Move to Jagran APP

किसी समय इंदौर तय करता था विश्व बाजार में कपास के भाव

इंदौर की अर्थव्यवस्था में मेडिकल सेक्टर भी बड़ा योगदान देता है। अनुमान के मुताबिक रोजाना 10 हजार से ज्यादा लोग यहां इलाज के सिलसिले में पहुंचते हैं।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Fri, 06 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 06 Jul 2018 01:04 PM (IST)
किसी समय इंदौर तय करता था विश्व बाजार में कपास के भाव

प्रदेश की आर्थिक राजधानी है इंदौर। यहां के बाजारों की ख्याति देश ही नहीं, बल्कि विदेश तक फैली है। होल्कर काल से ही यहां के बाजार प्रसिद्ध रहे हैं। पूरे देश से व्यापारी यहां व्यापार करने आते हैं। समय के साथ व्यापार में बदलाव आया। बाजारों का रूप मॉल संस्कृति ने ले लिया, लेकिन इंदौरियत बरकरार रही। आज भी यहां के व्यापारियों की ईमानदारी और व्यवहार की मिसाल पूरे देश में दी जाती है।

loksabha election banner

अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी

indore economic development

सेठ हुकुमचंद की कर्मभूमि रहा इंदौर किसी समय कपास व्यापार में पूरे विश्व में सिरमौर हुआ करता था। माना जाता है कि विश्व बाजार में कपास के भाव इंदौर ही तय करता था। विदेशियों को जैसे ही खबर मिलती कि सेठ हुकुमचंद ने बड़ी मात्रा में कपास खरीदा है, विदेशी बाजार में कपास के भाव में उछाल आ जाता था। यहां की कपड़ा मिलें और उनके गणेश उत्सव की पूरे देश में ख्याति थी। सर्राफा व्यापारी एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बसंत सोनी का कहना है कि इंदौर के गहनों को गारंटी और क्वालिटी के लिए पूरे विश्व में पहचाना जाता है। प्रदेश भर से लोग यहां खरीदारी करने आते हैं।

समय के साथ कदमताल करते हुए इंदौर के व्यापार ने लंबा सफर तय किया। यही वजह है कि इसे शॉपिंग डेस्टिनेशन के रूप में पहचाना जाता है और पूरे प्रदेश से लोग यहां व्यापार और रोजगार की तलाश में आते हैं। सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र, पालदा, पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां हमेशा रोजगार की संभावनाएं रहती हैं। 

इंदौर मल्टीनेशनल कंपनियों की भी पहली पसंद बनता जा रहा है। पीथमपुर क्षेत्र में 100 से ज्यादा मल्टीनेशनल कंपनियों के प्लांट हैं। टीसीएस और इन्फोसिस जैसी कंपनियां इंदौर में सेटअप शुरू कर रही हैं। जल्दी ही पतंजलि अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट पीथमपुर में ला रही है। सीए एसोसिएशन के अध्यक्ष अभय शर्मा मानते हैं कि इंदौर में तेजी से विकास हो रहा है। व्यापार के क्षेत्र में इसकी पहचान प्रदेश, देश ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर है। यहां 2800 से ज्यादा सीए हैं। इस मामले में यह देश में दूसरे नंबर पर है।

इंदौर की अर्थव्यवस्था में मेडिकल सेक्टर भी बड़ा योगदान देता है। अनुमान के मुताबिक रोजाना 10 हजार से ज्यादा लोग यहां इलाज के सिलसिले में पहुंचते हैं। एमवायएच जैसे सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की काबिलियत का लोहा पूरे विश्व में माना जाता है।

घर बेचकर बनाया 'वायु', विश्व में मिली पहचान

इंदौर अविष्कारकों की कर्मभूमि रहा है। यहां के व्यापारी प्रयोगवादी रहे हैं। किसी उद्यम को शुरू कर उसे विश्व में पहचान दिलाना यहां के लोगों के लिए आम है। इसी परंपरा में इंदौर की प्रियंका मोक्षमार और प्रणव मोक्षमार का नाम भी शामिल है। दोनों ने 'वायु' नाम से इको फ्रेंडली एयर कंडीशनर का अविष्कार किया है।

इस प्रयोग को लेकर आर्थिक इंतजाम करने के लिए दोनों ने अपना घर भी बेच दिया। 'वायु' को पेटेंट भी करवा लिया है। इसकी खासियत है कि यह बगैर गैस के चलता है और इसकी लागत सामान्य एसी से बहुत कम है। यह सामान्य एसी की तरह रूम के बाहर के तापमान को नहीं बढ़ाता। संगीतकार एआर रहमान ने खुद चेन्नई स्थित स्टूडियो में 'वायु' लगवाया है।

कुछ ऐसी ही कहानी है देशभर में पहचान बना चुके 'अपना स्वीट्स" की। संचालक प्रकाश राठौर कभी ठेला लगाया करते थे, लेकिन आज इसकी कई शाखाएं हैं। खास यह है कि सभी शाखाओं पर बड़ी संख्या में दिव्यांग काम कर रहे हैं।

ये सुविधाएं मिलें तो आर्थिक राजधानी और निखरेगी

सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र की मूलभूत समस्या सड़कों की है। यहां सड़कों का व्यवस्थित नेटवर्क बना दिया जाए तो माल परिवहन में और आसानी होगी। अन्य शहरों से दो लाख से ज्यादा मजदूर इंदौर में रोजगार के सिलसिले में आते हैं, लेकिन उनके आवास का कोई इंतजाम यहां नहीं है। उद्योगपति दीपक दरियानी कहते हैं कि थोड़ी सी सुविधा इंदौर में उद्योग के विकास को पंख लगा सकती है। औद्योगिक क्षेत्रों के आधारभूत ढांचों में मामूली बदलाव कर इसे हासिल किया जा सकता है।

शिप्रा औद्योगिक क्षेत्र को विकसित करने की योजना सालों पुरानी है। पालदा औद्योगिक इलाके में अब भी कीचड़ और गुंडागर्दी की समस्या है। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर इंदौर से होकर गुजरना है। योजना सालों से कागजों में अटकी है। डायमंड पार्क की योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई। स्पेशल इकोनॉमिक जोन बनाए जाने की जरूरत सालों से महसूस की जा रही है, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

एमटीएच क्लॉथ मार्केट के प्रवक्ता अरुण बाकलीवाल के मुताबिक इंदौर एक बार फिर कपड़ा बाजार में सिरमौर बन सकता है। इसके लिए पहल सरकार को ही करनी होगी। अहिल्या चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सेक्रेटरी सुशील सुरेखा मानते हैं कि यहां स्पेशल इकोनॉमिक जोन बनाकर सुविधाएं बढ़ाई जाएं तो यह शहर उद्योग क्षेत्र में देश के टॉप शहरों में शामिल हो सकता है।

अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.