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Karam Dam Leakage: मप्र के कारम बांध में रिसाव का मामला, ठेका किसी ने लिया; बांध बना रहा था कोई और

Karam Dam Leakage धार जिले की कारम सिंचाई परियोजना में कमीशनखोरी का ऐसा खेल चला कि पूरा बांध ही लापरवाही की भेंट चढ़ गया। किसानों को उम्मीद थी कि अगले साल से सिंचाई के लिए इससे पानी मिलने लगेगा पर उन्हें अब करीब दो वर्ष और प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2022 10:05 PM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2022 10:05 PM (IST)
मप्र के कारम बांध में रिसाव, ठेका किसी ने लिया; बांध बना रहा था कोई और। फाइल फोटो

भोपाल, जेएनएन। Karam Dam Leakage: मध्य प्रदेश के धार जिले की कारम सिंचाई परियोजना में कमीशनखोरी का ऐसा खेल चला कि पूरा बांध ही लापरवाही की भेंट चढ़ गया। किसानों को उम्मीद थी कि अगले साल से सिंचाई के लिए इससे पानी मिलने लगेगा पर उन्हें अब करीब दो वर्ष और प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ, वह अलग है। शुरुआती जांच में पता चला है कि यह सब इसलिए हुआ क्योंकि दिल्ली की एएनएस कंस्ट्रक्शन कंपनी ने ठेका लिया और अपना कमीशन निकालकर काम सहयोगी सारथी कंपनी को सौंप दिया। इस कंपनी ने भी आगे तीसरे ठेकेदार को काम दे दिया।

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सबकी जानकारी में चलता है कमीशनखोरी का खेल

जानकार बताते हैं कि सारथी कंपनी को काम देने की जानकारी जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को थी क्योंकि उससे बकायदा अनुबंध हुआ था, इसीलिए एएनएस कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ सारथी कंपनी को भी ब्लैक लिस्ट किया गया है। सारथी कंपनी भी मौके पर काम नहीं कर रही थी। स्पष्ट है कि सबकी जानकारी में कमीशनखोरी का खेल चलता रहा। मिट्टी का कारम बांध करीब 100 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है। इसकी पाल (दीवार) में 11 अगस्त को रिसाव शुरू हो गया। बांध टूटने की आशंका के चलते 14 अगस्त को बाइपास चैनल बनाकर पानी बहाना पड़ा।

तो नहीं बढ़ता पानी का दबाव

उधर, जल संसाधन विभाग के अपर सचिव आशीष कुमार के नेतृत्व में गठित दल मौके की जांच कर लौट आया है। दल शनिवार को रिपोर्ट सौंप सकता है। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि जिन अधिकारियों पर बांध निर्माण की निगरानी का जिम्मा था, वे इस दौरान उसे देखने ही नहीं गए। पाल बनाते समय मिट्टी पर दबाव डालकर उसे मजबूत किया जाना था, जो नहीं हुआ। यहां तक कि पाल से अतिरिक्त पानी निकासी के लिए लगाया गया 'स्लूस गेट' भी खोलना याद नहीं रहा। यदि पहले ही गेट खोल दिया जाता, तो पानी का दबाव नहीं बढ़ता।

ऐसे चलता है कमीशन का खेल

जानकारों के अनुसार कमीशन का खेल टेंडर होते ही शुरू हो जाता है। राशि लेने से लेकर मैदानी स्तर तक निर्माण कंपनी को सभी को 'खुश' करना पड़ता है। किसी भी निर्माण के मापदंड होते हैं जैसे, कहां कितनी मिट्टी, गिट्टी और मुरम डालनी है। कितना दबाव डालकर प्लेटफार्म को ठोस करना है। सरिया कितने एमएम का लगाना है। कमीशनखोरी का असर इन पर दिखाई देता है। विभाग की सहमति के बगैर नहीं दे सकते पेटी पर काम जल संसाधन विभाग के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता संतोष तिवारी बताते हैं कि ठेकेदार सबलेटिंग (उप ठेकेदारी) पर दूसरे ठेकेदारों को काम देते हैं पर विभाग से अनुमति लेनी होती है। अधिकांश कार्यों में यह शर्त रहती है।

कार्रवाई करेंगेः तुलसीराम सिलावट

जांच दल की रिपोर्ट तो आने दीजिए। जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई करूंगा। यह भी देखूंगा कि एक से दूसरे और फिर तीसरे ठेकेदार को कैसे काम मिला और किस स्तर पर उसे काम करने दिया गया।

-तुलसीराम सिलावट, मंत्री, जल संसाधन, मध्य प्रदेश।


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