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ईज ऑफ लिविंग इंडेक्सः पुणे की तरह इंदौर भी बन सकता है रहने के लिए बेहतर शहर

पुणे और इंदौर में ज्यादा फर्क नहीं है, इंदौर का भी तेजी से विकास हो रहा है। पुणे पहले से विकसित शहर है। वहां आईटी कंपनियां बहुत अधिक हैं।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Wed, 15 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 15 Aug 2018 06:00 AM (IST)

केंद्रीय आवास व शहरी मामलों के मंत्रालय ने पहली बार देश में रहने योग्य शहरों की रैंकिंग बताने वाला ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स सोमवार को जारी किया है। इसमें टॉप टेन शहरों में मप्र के दो शहरों को स्थान मिला है। इंदौर आठवें और भोपाल दसवें नंबर पर है। 111 शहरों के लिए जारी इंडेक्स में पुणे को देश का सबसे अच्छा रहने योग्य शहर माना गया। इसके बाद नवी मुंबई और ग्रेटर मुंबई को जगह मिली है, जबकि देश की राजधानी दिल्ली को 65वां स्थान मिला।

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मप्र के जिन शहरों ने रैंकिंग में जगह बनाई है, उनमें जबलपुर 15वें स्थान पर है जबकि उज्जैन को 24वां और ग्वालियर को 32वां स्थान मिला है। उप्र का रामपुर सबसे निचले यानी 111वें स्थान पर है। इसके बाद कोहिमा (नगालैंड) और पटना (बिहार) का नाम है। चेन्नई को 14वां स्थान मिला, जबकि कोलकाता ने सर्वे में हिस्सा नहीं लिया। उप्र का वाराणसी 33वें, अहमदाबाद 23वें और हैदराबाद 27वें स्थान पर है।

पुणे की नगरीय निकाय जैसी हो इंदौर में व्यवस्था

पुणे में नगरीय निकाय द्वारा किए जा रहे बेहतर काम को प्राथमिकता दी गई है। उसी आधार पर रहने के हिसाब से बेहतर के लिए नंबर वन का तमगा मिला है। इंदौर में सबसे बड़ी कमी यही है कि निकाय स्तर पर ढेरों शिकायतें पेंडिंग हैं, उनके निराकरण में देरी होती है। लोग लाइन लगाए खड़े रहते हैं। शहर में रहने वाले लोगों की नगरीय निकाय की व्यवस्था से आशाएं होती हैं, सिस्टम यदि सही है तो लोगों का रुझान भी ऐसे शहर की ओर बढ़ता है।

दिखाना होगी प्राथमिकता

जिस तरह स्वच्छता के लिए अभियान चलाया गया, उसी तरह अन्य मामलों में नगरीय निकाय को प्राथमिकता दिखाना होगी। पुणे में शिकायतों के लिए लोगों को मशक्कत नहीं करनी होती, इंदौर में भी इसी तरह की व्यवस्था की जरूरत है। - अतुल सेठ, वरिष्ठ इंजीनियर

पुणे में आईटी कंपनियों की भरमार

इंदौर प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी होने के बावजूद रोजगार के मामले में बहुत पीछे है। पुणे में आईटी कंपनियों की भरमार है, लोगों को रहने के लिए रोजगार सबसे पहली प्राथमिकता है, पुणे इसमें आगे है। साथ ही शहर में रेलवे व्यवस्था के लिए प्रयास हो रहे हैं, इंदौर से मनमाड़ और इंदौर-खंडवा रेल लाइन शुरू हो जाती है तो इंदौर की कनेक्टिविटी कई शहरों से जुड़ जाएगी।

पुणे और इंदौर में ज्यादा फर्क नहीं है, इंदौर का भी तेजी से विकास हो रहा है। पुणे पहले से विकसित शहर है। वहां आईटी कंपनियां बहुत अधिक हैं। यदि सरकार यहां भी इस तरह की कंपनियों को बढ़ावा दे तो शहर भी आगे बढ़ सकता है। - नागेश नामजोशी, रेलवे सलाहकार

शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना जरूरी

किसी शहर में बसने के पहले लोगों को अपने बच्चों की शिक्षा की फिक्र होती है। इंदौर में सरकारी स्तर पर शैक्षणिक संस्थाएं कमजोर हैं और निजी स्कूलों को तवज्जो दी जाती है। जबकि पुणे में शासकीय स्कूल भी बेहतर हो गए हैं।

स्थानीय पर्यटन स्थल हो विकसित

पुणे की तरह इंदौर के आसपास भी पर्यटन स्थल हैं, लेकिन वहां अभी भी सुविधाओं का अभाव है। धार्मिकता के हिसाब से ओंकारेश्वर-उज्जैन में लाखों यात्री हर साल आते हैं, लेकिन मांडू, महेश्वर में पर्यटन सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है। चोरल, पातालपानी, महू जैसे पर्यटन स्थल की ओर भी ध्यान देना चाहिए।

शहर की बेहतर कनेक्टिविटी होने के कारण पर्यटकों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है। पर्यटन स्थलों पर पर्यटक थाने, प्रशिक्षित गाइड और अच्छे होटल होना चाहिए। - हेमेंद्रसिंह जादौन, सचिव, ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मप्र-छग)

