Madhya Pradesh: क्वारंटाइन अवधि में चीतों को मिलेगी खास 'डाइट', नहीं करना होगा शिकार
Madhya Pradesh मप्र के कूनो पालपुर नेशनल पार्क लाए जा रहे चीतों को एक माह की क्वारंटाइन अवधि में खास डाइट मिलेगी। उन्हें शिकार नहीं करना होगा। उन्हें सप्ताह में केवल दो दिन भैंसे का मांस ही दिया जाएगा।
भोपाल, जेएनएन। Madhya Pradesh News: नामीबिया से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कूनो पालपुर नेशनल पार्क (Kuno Palpur National Park) लाए जा रहे चीतों को एक माह की क्वारंटाइन अवधि (Quarantine Period) में खास 'डाइट' मिलेगी। उन्हें शिकार नहीं करना होगा। उन्हें सप्ताह में केवल दो दिन भैंसे का मांस ही दिया जाएगा।
चीतों के साथ नामीबिया से आएंगे विशेषज्ञ
दरअसल, चीतों को एक माह तक सिर्फ 1500 वर्ग मीटर के बाड़े में रखा जाना है। इसमें उनकी शारीरिक गतिविधि कम हो जाएगी। ऐसे में ज्यादा मांस देने से पाचन में समस्या आ सकती है। ऐसा इसलिए भी किया जाएगा, क्योंकि चीतों का जलवायु परिवर्तन भी हो रहा है। नई जगह के हिसाब से अनुकूलित होने में उन्हें कुछ समय लगेगा। चीतों के साथ नामीबिया से आ रहे विशेषज्ञ प्रो. एड्रिन, डा. लारी मार्कर और विंसेंट तय करेंगे कि उन्हें कितनी अवधि में कितना मांस दिया जाना है।
चीतों के स्वास्थ्य पर विशेषज्ञ नजर रखेंगे
पार्क में चीतों की देखरेख उन कर्मचारियों के जिम्मे होगी, जो मई, 2022 में नामीबिया से प्रशिक्षण लेकर लौटे हैं। क्वारंटाइन बाड़े में मांस डालने और उसकी सफाई का जिम्मा उन्हीं का रहेगा। वे बार-बार चीतों के सामने आएंगे, ताकि चीते उन्हें पहचानने लगें। इन गतिविधियों और चीतों के स्वास्थ्य पर नामीबिया से आ रहे विशेषज्ञ नजर रखेंगे। ये विशेषज्ञ एक माह तक पार्क में ही रहेंगे। यदि परिस्थितियां प्रतिकूल हुईं तो एक माह के बाद भी उन्हें रोका जा सकता है। चीते क्वारंटाइन बाड़े से बड़े बाड़े में भेजे जाएंगे। तब उनके सामने चीतल, सांभर और काला हिरण छोड़े जाएंगे और फिर वे शिकार कर सकेंगे। करीब ढाई से साढ़े तीन माह चीते इसी बाड़े में रहेंगे।
चीतों के सामने खाने का कोई संकट नहीं
पार्क में चीतों के सामने खाने का कोई संकट नहीं है। दो माह पहले ही पार्क में 200 चीतल छोड़े गए हैं। इसके पहले से भी चीतल, हिरण, सांभर और जंगली सुअर वहां हैं। इस तरह पार्क में शाकाहारी वन्यप्राणियों की संख्या 1200 से अधिक है। नामीबिया में भी चीतल, काला हिरण, सांभर से मिलते-जुलते वन्यप्राणी पाए जाते हैं और उन्हें चीता पसंद करता है।