सतपुड़ा के घने जंगल... बायसन से लेकर बाघ तक; वन्यजीवों का अनूठा घर, यहां खिंचे चले आते हैं पर्यटक
भवानी प्रसाद मिश्र की इन पंक्तियों को पढ़कर सतपुड़ा के जंगलों के घनेपन और गहराई का पता लगाया जा सकता है लेकिन अंदर तक उतरकर इन्हें अनुभव करना है तो आपको सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का रुख करना ही होगा।
आशीष दीक्षित, नर्मदापुरम। भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'सतपुड़ा के घने जंगल, नींद में डूबे हुए से, ऊंघते अनमने जंगल... इन पंक्तियों को पढ़कर सतपुड़ा के जंगलों के घनेपन और गहराई का पता लगाया जा सकता है, लेकिन अंदर तक उतरकर इन्हें अनुभव करना है तो आपको सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का रुख करना होगा।
मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम (पूर्व में होशंगाबाद), हरदा, बैतूल और छिंदवाड़ा जिलों की सीमाओं में फैले इस टाइगर रिजर्व का सबसे बड़ा हिस्सा नर्मदापुरम में आता है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण अभयारण्य में वन्यजीवों का सहज दर्शन पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। हर साल देश-विदेश से हजारों पर्यटक यहां आते हैं। टाइगर रिजर्व की पहचान धीरे-धीरे देश के सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में होने लगी है।
सतपुड़ा के जंगलों में भ्रमण का सबसे बेहतर समय सर्दियों का होता है जब ये जंगल पूरी तरह हरे-भरे होते हैं और गुनगुनी धूप पेड़ों के बीच उतरती है। यहां आने के बाद रोमांच का एहसास तो होता ही है साथ ही सुकून के पल भी मिलते हैं। वन्यप्राणियों का स्वच्छंत विचरण करते देखना भी पर्यटकों के लिए अनूठा अनुभव है।
शासन द्वारा संचालित हो रही बाघ परियोजना सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक एल कृष्णमूर्ति बताते हैं सतपुड़ा टाइगर रिजर्व भारत के सर्वोत्तम संरक्षित क्षेत्रों में से एक है। सतपुड़ा वर्तमान में एक विश्व प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र है। यहां आने वाले पर्यटकों की कई जिज्ञासा होती है वे यहां के वन्यप्राणियों के साथ ही वनस्पतियों व अन्य पेड़ पौधों की जानकारी से अवगत होना चाहिते हैं।
इसके लिए प्रकृति के विभिन्न पहलुओं जैसे वन एवं वन्यप्राणियों से अंतरंग परिचय कराने के लिए विशेष विधि का उपयोग किया जाता है। जिसे वनोद्यान व्याख्या (पार्क इंटरप्रिटेशन) कहा जाता है। यह कार्य पर्यटन मार्गदर्शन (टूरिस्ट गाइड) तथा व्याख्या केंद्रों के माध्यम से किया जाता है, जिससे पर्यटक न केवल वन्य जीवन देखते हैं, बल्कि उनकी जानकारी भी बढ़ती है।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के दर्शनीय स्थल
एक नजर में सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान अपने आप में अद्वितीय है। यहां वन संपदा, वन्यजीवों की प्रचुरता तथा जैविकी विविधता हैं। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का द्वार मढ़ई है, यहां देनवा नदी को नाव से पार कर जंगल सफारी करनी होती है। जिप्सी चालक के साथ प्रशिक्षित गाइड भी उपलब्ध है। निर्धारित शुल्क जमा करा पर्यटक राइड का आनंद लेते हैं। हिरण, बारहसिंगा, बाघ, भालू, तेंदुआ सहित अन्य वन्यप्राणी आसानी से देखे जा सकते हैं। यहां पर हाल ही में सुरक्षा के लिए कर्नाटक से चार नए हाथी भी लाए गए हैं।
कैसे पहुंचें मढ़ई
नर्मदापुरम जिले में सोहागपुर से 24 किमी की दूरी पर मढ़ई है। सड़क मार्ग से नर्मदापुरम से इसकी दूरी 53 किमी है। यहां तक पहुंचने लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पिपरिया है। जहां से मढ़ई की दूरी 45 किमी है, जबकि इटारसी जंक्शन मात्र 17 किमी दूर है, जहां सभी ट्रेनें रुकती हैं। रेलवे स्टेशन से टैक्सी से मढ़ई पहुंचा जा सकता है। नजदीकी एयरपोर्ट भोपाल का राजाभोज एयरपोर्ट है, जहां से मढ़ई की दूरी 137 किमी है।
ऊंघते अनमने जंगल...
सतपुड़ा के घने जंगल,
नींद में डूबे हुए से,
ऊंघते अनमने जंगल,
झाड़ ऊंचे और नीचे,
चुप खड़े हैं आंख मीचे,
घास चुप है, कास चुप है,
मूक शाल, पलाश चुप है।
बन सके तो धंसो इनमें,
धंस न पाती हवा जिनमें,
सतपुड़ा के घने जंगल,
ऊंघते अनमने जंगल।