्रबंध नहीं

इन बहुमंजिला इमारतों और आलीशान माल्‍स में आग से निपटने का कोई प्रबंध नहीं किया गया है। जब इन इमारतों का निर्माण हुआ था उस समय इन्‍होंने फायर अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया था। नियमों के अनुसार इस प्रमाण पत्र को हर दो साल में रिन्‍यु करवाना होता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस मामले में राजेंद्र के गुप्‍ता ने याचिका दायर की थी। डिविजनल बेंच के समक्ष शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता ने पिछली सुनवाई के दौरान अपना तर्क रखते हुए कहा था कि शहर के कई शापिंग मॉल और व्यवसायिक इमारतों में बार, पब चल रहे हैं। नियम कहते हैं कि इन्‍हें फायर एनओसी लेनी चाहिए जबकि इनके पास एनओसी नहीं है। इस शहर में नेशनल बिल्डिंग कोड, विस्फोटक अधिनियम के प्रावधानों का पालन भी नहीं किया जा रहा है।

आगजनी के कई हादसे हो चुके हैं

 इंदौर और उसके आसपास के इलाकों में आगजनी के कई हादसे हो चुके हैं। पिछले दिनों हुई इंदौर के रानीपुरा, पेटलवाद विस्फोट समेत कई घटनाएं इनमें शामिल हैं। इनसे जुड़े कई दस्‍तावेज भी याचिका के साथ कोर्ट में प्रस्‍तुत किए गए हैं। याचिकाकर्ता इससे पहले भी इसे लेकर शासकीय कार्यालयों में आवेदन कर चुका है लेकिन कोई जरूरी कदम नहीं उठाया गया। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम भी याचिकाकर्ता पत्र भेज चुका है वहां से भी आज तक कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया। इन्‍हीं तर्को के आधार पर कोर्ट से आदेश जारी होने की उम्‍मीद है।


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