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Artificial Intelligence Teaching: मप्र के स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पढ़ाने की तैयारी

Madhya Pradesh मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में आठवीं से 12वीं कक्षा तक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की पढ़ाई वैकल्पिक विषय के रूप में होगी। सत्र 2022-23 से इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इस पाठ्यक्रम को शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली गई है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 20 Mar 2022 08:57 PM (IST)Updated: Sun, 20 Mar 2022 08:57 PM (IST)
Artificial Intelligence Teaching: मप्र के स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पढ़ाने की तैयारी
मप्र के स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पढ़ाने की तैयारी। फाइल फोटो

भोपाल, अंजली राय। भविष्य की जरूरत और रोजगार के क्षेत्र में बढ़ती मांग को देखते हुए अब मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में आठवीं से 12वीं कक्षा तक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) की पढ़ाई वैकल्पिक विषय के रूप में होगी। सत्र 2022-23 से इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार की घोषणा के बाद इस पाठ्यक्रम को शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली गई है। मप्र राज्य ओपन बोर्ड को इस विषय की जिम्मेदारी दी गई है। शुरुआत प्रदेश के सभी 51 जिला मुख्यालयों के एक-एक स्कूल से की जा रही है। बोर्ड ने प्रसिद्ध कंपनी माइक्रोसाफ्ट से अनुबंध किया है। पाठ्यक्रम तैयार करने से लेकर कंपनी सभी चयनित स्कूलों में कंप्यूटर लैब तैयार करने और शिक्षकों को प्रशिक्षण देने का काम करेगी।

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विशेषज्ञ पढ़ाएंगे

स्कूलों में 40 से 100 बच्चों की क्षमता वाली कंप्यूटर लैब लगभग तैयार कर ली गई है। पहले साल कंपनी के विशेषज्ञ ही पढ़ाएंगे। अगले वर्ष से पूरी जिम्मेदारी प्रशिक्षित शिक्षकों की होगी। राजधानी भोपाल में सरोजनी नायडू स्कूल का चयन किया गया है। उल्लेखनीय है कि इस तरह का प्रस्ताव हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी तैयार किया है और सीबीएसइ से संबद्ध कुछ स्कूलों में यह पढ़ाया भी जा रहा है।

ऐसे होगी शुरुआत

शुरुआती कक्षाओं में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का परिचय, महत्व और उपयोग के बारे में पढ़ाया जाएगा। अगले चरण में कोडिंग, साफ्टवेयर तैयार करना, बोट और चैट बाक्स बनाना सिखाया जाएगा।

भविष्य के लिए महत्वपूर्ण कदम

साइबर विशेषज्ञ शोभित चतुर्वेदी का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मशीनों द्वारा निर्णय लेने की क्षमता को कहा जाता है। सामान्य कार्यकलापों, व्यवहार में जो निर्णय मनुष्य द्वारा लिए जाते हैं, उन्हें मशीनें तर्कसंगत ढंग से लें सकें, यही क्षमता प्रदान करना इस विषय के तहत आता है। दुनिया भर में इसे भविष्य की तकनीक के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय विद्यार्थियों को इसका ज्ञान दिया जाना बेहद महतत्वपूर्ण है।

तकनीकी रूप से दक्ष होंगे बच्चे

प्रदेश में आठवीं से 12वीं तक बच्चों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस विषय के तहत प्रोजेक्ट, साफ्टवेयर बनाना और कोडिंग करना सिखाया जाएगा। इससे बच्चे तकनीकी रूप से दक्ष होंगे। इसकी तैयारी कर ली गई है।

-पीआर तिवारी, निदेशक, राज्य ओपन बोर्ड।


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