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Republic Day 2023: देश के 15 राज्यों में फहराए जाते हैं ग्वालियर में बने तिरंगे, Made In India की दिखती है झलक

Republic Day 2023 देश के आधे हिस्से में सरकारी भवन पर ग्वालियर में बना तिरंगा फहराए गए। गणतंत्र दिवस के लिए जीवाजी गंज स्थित मध्य भारत खादी संघ में 8 हजार तिरंगा तैयार किए गए। जिनकी कीमत करीब 52 लाख रुपये है।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarPublished: Thu, 26 Jan 2023 06:39 PM (IST)Updated: Thu, 26 Jan 2023 06:39 PM (IST)
Republic Day 2023: देश के 15 राज्यों में फहराए जाते हैं ग्वालियर में बने तिरंगे, Made In India की दिखती है झलक
देश के आधे हिस्से में बनाए हिस्से में फहराए जाते हैं ग्वालियर में बने तिरंगा। (फोटो सोर्स: नई दुनिया)

ग्वालियर, जेएनएन। देश के 74वें गणतंत्र दिवस के मौके पर देश के आधे हिस्से में सरकारी भवन पर ग्वालियर में बना तिरंगा फहराए गए है। खास बात यह है कि ध्वज में उपयोग होने वाले धागे से लेकर लकड़ी व रस्सी तक स्वदेशी है। गणतंत्र दिवस के लिए जीवाजी गंज स्थित मध्य भारत खादी संघ में 8 हजार तिरंगा तैयार किए गए। जिनकी कीमत करीब 52 लाख रुपये है।

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यह तिरंग देश के 15 प्रदेशों में पहुंचाए गए। बता दें कि तिरंगा कई मानकों पर तैयार होता है। तिरंगा का ध्वज तैयार करने के लिए एक लाट के कपड़े की रंगाई,छपाई, कटिंग और टेस्टिंग होती है। इन सभी कामों में लगभग 5 से 6 दिन का समय लगता है। इस बार साल 2022-23 में 22 हजार झंडे, सवा करोड़ रुपये के तैयार किए गए। जिनमें से स्वतंत्रता दिवस पर 72 लाख की बिक्री हुई थी और गणतंत्र दिवस पर 52 लाख की बिक्री हुई।

इन राज्यों में भेजे गए तिरंगे झंडे

राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, चंडीगढ़, हिमाचल, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, महाराष्ट्र,उड़ीसा, कर्नाटक, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात,जम्मू कश्मीर सहित कुल 15 प्रदेशों में तिरंगा झंडा भेजा गया। इन प्रदेशों के सरकारी भवनों में ग्वालियर का तिरंगा फहराया गया। कलेक्ट्रेट, मंत्रालय, विधानसभा, सहित सभी सरकारी भवन पर खादी का तिरंगा ही फराया

बंगाल की रस्सी और दिल्ली के धागे से तैयार होता तिरंगा

तिरंगा का ध्वज निर्धारित साइज का बनाया जाता है। ध्वज की लंबाई और चौड़ाई निर्धारित है शीशम या सागौन की लकड़ी निर्धारित मानक के अनुसार होने पर ही ध्वज फहराया जाता है। इसके लिए इस बार रस्सी कोरिया के स्थान पर बंगाल से मंगवाई गई और धागा दिल्ली में तैयार कराया गया। सिलाई भी निर्धारित मानक के अनुसार की जाती है।

ध्वज की साइज फीट में प्रति ध्वज कीमत रुपये में

ध्वज की साइज फीट में    प्रति ध्वज कीमत रुपये में

3बाय4.5                         1500

4बाय6                            2000

6बाय9                            6000

9बाय12                          9000

1बाय1.5                         180

कार फ्लेग                        180

टेबल फ्लेग                       310,360

2016 में बीआईएस में तिरंगा बनाने की मिली अनुमति

जीवाजीगंज में मध्य भारत खादी संघ की स्थापना 1930 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी। साल 1956 में मध्य भारत खादी संघ को आयोग का दर्जा मिला। देश में तिरंगा झंडा मुंबई और हुबली में बनाया जाता था। लेकिन 2016 में ग्वालियर के खादी संघ को बीआईएस से तिरंगा बनाने की अनुमति मिल गई। जिसके अनुसार 9 मानकों पर लैबोरेटरी टेस्ट के बाद झंडे सप्लाई किए जाते हैं। प्रतिवर्ष 50 से 60 लाख के झंडे तैयार होते हैं लेकिन इस बार 52 लाख के झंडे तैयार किए गए ।

9 मानकों पर छह दिन में तैयार होता झंडा

भारत खादी संघ में भरतीय मानक ब्यूरो प्रमाणित तिरंगा तैयार किया जाता है। राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए मानकों का पालन करना अति आवश्यक है। जिसमें कपड़े की क्वालिटी के लिए सिहोर से कपास लेकर सूत तैयार किया जाता है, फिर सूत से कपड़ा तैयार करते हैं,जिसकी गुणवक्ता की जांच की जाती है। इसके बाद कपड़े की रंगाई के लिए तीन रंगों का अलग अलग ड्राइंग किया जाता है जिसकी टेस्टिंग की जाती है। इसके बाद उस पर अशोक चक्र निर्धारित साइज का तैयार किया जाता है।

एक झंडे को पूरी तरह तैयार होने में लगते 5 घंटे 

इसके बाद ध्वज की सिलाई जिस धागे से की जाती है उस धागे का टांका निर्धारित दूरी पर लगाया जाता है। 9 मानकों पर ध्वज तैयार किया जाता है जिसमें कपड़े का वजन,गुणवत्ता, रंग,कैमिकल, सिलाई आदि शामिल है। जिस लकड़ी पर झंडा फहराया जाता है उसका साइज व बजन भी निर्धारित होता है। इस पूरे क्रम में करीब 6 दिन का वक्त लगता है, जिसमें एक झंडे की सिलाई में 30 मिनट और पूरी तरह से तैयार करने में 5 घंटे का वक्त लगता है।

मध्य भारत खादी संघ ग्वालियर के अध्यक्षक, वासुदेव शर्मा ने बताया कि इस बार तकरीबन 52 लाख रुपये के ध्वज की बिक्री हुई है। यदि पूरे साल की बात करें तो करीब सवा करोड़ रुपये की बिक्री की गई जो पिछले सालों के अपेक्षा काफी अधिक रही। खास बात यह है कि इस बार ध्वज में धागे से लेकर रस्सी तक सबकुछ स्वदेशी उपयोग किया गया।

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