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इंदौर के सरकारी रिकार्ड में दर्ज है कोरोना से 1339 मौत, मुआवजे के लिए पहुंची 10 हजार से अधिक अर्जियां

इंदौर में कोरोना से हुई मौतों को लेकर विरोधाभास सामने आया है। यहां सरकारी रिकार्ड में 1393 मौतें दर्ज हैं जबकि कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के वारिसों और आश्रितों की तरफ से 10 हजार से भी ज्‍यादा अर्जियां प्रशासन के पास पहुंची हैं।

By Babita KashyapEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 11:08 AM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 11:37 AM (IST)
इंदौर के सरकारी रिकार्ड में दर्ज है कोरोना से 1339 मौत, मुआवजे के लिए पहुंची 10 हजार से अधिक अर्जियां
कोरोना से हुई मौतों को लेकर एक बार फिर विरोधाभास सामने आया है

इंदौर, जेएनएन। मध्‍य प्रदेश के इंदौर शहर में कोरोना से हुई मौतों को लेकर एक बार फिर विरोधाभास सामने आया है। यह विरोधाभास सरकारी रिकार्ड में दर्ज की गई मौतों को लेकर नजर आ रहा है। इंदौर शहर में शासकीय तौर पर कोरोना महामारी के कारण 1393 मौतें दर्ज हैं जबकि कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के वारिसों और आश्रितों की तरफ से 10 हजार से भी ज्‍यादा अर्जियां प्रशासन के पास पहुंची हैं। इनमें सरकार की तरफ से दी जाने वाली राहत को लेकर अलग-अलग योजनाओं और अनुग्रह राशि की मांग की गई है।

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ये अर्जियां प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, मुख्यमंत्री कोविड योद्धा योजना को लेकर है इसके साथ ही 50 हजार रुपये की उस अनुग्रह राशि के लिए है जो हाल ही में भारत सरकार की ओर से घोषित की गई है। कोरोना संक्रमण से मृत व्यक्ति के वारिसों को इन योजनओं के तहत अनुग्रह राशि देने का प्रावधान किया गया है। इस संबंध में ज्य शासन के राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव और राहत आयुक्त मनीष रस्तोगी ने राज्‍य के सभी कलेक्‍टरों को आदेश जारी किया है।

इंदौर जिले में इस आदेश के तहत 200 से अधिक मृत लोगों के परिजनों को अनुग्रह राशि दी जा चुकी है। इस योजना के पता लगने के बाद से ही कलेक्‍टर कार्यालय में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्‍या में आवेदन आ रहे हैं। दो दिन पहले रिकार्ड तीन हजार से ज्‍यादा आवेदन आये थे। हालांकि ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा की इनमें से कितने सही हैं और कितने गलत। इन आवेदनों की जांच करना भी प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।

एक ही परिवार से दो आवेदन की आशंका

इतनी अधिक संख्‍या में आवेदन को देखते हुए प्रशासनिक अधिकारियों ने आशंका जाहिर की है कि एक परिवार से सहायता राशि के लिए दो आवेदन भी आये होंगे। इनमें कुछ आवेदन ऐसे भी हो सकते हैं जब पिता की मौत के बाद वारिस के तौर पर दो या तीन बेटों ने अनुग्रह राशि के लिए आवेदन किए हो। हो सकता है उनके रिश्‍तेदारों ने भी अनुग्रह राशि के लिए दावा किया हो। अब जांच-पड़ताल करने के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी।

योजना के लिए प्रविधान

-मरीज की कोविड पाजिटिव रिर्पोट हो और इलाज के लिए उसे अस्‍पताल में भर्ती किया गया हो। यदि रिपोर्ट मिलने के बाद भर्ती के दौरान 30 दिन बाद रोगी की मौत हो जाती तो इस योजना का लाभ मिल सकता है।

-कोरोना संक्रमण का संदेह होने पर उसकी मौत अस्‍पताल या घर पर हुई हो ऐसे मामलों में रजिस्‍टर्ड डाक्‍टर की ओर से कोविड-19 का मृत्यु होने का प्रमाण-पत्र दिया गया हो।

-अगर जिन प्रकरणों में नियमों की पूर्ति नहीं हो पा रही हो और वारिस मृत्यु के कारणों से संतुष्ट नहीं हैं तो ऐसे मामलों में कोरोना वायरस से मृत्यु प्रमाणित करने के लिए जिला स्तरीय समिति निर्णय लेगी। इस समिति में कलेक्टर, सीएमएचओ, मेडिकल कालेज के प्राचार्य या डीन और विषय विशेषज्ञ को शामिल किया गया है।

- वारिस के रूप में पहले हकदार मृतक का पति या पत्नी होंगे। यदि पहला वारिस मौजूद नहीं है तो अविवाहित विधिक संतान को अनुग्रह राशि प्राप्त करने की पात्रता होगी। इसमें वारिस के लिए परिवार के अन्‍य सदस्यों की सहमति अनिवार्य है।

- मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना, मुख्यमंत्री कोविड-19 अनुकंपा नियुक्ति योजना या मुख्यमंत्री कोविड-19 विशेष अनुग्रह योजना के अतिरिक्‍त प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत लागू बीमा योजना में शामिल शासकीय कर्मचारी अनुग्रह राशि के लिए पात्र नहीं होंगे।


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