देश के एक वर्ग को पीढ़ीगत अभिशापों से तोड़कर सशक्त बनाने के लिए प्रयासरत हैं संजय नागर
मुंबई के चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय नागर ने असमर्थ लोगों के जीवन बदलने वाला कदम उठाया है। एक आरामदायक करियर को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने सामाजिक कार्यों के प्रति अपने जुनून को कार्य में बदल दिया। उन्होंने समर्पण और निःस्वार्थ भाव से अपनी संस्था कोहका फाउंडेशन के अंतर्गत विभिन्न चुनौतियों जैसे कि शिक्षा महिला कल्याण और ग्रामीण रोजगार क्षमता के कार्य को अंजाम तक पहुंचाया है।
जागरण डेस्क। मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र सिवनी जिले के मध्य में स्थित एक स्कूल, जहां 15 गांवों के 1000 से अधिक छात्र उज्जवल भविष्य का सपना देखते हैं। लेकिन एक कड़वी सच्चाई उनके सामने है जिसके कारण कई लोग अंग्रेजी, गणित और प्रौद्योगिकी तक सीमित पहुंच के कारण संघर्ष करते हुए आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं। यहीं पर संजय नागर उनकी सहायता के लिए हाथ बढ़ाते हैं। संजय नागर की कहानी उतनी ही प्रेरणादायक है जितनी इन्होंने वंचितों के बदलाव के लिए अपना जीवन न्यौछावर किया है।
मुंबई के चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय नागर ने असमर्थ लोगों के जीवन बदलने वाला कदम उठाया है। एक आरामदायक करियर को पीछे छोड़ते हुए, उन्होंने सामाजिक कार्यों के प्रति अपने जुनून को कार्य में बदल दिया। उन्होंने समर्पण और निःस्वार्थ भाव से अपनी संस्था कोहका फाउंडेशन के अंतर्गत विभिन्न चुनौतियों जैसे कि शिक्षा, महिला कल्याण और ग्रामीण रोजगार क्षमता के कार्य को अंजाम तक पहुंचाया है।
संजय ने दृष्टिबाधित, दिव्यांगजनों, ग्रामीण अशिक्षित वयस्कों, जेल कैदियों तथा माध्यमिक और कॉलेज के छात्रों की सहायता कर उन्हें उचित लाभ पहुंचाया है। माध्यमिक शिक्षा के लिए आनंदो, डिजिटल साक्षरता के लिए जीवन आशा और कौशल विकास के लिए उड़ान जैसे उनके प्रमुख कार्यक्रमों ने 5000 से अधिक लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है।
संजय नागर कहते हैं कि केवल कंप्यूटर प्रशिक्षण या कक्षाओं में अध्ययन मात्र से हमारा देश विकास नहीं कर सकता के बल्कि इस समय अवसर की दुनिया के द्वार खोलने की आवश्यकता है। अशिक्षित और ग्रामीण भारतीय वर्षों से एक ही चक्र में फंसे हुए हैं - यही वह चक्र है जिसे हम तोड़ना चाहते हैं। वंचित वर्ग अपने सपने को साकार करने की कगार पर हैं, लेकिन उनके लिए सामर्थ्यवान लोगों का समर्थन मिलना महत्वपूर्ण बात है।