MP News: जेल के कैदी सीख रहे पुरोहिताई, नवरात्र के दौरान ये करेंगे गायत्री मंत्र लेखन
50 कैदी भाइयों को युग पुरोहित प्रशिक्षण बीच एवं सैकड़ों कैदियों के समक्ष गायत्री मंत्र लेखन का महत्व बताया जा रहा है। बंदी भाइयों को संकल्प दिलाया गया कि नवरात्रि में गायत्री मंत्र लेखन एवं मंत्र जाप साधना नौ दिन तक अनवरत करेंगे। प्रतिदिन गायत्री यज्ञ भी वहां संपन्न होगा।
भोपाल, जेएनएन । मध्य प्रदेश राजधानी भोपाल में गायत्री शक्तिपीठ के युवा प्रकोष्ठ द्वारा केंद्रीय जेल प्रशासन के सहयोग से जेल में चुनिंदा कैदियों को एक मासिक 'युग पुरोहित' प्रशिक्षण कैदियों को दिया जा रहा है। गायत्री मंत्र लेखन, विचार क्रांति अभियान में, एक कुंडी गायत्री महायज्ञ में कैदी भाई पीले वस्त्र पहनकर आहुतियां दे रहे हैं। 50 कैदी भाइयों को युग पुरोहित प्रशिक्षण बीच एवं सैकड़ों कैदियों के समक्ष गायत्री मंत्र लेखन का महत्व बताया जा रहा है। इसके अलावा आने वाले वाले नवरात्र में तपोभूमि मथुरा द्वारा युग निर्माण योजना का विशेष अंक, जिसमें गायत्री मंत्र लेखन करना है, का कैदी भाइयों के बीच वितरण किया गया।
मालूम हो कि 50 कैदी भाइयों को युग पुरोहित प्रशिक्षण बीच एवं सैकड़ों कैदियों के समक्ष गायत्री मंत्र लेखन का महत्व बताया जा रहा है। बंदी भाइयों को संकल्प दिलाया गया कि नवरात्रि में गायत्री मंत्र लेखन एवं मंत्र जाप साधना नौ दिन तक अनवरत करेंगे। प्रतिदिन गायत्री यज्ञ भी वहां संपन्न होगा। गायत्री शक्तिपीठ से जुड़े रघुनाथ प्रसाद हजारी ने कहा कि गायत्री एक कल्पवृक्ष है। इसकी साधना से जो चाहोगे, वह पा सकते हो, का महत्व समझाया। गायत्री महायज्ञ श्यामपुर से आए नारायण लेवे और बुधनी शाखा से आए प्रेम लाल कुशवाहा द्वारा संपन्न हुआ।
गायत्री परिवार के कर्मठ कार्यकर्ता मध्य प्रदेश की सभी जेलों गायत्री मंत्र गुंजन के बाक्स स्थापित कर रहे हैं। साथ ही कैदी भाइयों से एक बुराई छोड़ने का संकल्प करा रहे हैं। इस अवसर पर गायत्री परिवार भोपाल के युग पुरोहित प्रशिक्षण कार्य करने में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। विश्वकर्मा नगर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा मानव जीवन को धन्य करने के लिए भगवान का ध्यान सबको करना चाहिए। आप निष्काम हों या बहुत सी कामनाएं आपके मन में भरी हों, मनुष्य मात्र को श्रीहरि की उपासना करनी ही चाहिए, क्योंकि यह शरीर उपासना के लिए ही प्रभु ने दिया है। प्रभु की भक्ति के लिए उम्र की भी कोई बाध्यता नहीं हो सकती है।
यह प्रवचन शनिवार को हबीबगंज क्षेत्र के विश्वकर्मा नगर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में शशांक शेखर महाराज ने दिए। कथा के तीसरे दिन भागवताचार्या ने भक्त प्रहलाद की कथा सुनाई। महाराज ने बताया कि भगवान का नाम कैसे भी जपो, ये आपका कल्याण ही करता है। भक्त प्रह्लाद का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि कैसे हिरण्यकश्यप दैत्य अपने पुत्र प्रह्लाद पर अत्याचार करता है। उसे भगवान की भक्ति छोड़ कर स्वयं की पूजा करने का आदेश देता है। इतना कष्ट सहने के बाद भी प्रह्लाद भक्ति का मार्ग नहीं छोड़ते अंत में स्वयं भगवान नरसिंह अवतार लेकर रक्षा करते हैं। ये भी बताया कि अधर्म चाहे कितना भी बढ़ जाए पर विजय धर्म की ही होती है।