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Madhya Pradesh: भोपाल में लगी पूर्व सीएम अर्जुन सिंह की मूर्ति को अविलंब हटाने के निर्देश

Madhya Pradesh हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश में 18 जनवरी 2013 के बाद सड़क या सार्वजनिक स्थान पर लगाई गई सभी मूर्तियां हटाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने भोपाल के टीटी नगर चौक पर लगाई गई पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की मूर्ति को अविलंब हटाने के निर्देश दिए।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 03 Mar 2022 09:02 PM (IST)Updated: Thu, 03 Mar 2022 09:29 PM (IST)
Madhya Pradesh: भोपाल में लगी पूर्व सीएम अर्जुन सिंह की मूर्ति को अविलंब हटाने के निर्देश। फाइल फोटो

जबलपुर, जेएनएन। मध्य प्रदेश में हाई कोर्ट ने 18 जनवरी, 2013 के बाद सड़क या सार्वजनिक स्थान पर लगाई गई सभी मूर्तियां हटाने के आदेश दिए हैं। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति पुरषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ ने यह व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेश की रोशनी में दी है। इसी के साथ कोर्ट ने राजधानी भोपाल के टीटी नगर चौक पर लगाई गई पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की मूर्ति को अविलंब हटाने के निर्देश दिए। इस मामले में राज्य शासन व नगर निगम, भोपाल के विरोधाभासी बयान को आड़े हाथ लेते हुए 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा दिया। इसमें से 20 हजार रुपये हाई कोर्ट विधिक सेवा समिति में जमा होंगे, जबकि 10 हजार रुपये जनहित याचिकाकर्ता को मिलेंगे। निर्देश दिए गए कि राशि 30 दिन के भीतर जमा न करने पर जनहित याचिका दोबारा हाई कोर्ट के सामने लगेगी। हाई कोर्ट ने हिदायत दी है कि भविष्य में मध्य प्रदेश की सड़कों या सार्वजनिक महत्व की भूमि पर कोई मूर्ति न लगाई जाए।

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जानें, क्या है मामला

राइट टाउन, जबलपुर निवासी अधिवक्ता ग्रीष्म जैन ने यह जनहित याचिका दायर की थी। अधिवक्ता सतीश वर्मा, ग्रीष्म जैन व लावण्या वर्मा ने तर्क दिया कि जिस जगह से यातायात और ट्रैफिक व्यवस्था का हवाला देते हुए अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की मूर्ति हटाई गई थी, वहां फिर मूर्ति लगाना सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन व अवमानना है। कोर्ट को बताया गया कि तत्कालीन महाधिवक्ता शशांक शेखर ने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश का पालन करने की अभिवचन दिया था। इसके बावजूद अब तक मूर्ति नहीं हटाई गई। जबकि राज्य में सरकार भी बदल गई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने पाया कि सरकारी अधिकारी और खासकर भोपाल नगर निगम ने इस केस में दो अलग-अलग यानी विरोधाभासी जवाब पेश किए। पहले दिसंबर, 2019 में मूर्ति को बाधक नहीं बताया। फिर, सरकार बदलने के बाद जुलाई 2021 में दिए जवाब में मूर्ति को यातयात में बाधक बताया गया। कोर्ट ने कहा कि सरकारी अधिकारियों को कानून का पालन करना चाहिए था, जो कि नहीं किया गया। दुर्भावना रखते हुए कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की गई। 


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