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MP News: बिजली कंपनियों का अभी से विदेश से कोयला आयात करने की तैयारी शुरू

केंद्र की गाइडलाइन के मुताबिक करीब 15 लाख टन कोयला खरीदा जाना है। इंडोनेशिया अस्ट्रेलिया अफ्रीकीदेशों से कोयला आयात होता है। इसकी गुणवत्ता का आकलन उससे पैदा होने वाली ऊर्जा से होता है। जितना बेहतर काेयला उतनी अधिक ऊर्जा पैदा करता है। गुणवत्ता वाले काेयले में राख कम बनती है।

By Priti JhaEdited By: Published: Mon, 23 May 2022 11:40 AM (IST)Updated: Mon, 23 May 2022 11:40 AM (IST)
MP News: बिजली कंपनियों का अभी से विदेश से कोयला आयात करने की तैयारी शुरू
MP News: बिजली कंपनियों का अभी से विदेश से कोयला आयात करने की तैयारी शुरू

जबलपुर, जेएनएन । बिजली कंपनियों ने अभी से विदेश को कोयला आयात करने की तैयारी कर दी है। करीब 15 लाख टन कोयला विदेश से खरीदा जाएगा। इसमें करीब दो हजार करोड़ रुपये व्यय होंगे। जाहिर है कि बिजली उत्पादन के लिए इस अतिरिक्त भार को बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं पर ही डालेगी। रबी सीजन के वक्त बिजली की कमी न हो इसके कोयले की उपलब्धता तय की जा रही है। विशेषज्ञों का दावा है कि करीब एक रुपये प्रति यूनिट बिजली के दाम में अतिरिक्त बढ़ोतरी होगी। हालांकि ऊर्जा सचिव पहले ही माना था कि विदेश से कोयला लाने में 25-30 पैसे प्रति यूनिट का मामूली इजाफा ही होगा।

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जानकारी हो कि ऊर्जा विभाग के अनुसार केंद्र सरकार के निर्देश पर विदेश से कोयला खरीदा जा रहा है। पहले कुल जरूरत का चार प्रतिशत कोयला खरीदने के निर्देश हुए थे। अब इसे 10 प्रतिशत किया गया है। ऐसे में 15 लाख टन कोयला विदेश से लिया जाएगा। इसके लिए बाद में प्रक्रिया की जाएगी। पहले चरण में मप्र पावर जनरेशन कंपनी ने साढे सात लाख टन कोयला आयात करने के लिए निविदा जारी की है। इसकी लागत करीब 974 करोड़ रुपये है। कोयला आयात करने के लिए तीन कंपनियों ने आवेदन किया है। इसमें अडानी के अलावा दो अन्य कंपनियां भी शामिल है।

मुख्य अभियंता फ्यूल मैनेजमेंट मप्र पावर जनरेशन कंपनी के अनुसार विदेश से कोयला आयात करने के लिए आवेदन आ चुके हैं। तीन आवेदन हैं, जिसमें तीन फर्म का आवेदन मिला है। अभी उनके दस्तावेजों की जांच की जा रही है। दो-तीन दिन के अंदर निविदा को खोल दिया जाएगा। केंद्र की गाइडलाइन के मुताबिक करीब 15 लाख टन कोयला खरीदा जाना है। सामान्य तौर पर इंडोनेशिया,अस्ट्रेलिया और अफ्रीकी देशों से कोयला आयात होता है। इसकी गुणवत्ता का आकलन उससे पैदा होने वाली ऊर्जा से होता है। जितना बेहतर काेयला उतनी अधिक ऊर्जा पैदा करता है। गुणवत्ता वाले काेयले में राख कम बनती है। कंपनी का दावा है कि रबी सीजन में 17 हजार मेगावाट तक बिजली की मांग होगी इस वजह से बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।

मालूम हो कि मप्र पावर जनरेशन कंपनी रबी सीजन के लिए पांच माह पहले ही कोयले की खरीदी की जा रही है। कंपनी प्रबंधन ने जरुरत के चार फीसद करीब 7.50 लाख मीट्रिक टन कोयला खरीदी का टेंडर निकाला है। इसकी अनुमानित लागत 15 से 18 हजार रुपये प्रति टन होगी। जबकि भारतीय कोयला 3500 - 4000 हजार रुपये प्रति टन मिलता है। विदेशी कोयले को बिजली ताप गृह में 90 प्रतिशत देशी तो 10 प्रतिशत विदेशी कोयला उपयोग किया जाएगा। 


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