प्रवीण मालवीय, भोपाल : मध्य प्रदेश में साइबर ठगी का एक मामला सामने आया है। इस मामले में ठगी का शिकार हुए व्यक्ति ने न तो अपना ओटीपी शेयर किया और न ही कोई आनलाइन लापरवाही बरती, फिर भी उसके बैंक खाते से ठग ने 2.92 लाख रुपये उड़ा लिए। जब इंदौर निवासी खाताधारक ने पड़ताल की मोबाइल कंपनी और बैंक की लापरवाही सामने आई। ठगी का ये मामला 11 अगस्त, 2018 का है।

खाताधारक ने ठगी गई राशि प्राप्त करने के लिए भोपाल स्थित आइटी कोर्ट (कोर्ट आफ एजूडीकेटिंग आफिसर) में प्रकरण दर्ज कराया। कोर्ट ने मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी और बैंक को ठगी के लिए दोषी पाया। साढ़े चार वर्ष के संघर्ष के बाद पीड़ित अंतत: 30 नवंबर, 2022 को मोबाइल कंपनी से 3.50 लाख रुपये की ब्याज समेत हर्जाना राशि हासिल करने में सफल रहा। बैंक के हिस्से की राशि का भुगतान अभी भी शेष है।

दरअसल आनलाइन साइबर ठगी के मामलों में बैंक खातेदार की चूक को ही मुख्य वजह माना जाता है, लेकिन कई बार आनलाइन बैकिंग, पेमेंट, एटीएम कार्ड के उपयोग में उपभोक्ता से कोई चूक नहीं होती फिर भी ठगी हो जाती है। ऐसे मामलों में जिम्मेदारी सेवा प्रदाताओं की होती है। आइटी एक्ट-2000 में क्षतिपूर्ति का अधिकार प्राप्त है, लेकिन इसकी जानकारी ठगी के शिकार बहुत से लोगों को नहीं होती है।

सिम बंद होते ही ट्रांसफर हुई राशि

इंदौर के महावीर पैकेजिंग के संचालक सुनील जैन की 11 अगस्त, 2018 की शाम बीएसएनएल की सिम अचानक बंद हो गई थी। कस्टमर केयर पर जानकारी लेने पर सिम में खराबी आना कहकर अगले दिन आफिस से दूसरी सिम जारी होने के लिए कहा गया, जबकि उनकी सिम उसी शाम उज्जैन के किसी व्यक्ति को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जारी कर दी गई थी। बाद में पता चला कि सिम जारी होते ही बैंक आफ बड़ौदा में जैन के खाते से 2.92 लाख रपये आनलाइन निकाल लिए गए। इस तरह से ठगी होने पर पीड़ित ने आइटी कोर्ट में अपना प्रकरण दर्ज करवाया।

Edited By: Versha Singh