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इंदौर को चाहिए ऐसे पांच बड़े अस्‍पताल

इंदौर में जो 6-7 स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं उनको भी उन्नत बनाकर अच्छी सुविधाएं प्रदान की जाना चाहिए।

By Krishan KumarEdited By: Published: Wed, 11 Jul 2018 06:38 PM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2018 06:38 PM (IST)
इंदौर को चाहिए ऐसे पांच बड़े अस्‍पताल
प्रदेश के सबसे बड़े महाराजा यशवंतराव अस्पताल (एमवायएच) को बने 60 साल से ज्यादा समय बीत चुका है। जिस वक्त इसे शुरू किया गया था उस वक्त शहर की जनसंख्या 3 लाख के आसपास थी। आज जनसंख्या 10 गुना हो चुकी है। एमवायएच जैसे कम से कम 5 अस्पतालों की जरूरत आज शहर और आसपास के इलाके को है। 



एमवायएच आज भी क्षमता से ज्यादा काम कर रहा है। कभी-कभी क्षमता से ज्यादा काम करने की वजह से परेशानियां दिखने लगती हैं, लेकिन महंगी होती स्वास्थ्य सेवाओं के दौर में आज भी यह आम आदमी के लिए महंगे से महंगा इलाज नाममात्र में उपलब्ध करवाने वाला बड़ा अस्पताल है। 


कुछ सालों पहले तक एमवायएच की बिल्डिंग में ओपीडी और आईपीडी दोनों चलते थे। नई ओपीडी के निर्माण के बाद अब ओपीडी सुविधाएं अच्छी तरह से विकसित हो गई हैं। इसकी वर्तमान क्षमता प्रतिदिन दो से पांच हजार मरीज तक हो गई है। एमवायएच की मुख्य इमारत में चाहे ज्यादा बदलाव न हुआ हो, लेकिन कायाकल्प के दौरान उसकी कार्यप्रणाली को बेहतर करने के लिए किए गए प्रयास काफी हद तक सफल हुए। यहां अन्य सुविधाएं जैसे ट्रामा, आकस्मिक सेवाएं, सीटी स्कैन और एमआरआई को सुचारू रूप से चला पाना संभव हो सका है। 

मरीजों के लिए पीने के साफ पानी की उपलब्धता, आधुनिक किचन में तैयार खाना और परिजन के लिए समाजसेवी संस्थाओं द्वारा सस्ती दर पर भोजन उपलब्ध कराना कहीं न कहीं एमवायएच की गरिमा को बढ़ाता है। समय के साथ बदलती टेक्नॉलॉजी में एमवाय अस्पताल के सभी विभागों ने उन्नाति की है। सुविधा के लिए सभी संसाधनों को जुटाया है। अब यहां पर गंभीर मरीजों की क्रिटिकल केयर, आकस्मिक चिकित्सा, बेहतर दर्जे की ओटी, संसाधनयुक्त आईसीयू मरीजों की सहायता के लिए सदैव उपलब्ध रहते हैं। 

हालांकि यह भी सच है कि इंदौर शहर में जिला चिकित्सालय के अलावा और कोई बड़ा स्वास्थ्य केंद्र न खुलने से एमवायएच पर लगातार मरीजों का दबाव बना रहता है। फिर भी यहां पर काम करने वाले पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट (जूनियर डॉक्टर) द्वारा काम करने से कभी चिकित्सकों की कमी नहीं खलती।

तीज त्यौहारों के मौके पर जब इंदौर के निजी अस्पतालों के ज्यादातर डॉक्टर छुट्टी पर रहते हैं, तब कभी-कभी एमवायएच में डिलिवरी का आंकड़ा 60-70 तक पहुंच जाता है। सर्जरी में बेरियाटिक सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, बच्चों की जटिल सर्जरी, ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट, आंखों की जटिल सर्जरी यहां पर नियमित रूप से हो रही हैं। 

सुपर स्पेशियलिटी जल्द शुरू होना बेहद जरुरी
जिस दिन यहां सुपर स्पेशलिटी सेंटर काम करना प्रारंभ कर देगा उस दिन एंजियोग्राफी, ऑर्गन ट्रांसप्लांट, बायपास, किडनी ट्रांसप्लांट जैसी बेहतरीन सुविधाएं इंदौर शहर के हर नागरिक के लिए न्यूनतम खर्च पर उपलब्ध हो जाएंगी। सुपर स्पेशलिटी सेंटर और एमटीएच के प्रारंभ होने से एमजीएम मेडिकल कॉलेज में एमसीएच और डीएम कोर्स का बहुत पुराना सपना साकार हो सकेगा। 

शासन द्वारा मेडिकल यूनिवर्सिटी के सहयोग से कल्याणमल अस्पताल में नेत्ररोगों के लिए एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस प्रारंभ करने का भी मन बना लिया गया है। यह अपने आप में निश्चित ही बेहतर परियोजना है। अस्पतालों के सुचारू संचालन के लिए पैरामेडिकल स्टॉफ की जरूरत महसूस होती है।

इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा एक पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट भी एमजीएम परिसर में ही शुरू किया जा रहा है। यहां हर साल 300-500 विद्यार्थी विभिन्न प्रकार के पैरा मेडिकल कोर्सेस कर न सिर्फ एमवायएच वरन प्रदेश के सभी अस्पतालों में सेवाएं दे सकेंगे। 

फिर भी यह जरूरत हमेशा बनी रहेगी कि एमवायएच के अलावा इंदौर शहर में जो 6-7 स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं उनको भी उन्नत बनाकर अच्छी सुविधाएं प्रदान की जाना चाहिए। इससे एमवायएच के चिकित्सक अपने कार्य में और बेहतर तरीके से काम कर सकें। एमवायएच में ई-हास्पिटल का इस्तेमाल शुरू किया जा चुका है। यह डिजिटल इंडिया मिशन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। 

आसपास के शहरों के सभी अस्पताल इससे जुड़ जाएंगे तो मरीजों के लिए उत्तम होगा। एक यूनिक आईडी जो किसी सरकारी अस्पताल में जनरेट होगा उस मरीज की जानकारी प्रदेश या प्रदेश के बाहर जाने पर भी देखी जा सकेगी। 

- डॉ. सलिल भार्गव 
(डॉ. भार्गव  एमजीएम मेडिकल कॉलेज के चेस्ट एंड टीबी विभागाध्यक्ष और एमवायएच के पूर्व अधीक्षक हैं।) 

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