Namibian Cheetah Sasha: नामीबिया में हुआ था मादा चीता साशा की किडनी का आपरेशन, छुपाई गई थी संक्रमण की बात
Namibian Cheetah Sasha Death News चीता पुनर्वास योजना के तहत नामीबिया से कूनो लाए गए सभी चीतों के स्वास्थ्य की जांच हुई थी लेकिन संक्रमण की बात को नजर अंदाज कर दिया गया था। जिसके कारण आज एक मादा चीता की मौत हो गई।
भोपाल, एजेंसी। नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क श्योपुर में बसाए गए चीतों में से मादा चीता साशा की छह महीने बाद आज सोमवार को मौत हो गई। जब साशा को नामीबिया से भारत लाया गया था तब उसकी किडनियों में संक्रमण था। किडनी की बीमारी के चलते नामीबिया में ही उसका आपरेशन हुआ था, लेकिन भारत से इस बात को छिपाया गया।
किडनी में संक्रमण
नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को जब खुले बाड़े में छोड़ने की तैयारी की जा रही थी, तब कुछ दिन बाद ही एक मादा चीता साशा ने खाना पीना छोड़ दिया था। 22 जनवरी को जब डाक्टरों ने साशा की जांच की तो उसकी किडनी में संक्रमण का पता चला। विशेषज्ञों की निगरानी में चिकित्सकों ने साशा का उपचार किया, लेकिन सोमवार का साशा की मौत हो गई है।
A female Cheetah 'Shasha' brought from Namibia to MP's Kuno National Park on December 22, has died. It was found that cheetah Shasha was suffering from a kidney infection before she was brought to India. pic.twitter.com/2VtAvchrNL
— ANI (@ANI) March 27, 2023
संक्रमण को किया गया नजर अंदाज
बता दें कि चीता पुनर्वास योजना के तहत नामीबिया से कूनो लाए गए सभी चीतों के स्वास्थ्य की जांच हुई थी, लेकिन संक्रमण की बात को नजर अंदाज कर दिया गया था। जिसके कारण आज एक मादा चीता की मौत हो गई।
नामीबिया में हुआ था टेस्ट
पीसीसीएफ वन्य प्राणी अधिकारी जसबीर सिंह चौहान ने कहा कि मादा चीता साशा नामीबिया में ही संक्रमित हो गई थी। 15 अगस्त 2022 को नामीबिया में की गई जांच में उसकी दोनों किडनियों में संक्रमण बढ़ने की रिपोर्ट आई थी। अमूमन इस स्थिति में ऐसे वन्यजीवों का बचना मुश्किल ही होता है, फिर भी हमारे डाक्टरों की देखरेख के कारण वह दो माह तक जीवित रही। नामीबिया से आए चीता विशेषज्ञ ईलाई भी उसकी देखरेख कर रहे थे।
अल्ट्रासाउंड से हुई थी गुर्दों की बीमारी की पुष्टि
इसी वर्ष जनवरी के अंतिम सप्ताह में वन विहार प्रबंधन को सूचना मिली थी कि मादा चीता साशा सुस्त नजर आ रही है। वह कुछ खा-पी नहीं रही है। साशा के उपचार के लिए वन विहार से वरिष्ठ वन्य प्राणी चिकित्सक डा अतुल गुप्ता के नेतृत्व में दल गया था। शुरुआत में किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि समस्या क्या है? रक्त परीक्षण में गुर्दों (किडनी) की बीमारी के संकेत मिले, फिर वन विहार से ले जाई गई पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन से सोनोग्राफी की गई, जिसमें चीता की दोनों किडनी फेल होने का पता चला। इसके बाद चिकित्सकों ने उपचार शुरू किया। उपचार और उसकी हालत को देखते हुए सभी को विश्वास था कि वह बच जाएगी। सूत्रों के अनुसार कूनो में चीतों के लिए एक अस्पताल सेटअप किया गया है। दो पशु चिकित्सकों के साथ एनटीसीए की टीम भी वहां निगरानी कर रही है।