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तंत्र के गण: बैंबू बना 1200 महिलाएं की स्वावलंबन की 'लाठी', देश-विदेश में भेजे जा रहे देवास में बनाए गए उत्पाद

ये महिलााएं हर माह 15 हजार रुपये तक की कमाई कर रही हैं। देवास में स्वसहायता समूहों के पास 2500 एकड़ रकबे में करीब चार लाख बांस लगाए गए हैं। ये महिलाएं 1200 रुपये प्रतिवर्ग फीट की दर से बांस का मकान भी तैयार कर देती हैं।

By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuPublished: Fri, 20 Jan 2023 05:37 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jan 2023 06:03 PM (IST)
तंत्र के गण: बैंबू बना 1200 महिलाएं की स्वावलंबन की 'लाठी', देश-विदेश में भेजे जा रहे देवास में बनाए गए उत्पाद
बैंबू बना 1200 महिलाएं की स्वालंबन की 'लाठी', देश-विदेश में भेजे जा रहे देवास में बनाए गए उत्पाद

राजेश व्यास, देवास। शासन की योजनाओं का लाभ उठाकर महिलाएं किस तरह स्वावलंबन की नई इबारत लिख रही हैं। यह देवास जिले के ग्रामीण इलाकों में देखा जा सकता है। देवास जिले में सरकार के बैंबू प्रोजेक्ट से जिले की 1200 से ज्यादा महिलाएं स्वावलंबी बनी हैं। शासन बैंबू (बांस) लगाकर उनकी देख-रेख की जिम्मेदारी भी इन्हीं महिलाओं को सौंप देता है। बाद में ये बैंबू महिलाओं को मुफ्त उलब्ध करवाए जाते हैं।

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इन्हीं बैंबू से उत्पाद बनाकर या तो ये महिलाएं खुद बिक्री के लिए बाजार तक पहुंचाती हैं या फिर शासन से अनुबंधित कंपनी के माध्यम से देश-विदेश तक भेजती हैं। महिलाओं के हाथों का हुनर भी ऐसा है कि बैंबू के नक्काशीदार घर से लेकर डलिया तक यहां बनाई जाती हैं। देवास में बैंबू प्रोजेक्ट की सफलता के बाद सरकार यहां देश का पहला बैंबू आइटीआइ शुरू करने की घोषणा भी कर चुकी है।

सरकार बांस लगाती है, देख-रेख के लिए राशि भी देती है

महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए शासन की ओर से बांस के पौधे लगाए जाते हैं। इसकी देख-रेख के लिए हर स्व सहायता समूह को आठ हजार रुपये प्रतिमाह पांच वर्ष तक दिया जाता है। पांच साल बाद जब बांस तैयार हो जाते हैं तो इन्हें महिला समूहों को मुफ्त दे दिया जाता है। देवास में 41 स्व सहायता समूहों के माध्यम से 1200 से अधिक महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं।

जो महिलाएं कभी घरों से बाहर नहीं निकलती थीं या खेतों में मजदूरी कर किसी तरह गुजर-बसर कर रहीं थीं, वे इस योजना से औसतन 15 हजार रुपये प्रतिमाह तक कमाई कर रही हैं। देवास में स्वसहायता समूहों के पास ढाई हजार एकड़ रकबे में करीब चार लाख बांस लगे हुए हैं। प्रति स्व सहायता समूह का सालाना टर्न ओवर पांच से सात लाख रुपये है।

बैंबू के मकान भी तैयार कर देती हैं महिलाएं

महिलाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से सरकार ने देवास की आर्टिसन एग्रोटेक लिमिटेड नामक कंपनी से अनुबंध भी किया है। इस कंपनी ने देवास में बैंबू के क्षेत्र में बेहतर संभावनाओं को देखते हुए यहां अपनी इकाई स्थापित की है। अनुबंध की शर्त यह है कि कंपनी को देवास की महिलाओं को रोजगार देना होगा।

कंपनी भी निजी क्षेत्र में बांस लगाकर उसके फर्नीचर, मकान आदि तैयार करती है। कंपनी में जिले की महिला कर्मचारी ही कार्य करती हैं। ये महिलाएं 1200 रुपये प्रतिवर्ग फीट की दर से बांस का मकान तैयार कर देती हैं। इसके अतिरिक्त बांस से बना सोफा भी 15 हजार रुपये में बेचा जाता है।

हौसला बढ़ाया, आगे बढ़ने की सीख दी

बांस के उत्पाद तैयार कर रही आर्टिसन कंपनी की मानव संसाधन विभाग की कर्मचारी पूजा कुमावत बताती हैं कि एक जिला एक उत्पाद के तहत देवास जिले को बांस का प्राजेक्ट मिला, जिससे जिले की महिलाओं का जीवन संवर रहा है। कई ऐसी महिलाएं हैं, जो कभी घर से बाहर नहीं निकलीं, अब इतनी प्रशिक्षित और दक्ष हो गई हैं कि मशीन पर काम कर रही हैं, परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं।

शासन की इस योजना से हमारे परिवार की दशा और दिशा ही बदल गई। हर माह अच्छी खासी आमदनी हो रही है, जिससे परिवार का भरणपोषण अच्छे से हो रहा है। बच्चों की पढ़ाई भी अच्छे से हो पा रही है। एक समय परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा था। पति के पास कोई काम नहीं था, अब सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा है। - सावित्री, निवासी बामनखेड़ा

पहले कभी घर से बाहर ही नहीं निकली थी, किंतु अब बांस के उत्पाद तैयार करने में बेहतर प्रशिक्षित हो गई हूं। आर्टिसन कंपनी में मशीन पर काम करती हूं और अच्छा वेतन पा रही हूं। शासन की इस योजना से बहुत लाभ हुआ है। - छाया, निवासी न्यू देवास क्षेत्र

बांस से बने उत्पाद अब विदेश तक जा रहे हैं। काम करते-करते आत्मविश्वास भी बढ़ा है। अब तो हम इतना काम सीख गए हैं कि मशीनें भी संचालित कर लेते हैं। पहले तो बांस की छंटाई ही कर पाते थे, पर अब हर काम कर लेते हैं। - सीमा निवासी भौरांसा

सरकार द्वारा नि:शुल्क दिया जाने वाला बांस स्व सहायता समूह अपने स्तर पर बेच भी सकता है। यदि बांस बिकने में कहीं परेशानी आती है तो सरकार से अनुबंधित आर्टिसन कंपनी भी बांस खरीदती है। जिले में बांस से तीन चरणों में उत्पाद तैयार हो रहे हैं। पहले और दूसरे चरण में सामान्य व पारंपरिक और तीसरे चरण में विशेष तकनीक से तैयार किए जाते हैं। इनसे सभी प्रकार के फर्नीचर और दो मंजिला मकान तक तैयार किए जा रहे हैं। यह उत्पाद दुबई, केन्या, ब्रिटेन सहित कई देशों तक पहुंचाए जा रहे हैं। - पीएन मिश्रा, वन मंडल अधिकारी, देवास


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