मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर से ही इंदौर में परवान चढ़ा बिजनेस
इंदौर का सुपर कॉरिडोर निवेश का नया डेस्टिनेशन साबित हो रहा है। यहां टीसीएस, इन्फोसिस जैसी दिग्गज आईटी कंपनियां, नरसीमुंजी और सिम्बोयोसिस जैसे अग्रणी शिक्षण संस्थानों ने जमीनें ली हैं।
इंदौर शहर प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी बनने में इसलिए कामयाब रहा क्योंकि हर दृष्टि से यहां वे सब सुविधाएं हैं जो इसे देश के अन्य महानगरों के समकक्ष खड़ा करती हैं। विकास के लिए अच्छे माहौल के साथ बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर शहर की सबसे बड़ी जरूरत होती है। अच्छी सड़कें, चारों दिशाओं में बेहतर कनेक्टिविटी, हॉस्पिटैलिटी, बिजली-पानी के पर्याप्त इंतजाम यहां हैं।
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इंदौर में इन्फ्रास्ट्रक्चर की मौजूदा योजनाएं पांच-सात साल में जब भी पूरी होंगी तो यह शहर मध्य भारत का सबसे बड़ा औद्योगिक, व्यावसायिक शहर होने के साथ हर तरह की जरूरत पूरी करने वाला होगा।
इन्फ्रास्ट्रक्चर की मौजूदा स्थिति
नेशनल हाइवे: इंदौर संगरूर-अंकोला हाइवे (पहले आगरा-बॉम्बे राजमार्ग), बामनबोर-अहमदाबाद-इंदौर-बैतूल-नागपुर हाइवे और इंदौर-देशगांव (आगे इच्छापुर तक) हाइवे से जुड़ा है। संगरूर-अंकोला हाइवे का इंदौर से खलघाट तक का हिस्सा छह लेन जबकि इंदौर-देशगांव हाइवे को फोर लेन करने की तैयारी है। बामनबोर-नागपुर हाइवे के इंदौर-पिटोल (गुजरात बॉर्डर) तक के ज्यादातर हिस्से में फोर लेन का काम पूरा हो चुका है।
रेलवे: वर्तमान में इंदौर-देवास-उज्जैन सिंगल रेल लाइन का दोहरीकरण एक-दो महीने, जबकि महू-सनावद के बीच बड़ी लाइन बिछाने का काम दो माह में शुरू होगा। यह लाइन आगे खंडवा और अकोला से जुड़ेगी। इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन प्रोजेक्ट से इंदौर-मुंबई की दूरी 250-300 किमी तक घट जाएगी। इंदौर-दाहोद रेल लाइन मुंबई जाने वाले यात्रियों के साथ पीथमपुर को सीधे मुंबई से जोड़ेगी। यह प्रोजेक्ट 2022 तक पूरा होने का अनुमान है। अभी रेलवे लक्ष्मीबाई नगर-रतलाम लाइन का विद्युतीकरण कर रहा है। इसके दोहरीकरण की भी योजना है।
एयरपोर्ट: शहर मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, लखनऊ, कोलकाता, रायपुर, भोपाल, इलाहाबाद, गोवा और अन्य शहरों से जुड़ा है। यहां विमानों की नाइट पार्किंग से शहर की कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। जिला प्रशासन जल्द ही 20 एकड़ जमीन देगा, जिससे इंदौर एयरपोर्ट का विकास किया जा सकेगा।
- इंदौर का सुपर कॉरिडोर निवेश का नया डेस्टिनेशन साबित हो रहा है। यहां टीसीएस, इन्फोसिस जैसी दिग्गज आईटी कंपनियां, नरसीमुंजी और सिम्बोयोसिस जैसे अग्रणी शिक्षण संस्थानों ने जमीनें ली हैं।
केस स्टडी: लगातार देरी से बढ़ रही लागत
किसी भी प्रोजेक्ट में लगातार हो रही देरी से जनता की परेशानी के साथ लागत भी अत्यधिक बढ़ जाती है। इंदौर-दाहोद रेल लाइन, इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन और इंदौर-अहमदाबाद फोर लेन हाइवे प्रोजेक्ट इसके ताजा उदाहरण हैं। 10 साल पहले दाहोद लाइन डालने का काम शुरू हुआ, लेकिन अब तक 22 किमी लाइन ही तैयार हुई। शेष काम में चार-पांच साल और लगेंगे। करीब 700 करोड़ रुपए का यह प्रोजेक्ट अब 1640 करोड़ का हो गया।
इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन प्रोजेक्ट की लागत दो हजार करोड़ से बढ़कर 10 हजार करोड़ तक जा पहुंची, लेकिन इसका काम शुरू नहीं हुआ। इसी तरह इंदौर-अहमदाबाद फोर लेन रोड हाइवे प्रोजेक्ट 1100 करोड़ से बढ़कर 1700 करोड़ हो गया।
इंदौर में कहां-कितना निवेश...
