Mohan Bhagwat In MP: भारत की भूमि पुण्य भूमि है, जहां भी रहो प्रेम से रहो: मोहन भागवत
Mohan Bhagwat In MP मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के बरमान खुर्द में आरएसएस के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने कहा कि भारत की भूमि पुण्य भूमि है जहां भी रहो प्रेम और भक्ति के साथ रहो। भारत के नागरिक बनकर रहो।
नरसिंहपुर, जेएनएन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने कहा कि भारत की भूमि पुण्य भूमि है, जहां भी रहो प्रेम और भक्ति के साथ रहो। भारत के नागरिक बनकर रहो। उन्होंने यह बात रविवार को मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के बरमान खुर्द में नर्मदा की पैदल परिक्रमा कर रहे महामंडलेश्वर ईश्वरानंद महाराज उत्तम स्वामी व अन्य पथिकों से शारदा मंदिर में मुलाकात के बाद कही। डा. भागवत ने उत्तम स्वामी से करीब 45 मिनट एकांत में चर्चा की। संघ प्रमुख ने कहा कि आज उत्तम स्वामीजी और 182 नर्मदा पथिकों का दर्शन कर मैं कृतार्थ हुआ। संघ प्रमुख सुबह करीब 5.30 बजे नागपुर-जबलपुर ट्रेन से करेली पहुंचे और संघ के पदाधिकारी विनोद नेमा के यहां गए। उन्होंने यहां उत्तम स्वामीजी से चर्चा करने के बाद नर्मदा पथिकों से परिक्रमा के अनुभव को लेकर बात की। इसके बाद वे दोपहर में जबलपुर के संघ कार्यालय केशव कुटी पहुंचे। केशव कुटी में उन्होंने प्रांत संघचालक डा. प्रदीप दुबे और विभाग संचालक कैलाश गुप्ता समेत कुछ चुनींदा पदाधिकारियों के साथ कुछ देर बातचीत की। शाम को वे कुछ संघ पदाधिकारियों के स्वजन से मिलने भी गए। डा.भागवत 17 जनवरी को विमान से हैदराबाद के लिए रवाना हो जाएंगे।
गौरतलब है कि नवंबर, 2021 में ग्वालियर में मोहन भागवत ने कहा था कि भारत हिंदू राष्ट्र है। हिंदू के बिना भारत और भारत के बिना हिंदू का कोई अस्तित्व नहीं है। जब-जब हिंदुत्व की भावना कमजोर हुई, तब-तब हम संख्या में कम हुए हैं और हमारा विखंडन भी हुआ है। भारत की अखंडता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि हिंदुओं में हिंदुत्व की भावना प्रबल हो। इस मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। संघ प्रमुख ने इजरायल का उदाहरण देते हुए कहा कि यहूदियों का सांस्कृतिक इतिहास इजरायल से जुड़ा हुआ है। यहूदियों को भी पूर्व में अन्यत्र भूभाग देने की कई प्रयास हुए, लेकिन उन्होंने अपनी जमीन नहीं छोड़ी। यही वजह है दुनिया में यहूदियों का अस्तित्व आज भी बना हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत के लोग मन और विचारों से दूसरों से जुड़े होते हैं। हमारे बीच संबंध बनाने के लिए व्यापार का होना जरूरी नहीं है। उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों पर कहा कि अमेरिका हमेशा से ही भारत से अपने रिश्ते सुदृढ़ करना चाहता है, लेकिन उनके संबंधों में व्यापारिक मूल्य अधिक होते हैं और वे अमेरिकियों के हित को सर्वोपरि रखते हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है।