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जागरण स्पेशल: इंदौर ने लिखी नदी पुनर्जीवन की नई कहानी

इंदौर में कान्ह और सरस्वती नामक दो नदियों को पुनर्जीवित किया गया है। एक समय ऐसा था जब कान्ह नदी इंदौर के सबसे बड़े नाले के रूप में पहचानी जाती थी। किंतु अब करीब 21 किमी लंबी कान्ह नदी का अधिकांश हिस्सा साफ किया जा चुका है।

By Abhishek TiwariEdited By: Published: Mon, 14 Mar 2022 04:23 PM (IST)Updated: Mon, 14 Mar 2022 04:23 PM (IST)
इंदौर ने लिखी नदी पुनर्जीवन की नई कहानी फोटो क्रेडिट- प्रफुल्‍ल चौरसिया 'आशु

इंदौर [ईश्वर शर्मा]। दुनिया में जब भी नदी को पुनर्जीवित करने की बात होती है तो लंदन की थेम्स नदी को फिर से जीवंत बना देने का उदाहरण दिया जाता है। मगर अब लंदन की ये कहानी बहुत पुरानी हो चुकी। नई कहानी इंदौर ने लिखी है, जिसने अपनी कान्ह और सरस्वती नामक दो नदियों को पुनर्जीवित कर दिया है।

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कभी नाला बन चुकीं इन नदियों को जीवंत बनाने के लिए इंदौर ने परिश्रम की पराकाष्ठा की। इस मेहनत का फल यूं मिला कि ये नदियां अब इतनी जीवंत हैं कि इनके कुछ हिस्सों में मछलियां तैरती हैं।

इंदौर ने ऐसे किया कमाल

एक समय ऐसा था जब कान्ह नदी इंदौर के सबसे बड़े नाले के रूप में पहचानी जाती थी। किंतु अब करीब 21 किमी लंबी कान्ह नदी का अधिकांश हिस्सा साफ किया जा चुका है। इसी तरह 15 किमी लंबी सरस्वती नदी को भी इंदौर साफ कर चुका है। इन नदियों में मिलने वाले करीब 5500 बड़े तथा 1800 घरेलू व छोटे नालों को बंद करने का काम भी किया गया। 

इन दोनों नदियों में बहने वाला गंदा पानी पाइप लाइन के माध्यम से शहर के सात सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जाता है। यहां प्रतिदिन 312 एमएलडी से अधिक गंदे पानी को उपचारित करके उसे इन नदियों में बहाया जाता है। इस तरह इंदौर नगर निगम ने शहर के करीब 135 किलोमीटर लंबे नदी-नालों में गंदे पानी की आवक रोकने की दिशा में सफलता अर्जित की है।

केंद्र ने बढ़ाया हाथ, इंदौर ने लपक लिया

केंद्र सरकार ने देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों को अमृत योजना के तहत गंदे पानी की समस्या से निपटने के लिए बजट देने का प्रविधान किया था, किंतु इंदौर ने जैसे इस योजना को लपक लिया। केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत 220 करोड़ रुपये खर्च कर इंदौर में सीवरेज नेटवर्क का विस्तार किया गया, शहर में सात सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का काम हुआ।

इन सीवरेज प्लांट से इंदौर ने 397.50 एमएलडी गंदे पानी को प्रतिदिन उपचारित कर साफ कर लेने की क्षमता हासिल कर ली। इस कवायद का लाभ यह हुआ कि जो सरस्वती नदी पहले गंदे पानी का नाला बन गई थी, उसमें अब बदबूरहित उपचारित पानी बहने लगा है। इन्हीं प्रयासों के बाद शहर वाटर प्लस भी बना और केंद्र सरकार से सम्मान भी हासिल किया।

कभी निर्मल नदी थी, फिर नाला बनी, अब फिर नदी बन रही

इंदौर की सरस्वती नदी 1970 तक निर्मल थी। यद्यपि इसमें तब बारिश का पानी ही बहता था, किंतु भूमिगत जलस्तर बेहतर होने के कारण वर्ष में आठ से 10 महीने इसमें पानी रहता था। फिर इंदौर की आबादी बढ़ी, भूजल स्तर भी घटा, गंदे नाले बढ़ते गए, जिनका पानी सरस्वती नदी में जाने लगा।

इस तरह एक दशक में यह नदी गंदा नाला बन गई। किंतु अब फिर यह अपने मूल स्वरूप में लौट रही है। अब तो इसमें बहते पानी की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए नगर निगम ने निजी की मदद से नदी में कृत्रिम फ्लोटिंग द्वीप का निर्माण किया है। इसकी सहायता से पानी के जैविक आक्सीजन डिमांड (बीओडी) के स्तर में सुधार हुआ है। पानी में फास्फोरस और नाइट्रोजन को पुन: चक्रित करके शैवाल की उपज को भी रोका जा रहा है।

कमाल का करिश्मा

- 80 प्रतिशत तक घट चुकी है इंदौर के अधिकांश नालों में गंदे पानी की आवक।

- 5500 बड़े तथा 1800 घरेलू व छोटे नालों को बंद किया गया, जो पहले कान्ह व सरस्वती नदी में मिलते थे।

- 07 बड़े सीवरेज प्लांट बनाकर शहर से निकलने वाले गंदे पानी को उपचारित करके ही अब नदी में छोड़ा जाता है।


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