13000 करोड़- नेशनल हाइवे
4000 करोड़- स्मार्ट सिटी मिशन
1600 करोड़- अमृत योजना
11600 करोड़- इंदौर-दाहोद और इंदौर-मनमाड़ नई रेल लाइन
3000 करोड़- इंदौर-खंडवा ब्रॉडगेज परियोजना
600 करोड़- इंदौर-उज्जैन रेल लाइन दोहरीकरण
100 करोड़- इंदौर-फतेहाबाद-रतलाम रेल लाइन विद्युतीकरण
(सभी आंकड़े लगभग में, कुछ योजनाएं 2019 में शुरू होंगी।)
इन्फ्रास्ट्रक्चर ने ही दी शहर को पहचान
'इंदौर रोड, एयर और रेल कनेक्टिविटी से देश के सभी महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ा है। यह कॉस्मोपॉलिटन शहर है। इसी माहौल और बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर ने इंदौर को नई पहचान दी है और वह निवेशकों का ध्यान खींचने में काफी हद तक सफल रहा है।"
- पीसी अग्रवाल, रिटायर्ड चीफ इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी
संभावनाओं से भरपूर शहर
'बीते 10 साल के दौरान इंदौर में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट अच्छा हुआ है। चाहे वह रोड का मामला हो या ओवरब्रिज या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का। शुरुआत अच्छी हुई है। रेलवे की सुविधाएं बढ़ी हैं। एयर कनेक्टिविटी काफी बढ़ गई है।
- अतुल सेठ, स्ट्रक्चर इंजीनियर, इंदौर
ये सुविधाएं मिलें तो विकसित शहर के रूप में होगी पहचान
मेट्रो ट्रेन- बढ़ती जनसंख्या के कारण शहर को पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए मेट्रो ट्रेन की जरूरत है। अभी से काम शुरू हुआ तो चार-पांच साल में यह सुविधा मिल पाएगी।
नया रिंग रोड- वर्तमान रिंग रोड और शहर के पूर्वी हिस्से में बना बायपास अब शहर में समा चुका है।
नए हाइवे बनने के साथ अब जरूरत है ऐसा रिंग रोड बनाने की जो चारों ओर बने और सभी हाइवे को जोड़ सके ताकि बाहरी वाहनों को शहर में न आना पड़े। नए बस स्टैंड- इंदौर से अन्य शहरों को जाने वाली सड़कों पर एक-एक आधुनिक बस स्टैंड बनना चाहिए।
नया रेलवे स्टेशन- वर्तमान मुख्य रेलवे स्टेशन के विकास की ज्यादा गुंजाइश नहीं है। एमआर-10 ब्रिज के पास नए रेलवे स्टेशन के लिए आरक्षित जमीन पर बड़ा रेलवे स्टेशन बनाया जा सकता है।
एयरपोर्ट विकास के लिए पर्याप्त जमीन- इंदौर एयरपोर्ट के विकास के लिए एयरपोर्ट्स अथॉरिटी को 25 से 30 एकड़ जमीन चाहिए, जबकि प्रशासन 20 एकड़ दे रहा। प्रशासन को पर्याप्त जमीन देना चाहिए।
अब समन्वय जरूरी
शहर में बिजली, ड्रेनेज, जलप्रदाय और सड़कों को लेकर हजारों करोड़ के काम हो रहे हैं। सारे काम अच्छे से पूरे हों, इसके लिए सभी विभागों में समन्वय जरूरी है। पार्किंग शहर की बड़ी समस्या है। अन्य सुविधाएं जुटाने के साथ पार्किंग के नए बड़े और छोटे स्थान चिन्हित कर उनका विकास भी जरूरी है। - विजय मराठे, पूर्व टाउन प्लानर, आईडीए