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इंदौर में इस तरह की पुलिसिंग से कम हुआ अपराध

छात्राओं को सेल्फ डिपेंस की लगातार ट्रेनिंग दी जा रही है। पुलिस ने लक्ष्य रखा है कि 50 हजार से ज्यादा छात्राओं को यह ट्रेनिंग दी जाएगी।

By Krishan KumarEdited By: Published: Thu, 16 Aug 2018 12:00 PM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 12:00 PM (IST)

अपराध का स्थान और समय चिन्हित करके पुलिस गंभीर अपराधों पर लगाम लगाने में सफल हुई है। वर्ष 2105-16 की तुलना में वर्ष 2017 और अब तक अपराध के आकड़ों में कमी आई है। आदतन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई से अपराधियों में पुलिस का खौफ पैदा हुआ है। रहवासियों से संवाद के कारण जनता में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ा है। प्रोएक्टिव और प्रोग्रेसिव पुलिसिंग की वजह से पुलिस ने पिछले डेढ़ वर्ष में अपराधों पर नियंत्रण किया है।

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जिलाबदर, रासुका, अवैध हथियार और शराब की बिक्री पर लगातार कार्रवाई के कारण लूट, छेड़छाड़ जैसे अपराधों में कमी आई है। शराब पीकर वाहन चलाने और सड़कों पर हुड़दंग करने वालों पर सख्त कार्रवाई की गई है। परिणामस्वरूप सड़क हादसों में कमी आई है। पुलिस ने एक वर्ष से ज्यादा समय में अपराधियों के मकान तोड़ने की कार्रवाई निगम और जिला प्रशासन के साथ मिलकर की है। इससे कई अपराधियों ने शहर छोड़ दिया है।

अपराध पर नियंत्रण के लिए पुलिस अधिकारियों और जांच अधिकारियों को निर्देश हैं कि वे घटनास्थल पर पहुंचकर व्‍हाटसअप के जरिये अपनी लोकेशन बड़े अधिकारियों तक पहुंचाएं। ऐसा करने से घटनास्थल और समय का पता चल पाया। इससे इन स्थानों को चिन्हित करने के बाद पुलिस पेट्रोलिंग और गश्त बढ़ाई गई। अब इन स्थानों पर वारदातें कम हुई हैं। आकड़े बताते हैं कि हत्या, हत्या के प्रयास, लूट,चेन स्नेचिंग, चोरी और दुष्कर्म जैसे अपराधों में कमी आई है।

संगठित अपराध और अपराधियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई के कारण शहर से गिरोह पूरी तरह खत्म हो गया है। धार, बुरहानपुर, खरगोन और बड़वानी के सिकलीगरों के खिलाफ हुई लगातार कार्रवाई की वजह से अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त न के बराबर रह गई है। इंदौर रेंज का पद संभाला था, तब पूरे संभाग की 21 हजार से ज्यादा शिकायतें पेंडिंग थीं। इन पर अध्ययन और तत्काल कार्रवाई की गई।

सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों पर शीघ्र अमल और कार्रवाई के निर्देश हैं। इसी कारण बाकी जिलों की तुलना में हेल्पलाइन की शिकायतों के निराकरण में शहर की स्थिति ठीक है। महिला अपराधों में लगाम लगाने के लिए संभाग के 1100 केस डायरियों का अध्ययन कराया गया था। इससे इन गंभीर अपराधों की वजह पता चल सकी। पुलिस लगातार इस तरह के अपराधों पर लगाम लगाने के लिए काम कर रही है।

पुलिस ने आसपास के जिलों में महिला बाल विकास विभाग के साथ मिलकर महिला अपराधों के प्रति जागरूकता के लिए शिविर लगाए। छात्राओं को सेल्फ डिपेंस की लगातार ट्रेनिंग दी जा रही है। पुलिस ने लक्ष्य रखा है कि 50 हजार से ज्यादा छात्राओं को यह ट्रेनिंग दी जाएगी। साइबर अपराध इन दिनों पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। पुलिस ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत ग्रामीणों में जागरूकता के लिए बैंकिंग फ्रॉड की जानकारी दी है। लगातार ट्रेनिंग और अवेयरनेस प्रोगाम की वजह से बैंकिंग फ्रॉड के आकड़ों में भी कमी आई है। पुलिसकर्मियों के परिवार के लिए कई योजनाओं पर काम किया गया। 

- अजयकुमार शर्मा, एडीजी, इंदौर संभाग

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