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Madhya Pradesh: यहां के किसानों ने रसायनों से बनाई दूरी, सुधरी मिट्टी की सेहत

Madhya Pradesh युवा किसानों ने मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने का बीड़ा उठाया। खेतों में गोबर और हरित खाद का प्रयोग शुरू किया। रासायनिक कीटनाशक के बजाय देसी कीटनाशकों का इस्तेमाल करने लगे। परिणाम सुखद रहा। मिट्टी की उर्वरा शक्ति फिर लौट आई है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 06:31 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 06:31 PM (IST)
Madhya Pradesh: यहां के किसानों ने रसायनों से बनाई दूरी, सुधरी मिट्टी की सेहत
युवा किसानों ने रसायनों से बनाई दूरी, सुधरी मिट्टी की सेहत। फाइल फोटो

धार, जेएनएन। मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित होने से फसल चक्र भी प्रभावित हो जाता है। ऐसी ही स्थिति मध्य प्रदेश के धार जिले में कुछ वर्ष पहले दिखने लगी थी। यहां मिट्टी में कार्बन की मात्रा कम होने लगी थी। मिट्टी में प्रति बीघा 0.5 प्रतिशत कार्बन की मात्रा होनी चाहिए, लेकिन उर्वरकों और रासायनिक दवाइयों के इस्तेमाल से इसकी मात्रा घटकर 0.2 प्रतिशत हो गई थी। इससे सोयाबीन फसल का उत्पादन 40 प्रतिशत प्रति बीघा तक घट गया था। चिंतित क्षेत्र के युवा किसानों ने मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने का बीड़ा उठाया। खेतों में गोबर और हरित खाद का प्रयोग शुरू किया। रासायनिक कीटनाशक के बजाय देसी कीटनाशकों का इस्तेमाल करने लगे। परिणाम सुखद रहा। मिट्टी की उर्वरा शक्ति फिर लौट आई है।

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युवा किसानों ने आसपास के गांवों में भी लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया। अब करीब 50 हजार हेक्टेयर में रसायनमुक्त खेती हो रही है। ग्राम राजपुरा के किसान रवि चोयल बताते हैं कि वह चार वर्षो से खेत में गोबर खाद डाल रहे हैं। हालांकि, गोबर खाद डालना महंगा पड़ता है, लेकिन मिट्टी की सेहत यह सबसे जल्द सुधारता है। इसके अलावा हरित खाद और जैविक खाद को भी अपनाया है। मिट्टी परीक्षण करवाकर पता करते हैं कि किस तरह से गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। अब क्षेत्र का लगभग प्रत्येक किसान थोडी-थोडी जमीन पर जैविक खेती की शुरुआत कर चुका है। यूरिया का उपयोग 40 प्रतिशत तक घटा दिया है। ग्राम लबरावदा के किसान नरेंद्र राठौड़ ने प्रत्येक फसल चक्र में जैविक पदार्थों का ही अपने खेत में उपयोग किया है।

एनजीओ भी कर रहे मदद

युवा किसानों की इस पहल में जिले में काम कर रहे गैर सरकारी संगठन(एनजीओ) भी मदद कर रहे हैं। वे गांवों में जाकर किसानों को रसायनों का उपयोग कम करने, जैविक खेती को प्रायोगिक तौर पर शुरू करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, ताकि पैदावार बढ़ सके। कृषि विज्ञान केंद्र धार के प्रभारी डा एके बडाया ने बताया कि मिट्टी में 0.5 प्रतिशत कार्बन की मात्रा होनी चाहिए, वरना उत्पादन में 25 से 40 प्रतिशत की गिरावट होती है।

किसान मृदा की सेहत को लेकर जागरूक हुए हैं। कई इलाकों से हमें किसान मार्गदर्शन के लिए फोन करते हैं। केंद्र पर आकर संपर्क भी करते हैं। किसानों को मिट्टी परीक्षण करवाना चाहिए और उसके परिणाम के आधार पर खेती करनी चाहिए।

-डा. एसएस चौहान, मृदा विज्ञानी, कृषि विज्ञान केंद्र, धार।


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