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डॉक्टरी छोड़ बने संत, अब दे रहे हैं टेंशन फ्री लाइफ की टिप्स

मेरठ में 41 साल पहले जन्मे सचिन बंसल को अब सव्यसाची दास के नाम से जाना जाता है। तमिलनाडु के मदुरै मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। लेकिन भाया संन्यास।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 25 Jul 2016 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jul 2016 06:03 AM (IST)
डॉक्टरी छोड़ बने संत, अब दे रहे हैं टेंशन फ्री लाइफ की टिप्स

भोपाल। मेरठ में 41 साल पहले जन्मे सचिन बंसल को अब सव्यसाची दास के नाम से जाना जाता है। तमिलनाडु के मदुरै मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। लेकिन भाया संन्यास। जीवन का एक ही मकसद-शांति का संदेश। कॉलेज, हॉस्टल, हाउस प्रोग्राम के अलावा नगर कीर्तन भी करते हैं और बताते हैं कि तनावमुक्त जीवन ही शांति का मुख्य मार्ग है।सचिन कैसे और क्यों सव्यसाची बने, जानिए उन्हीं के शब्दों में...

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मेरठ के लिसाड़ी गेट क्षेत्र में 1976 में मेरा जन्म हुआ। पिता रविंद्र बंसल मुरादनगर ऑर्डनेंस फैक्ट्री में काम करते थे।

दसवीं में था, तभी से जीवन और मृत्यु को लेकर मन में कुछ प्रश्न उठने लगे। सटीक जवाब किसी के पास नहीं था।

मदुरै मेडिकल कॉलेज में वर्ष 1993 में दाखिला लिया। तीसरे वर्ष में था, तभी पड़ोस में रहने वाले एक युवा की एक्सिडेंट से मौत होने की खबर मिली। मन खट्टा हो गया।

बड़े लेखकों और चिंतकों की पुस्तकें पढऩी शुरू कर दीं। कॉलेज से डॉक्टर बनकर निकला।

दूसरों की मदद की कोशिश में कुछ दिन प्रैक्टिस भी की। फिर लगा कि तनाव और आपाधापी भरी जिंदगी ही सारी परेशानी की जड़ है। इसलिए सब कुछ त्याग दिया और इस्कॉन से जुड़ गया।


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