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मिलिए इंदौर की बेटी वरालिका श्रीवास्तव से, कोरोना में मां को खोया, पिता वेंटीलेटर पर रहे फिर भी भरी उड़ान

इंदौर की वरालिका श्रीवास्तव ने इसी मार्ग पर चलकर सफलता प्राप्त की है। वह मात्र 18 वर्ष की हैं और हाल ही में उन्हें केंद्रीय उड्डयन मंत्रालय द्वारा आयोजित कामर्शियल पायलट लाइसेंस (सीपीएल) परीक्षा में सफलता मिली है। केवल 24 प्रतिभागी ही सफल हो पाए हैं।

By Vijay KumarEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 06:03 PM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 06:03 PM (IST)
मिलिए इंदौर की बेटी वरालिका श्रीवास्तव से, कोरोना में मां को खोया, पिता वेंटीलेटर पर रहे फिर भी भरी उड़ान
इंदौर की वरालिका श्रीवास्तव ने सफलता प्राप्त की है।

गजेंद्र विश्वकर्मा, इंदौर! देवी मां के आठवें स्वरूप में मां महागौरी विपरीत परिस्थितियों में भी लक्ष्य पर टिके रहना और सफल होने का मंत्र देती है। इंदौर की वरालिका श्रीवास्तव ने इसी मार्ग पर चलकर सफलता प्राप्त की है। वह मात्र 18 वर्ष की हैं और हाल ही में उन्हें केंद्रीय उड्डयन मंत्रालय द्वारा आयोजित कामर्शियल पायलट लाइसेंस (सीपीएल) परीक्षा में सफलता मिली है। चयन प्रक्रिया के विभिन्न चरणों को पूरा कर केवल 24 प्रतिभागी ही सफल हो पाए हैं। मध्यभारत से इकलौती सफल उम्मीदवार वरालिका ने जीवन के सबसे कठिन समय में परीक्षा की तैयारी की।

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मई में जब परीक्षा की सबसे ज्यादा तैयारी करनी थी तब कोरोना ने उनकी मां (ज्योति श्रीवास्तव) को छीन लिया। इस बीच पिता (सर्वेश श्रीवास्तव) भी डेढ़ महीने तक वेंटीलेटर पर रहे। घर पर खाने की व्यवस्था करने वाला भी कोई नहीं था। इस दौरान भी वरालिका ने हौसला कम नहीं होने दिया और दिन-रात पढ़ाई जारी रखी। कई दिनों तक ठीक से खाना नहीं मिलने से ऐसी स्थिति भी आई जब वरालिका और उसका छोटा भाई व्यंकटेश बेहोशी की हालत में चले गए। अन्य शहरों में रह रहे स्वजन ने संक्रमण के समय में इनके घर आकर दोनों को संभाला।

पहली बार विमान में बैठते ही पायलट बनने की ठानी:

पिता सर्वेश का कहना है कि वरालिका का जुनून ही था कि उसने अपना सपना पूरा किया। जब वह छठवीं कक्षा में थी तो उसे विमान से बाहर लेकर गया था। तभी से वह कहती थी कि पायलट बनना है। उसने अपने कमरे में जगह-जगह हवाई जहाज के फोटो लगाकर रखे हैं। हर साल वह कमरे की दीवार पर लिखती थी कि पायलट बनने में अब कितने वर्ष बाकी हैं।

मां जहां भी हैं उन्हें अच्छा लगेगा:

वरालिका का कहना है कि मां के चले जाने का दुख सहन करना आसान नहीं था। मैंने इस बीच परीक्षा की तैयारी का समय और बढ़ा दिया ताकि मां की याद कम आए। सोचती थी कि अगर मैं पायलट बन गई तो मां जहां भी हैं, उन्हें अच्छा लगेगा।

बिट्स पिलानी में प्रवेश के मौके को छोड़ा:

वरालिका ने भौतिकी, रसायन शास्त्र और गणित से 12वीं की परीक्षा पास की है। पिता ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) में प्रवेश की तैयारी के लिए कोचिंग शुरू करा दी थी। कुछ समय बाद वरालिका ने बीटेक करने से मना कर दिया जबकि उन्हें बिट्स पिलानी से प्रवेश के लिए सूचना भी आ गई थी। सीपीएल परीक्षा में बीटेक, एमटेक और अन्य उच्च डिग्री धारक भी आवेदन करते हैं।

इस परीक्षा का परिणाम 27 सितंबर को जारी हुआ। वरालिका प्रशिक्षण के लिए जा चुकी हंै। वहां वह अपनी बैच की सबसे कम उम्र की प्रशिक्षु पायलट हैं। स्नातक पूरा नहीं हुआ है इसलिए वरालिका को प्रशिक्षण के साथ अपनी पढ़ाई पूरी करने का भी मौका दिया गया है। वरालिका राजीव गांधी राष्ट्रीय उड़ान एकेडमी, फुरसतगंज (रायबरेली) में प्रशिक्षण ले रही हैं। तीन साल के प्रशिक्षण में चार महीने ग्राउंड प्रशिक्षण होगा।


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