रहने लायक शहरों में भी नंबर वन बनेगा इंदौर

सेफ इंदौर पर इस बार हमारा फोकस रहेगा। निगम बजट में भी इसका प्रावधान किया गया है। नए आवास भी बनाए जा रहे हैं। वेस्ट वाटर मैनेजमेंट भी अब बेहतर होगा, क्योंकि सीवरेज और नालों के किनारे लाइन बिछाई जा चुकी है, जल्दी ही वह चार्ज हो जाएगी। सफाई की तरह इंदौर को रहने लायक शहरों में भी नंबर वन बनाएंगे। - मालिनी गौड़, महापौर

इंदौर को 100 में से 50.16 अंक, पुणे से 7.95 अंक पिछड़ा

शहर को 100 में से 50.16 अंक मिले हैं। पुणे को 58.11 अंक मिले हैं। यानी इंदौर 7.95 अंक पीछे है। इंदौर शहर गवर्नेंस, शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति व रोजगार, पानी सप्लाय और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट जैसी श्रेणियों में बेहतर रहा है लेकिन बचाव एवं सुरक्षा, आवास, पब्लिक ओपन स्पेस और मिक्स लैंड यूज व कॉम्पेक्टनेस पिछड़ गया। श्रेष्ठ शहरों के मुकाबले कहां है इंदौर।

बचाव एवं सुरक्षाः इंदौर-1.75, सागर- 4.54 कुल अंक- 6.25

सागर में हत्या, बलवा और लूट जैसे अपराध ज्यादा नहीं होते, लेकिन महिला अपराध ज्यादा। प्रदेश के गृहमंत्री इसी क्षेत्र के हैं। बेहतर पुलिसिंग और सख्ती की वजह से माइनर क्राइम नियंत्रित है।

- इसलिए पीछे रहा इंदौर- चाकूबाजी, चेन लूट, सूदखोरी, हत्या और दुष्कर्म जैसे मामलों के चलते अपराधों का ग्राफ ज्यादा है। अस्त-व्यस्त यातायात के कारण सड़क हादसे भी यहां अधिक होते हैं।

आवासः इंदौर-0.12, गाजियाबाद 2.8 कुल अंक- 5.00

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद मिलकर योजनाएं बना रहे हैं। वे सस्ते आवास निर्माण करके दे रहे हैं। विशेष तौर पर पांच मापदंडों पर सीवरेज, बिजली, पानी, शिक्षा और आवागमन की सुविधा उपलब्ध करवाने वाली बसाहट विकसित की जा रही है। नक्शे पास करते वक्त कड़े नियमों का पालन होता है जिसकी वजह से तेजी से विकसित होने वाले शहर के रूप में भी पहचान बनी है।

इसलिए पीछे रहा इंदौर- शासकीय आवासीय प्रोजेक्ट के लिए आसानी से जमीन नहीं मिल पाती, अवैध बस्तियों के नियमितिकरण में देरी, नई आवासीय योजनाएं नहीं हो पा रही शुरू, भूमि अधिगृहण की वजह से भी परेशानी।

पब्लिक ओपन स्पेसः इंदौर-0.25, गांधीनगर-5 कुल अंक- 5.00

177 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले गांधीनगर को योजनाबद्ध ढंग से चंडीगढ़ की तर्ज पर बसाया गया है। क्षेत्रफल अधिक होने के बाद भी आबादी सिर्फ तीन लाख ही है।

इसलिए पीछे रहा इंदौरः मास्टर प्लान में खेल मैदान, क्षेत्रीय उद्यानों के लिए प्रावध्ाान किए जाने के बाद भी जिम्मेदार एजेंसियों ने काम नहीं किया, सिटी फॉरेस्ट पर भी ध्यान नहीं दिया गया। शहर में पब्लिक गार्डन की संख्या काफी कम है।

मिक्स लैंड यूज, कॉम्पैक्टनेसः इंदौर-0.03, ग्रेटर मुंबई 4.75 कुल अंक- 5.00

450 वर्ग किमी में फैला ग्रेटर मुंबई दो तिहाई नौकरियां समेटे हैं। यहां बसने वाले 55 प्रतिशत लोग 15 मिनट में पैदल अपने कार्यस्थल पर पहुंच जाते हैं। हइसलिए पीछे रहा इंदौर- विभागों में समन्यव नहीं होने से लैंड यूज संबंधी नियमों का सख्ती से पालन ही नहीं हो पाता। अवैध बसाहट की वजह से भी शहर में बड़े पैमाने पर भू-उपयोग परिवर्तित हो गया।

शहरी परिवहनः इंदौर-1.45, ठाणे 3.46 कुल अंक-5.00

ठाणे में म्युनिसिपल ट्रांसपोर्ट (टीएमटी) परिवहन का मुख्य स्रोत है। टीएमटी की 316 बसें 45 मार्ग और 374 बस स्टॉप के बीच सफर करती हैं। इस वजह से लोक परिवहन सुलभ है। निजी ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी अन्य शहरों से बेहतर है। शहर के भीतर सफर करने के लिए टोलनाकों से ही ऑटो रिक्शा उपलब्ध हो जाते हैं। मेट्रो की योजना भी बन रही है।

इसलिए पीछे रहा इंदौर - बीआरटीएस और सिटी बसों के बावजूद लोक परिवहन की हालत बेहतर नहीं है। 8 साल बाद भी बीआरटीएस का विस्तार नहीं किया जा सका। फीडर रोड से कनेक्टिविटी भी खराब है। बसों के अलावा लोक परिवहन मैजिक, वेन और ऑटो रिक्शा पर निर्भर है। मेट्रो प्रोजेक्ट का काम भी अब तक जमीन पर नहीं आ सका है।

(सरकारी स्रोतों से मिली जानकारी से इंदौर की तुलना)


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