MP Politics: अपनों की रार से असहज महसूस कर रही भाजपा
प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने दोनों पक्षों को संदेश दिया है कि किसी भी स्थिति में अपने मतभेद सार्वजनिक रूप से न व्यक्त करें। कोई दिक्कत है तो पार्टी फोरम पर बात की कही जाए। सुनवाई सबकी होगी।
संजय मिश्र। सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल के कारण राज्य में अपनी मजबूती का अहसास कराने वाली भाजपा इन दिनों गुना-शिवपुरी संसदीय सीट को लेकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों एवं भाजपा सांसद केपी यादव के बीच चल रही जुबानी जंग से असहज महसूस कर रही है। हाल ही में गुना में एक कार्यक्रम में राज्य सरकार के मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ने मंच पर मौजूद सिंधिया से यह कहते हुए माफी मांगी कि लोकसभा चुनाव में आपको हराकर यहां की जनता ने गलती की है। मैं सभी की ओर से माफी मांगता हूं।
दरअसल सिसौदिया बताना चाहते थे कि गुना की जनता सिंधिया से बहुत प्यार करती है और उनकी हार पर अफसोस कर रही है। वह सिंधिया के वफादार मंत्रियों में से हैं। उनकी इस टिप्पणी पर भाजपा संगठन ने तो तत्काल कुछ नहीं कहा, लेकिन एक दिन बाद ही सांसद केपी यादव बिफर पड़े। उन्होंने सिसौदिया पर निजी टिप्पणी करते हुए कहा, ‘कांग्रेस की हार पर आंसू बहाने वाले मंत्री ने भाजपा के कार्यकर्ताओं और जनता का अपमान किया है। उनकी यह हरकत मूर्खतापूर्ण है और लोकतंत्र की गरिमा के खिलाफ है। गुना-शिवपुरी से भाजपा की जीत हजारों कार्यकर्ताओं के त्याग और संघर्ष की जीत है।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘जो व्यक्ति भाजपा की सरकार में मंत्री है वह कांग्रेस की हार का रोना कैसे रो सकता है।’ उन्होंने सिसौदिया के एक बयान का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना अकबर जैसे क्रूर मुगल शासक से करके उन्होंने देशवासियों की भावनाओं का अपमान किया है।
यादव के बयान के बाद एक और दर्जा प्राप्त मंत्री गिर्राज डंडौतिया ने भी यह कहकर इस विवाद को हवा दे दी कि सिंधिया को हराकर गुना की जनता आंसू बहा रही है। मामला बढ़ता देख प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने सख्ती का संदेश देते हुए केपी यादव एवं महेंद्र सिंह सिसौदिया से स्पष्टीकरण मांगा है। वर्ष 2019 के संसदीय चुनाव में गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी केपी यादव ने कांग्रेस के तत्कालीन सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को लगभग एक लाख से अधिक मतों से हरा दिया था। यह सिंधिया के राजनीतिक जीवन की पहली हार थी। भाजपा ने यादव की जीत पर खूब धूमधड़ाका किया था।
माना गया था कि अपराजेय समङो जाने वाले सिंधिया को हराकर भाजपा ने सफलता की नई कहानी लिखी है। हालांकि लगभग एक साल बाद ही सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए। वह राज्य में भाजपा के एक नए शक्तिकेंद्र के रूप में देखे जाते हैं। वह खुद केंद्र में मंत्री हैं, जबकि उनके समर्थक अनेक विधायक शिवराज सरकार में मंत्री हैं। भाजपा में उन्हें दो साल से ज्यादा हो चुके हैं। वह पार्टी की रीति-नीति को पूरी तरह आत्मसात कर चुके हैं। वह विचारधारा के स्तर पर जिस तरह भाजपा का पक्ष रखते हैं उससे भाजपा के अनेक वरिष्ठ नेता भी गहरे प्रभावित हैं। वे यह कहते नहीं थकते कि हमें महसूस ही नहीं होता है कि सिंधिया कभी हमसे अलग थे। इसके उलट गुना-शिवपुरी में उनके समर्थकों में उनकी हार की टीस अभी भी है। वे केपी यादव को मन से स्वीकार नहीं कर पा रहे है। यही कारण है कि वहां सांसद अलग-थलग पड़े रहते हैं। बीच-बीच में एक-दूसरे खिलाफ बयान देकर वे माहौल गर्माए रहते हैं।
दरअसल केपी यादव पूर्व में कांग्रेस में सिंधिया के कट्टर समर्थक थे। सिंधिया के सांसद रहते वह उनके प्रतिनिधि की भूमिका निभाते रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अशोकनगर सीट से कांग्रेस के टिकट की मांग की थी। आश्वासन मिलने के कारण वह तैयारियों में लग गए थे, लेकिन समीकरण ऐसे बने कि टिकट नहीं मिल पाया। इससे खफा होकर उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने अवसर का लाभ उठाते हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें सिंधिया के खिलाफ अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। उम्मीद के विपरीत उन्होंने सिंधिया को पराजित कर दिया। तभी से दोनों के बीच दरारें गहरी हो चुकी हैं। सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद केपी यादव ने उनके साथ कुछ कार्यक्रमों में मंच साझा किया था, लेकिन बाद में महत्व न मिलने का आरोप लगाते हुए वह दूरी बनाने लगे। बीच बीच में सिंधिया समर्थकों और यादव के बीच जुबानी जंग चलती रहती है, लेकिन इस बार मामला बढ़ने पर प्रदेश नेतृत्व समय से सक्रिय हो गया और सांसद के साथ मंत्री सिसौदिया को प्रदेश कार्यालय में बुलाने का आदेश दे दिया गया। सांसद ने मंगलवार को प्रदेश अध्यक्ष के सामने अपनी सफाई दे दी है कि सिंधिया समर्थक मंत्री उन्हें सार्वजनिक रूप से बेइज्जत करते रहते हैं। मंत्री सिसौदिया एवं गिर्राज डंडौतिया को भी कार्यालय आकर सफाई देने के लिए कहा गया है।
[स्थानीय संपादक, नवदुनिया, भोपाल]